लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी का यूपी से गहरा नाता रहा है, ये बात किसी से छुपी नहीं. लेकिन उनकी मृत्यु के बाद लखनऊ में अस्थि विसर्जन का खर्च कोई विभाग उठाने को तैयार नहीं है. ये जानकर हैरानी होगी की विसर्जन में खर्च हुए 2.54 करोड़ रुपये की फाइल पिछले 10 महीने से एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस घूम रही है. फिर भी कोई बजट देने को तैयार नहीं है. एक स्थानीय अखबार में छपी तो सरकार के अधिकारियों के होश उड़ गए और मामले को जल्द निपटाने की कोशिशें शुरू हो गईं.
गोमती नदी के तट पर हुआ था कार्यक्रम
दरअसल, 23 अगस्त 2018 को राजधानी लखनऊ के हनुमान सेतु के पास गोमती नदी के किनारे कार्यक्रम आयोजित हुआ. इसमें तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह व सीएम योगी भी शामिल हुए. इसमें कुल दो करोड़ 54 लाख 29 हज़ार 250 रुपये खर्च हुआ था. इस दौरान स्टेज, साउण्ड सिस्टम, लाइटिंग, टेंट, बैरीकेडिंग सहित तमाम कामों में यह रकम खर्च हुई थी. एलडीए (लखनऊ डेवलपमेंट अथाॅरिटी) की ओर से ये व्यवस्था की गई. किसके आदेश पर ये व्यवस्था की गई. ये कोई भी आधिकारिक तौर पर बताने को तैयार नहीं लेकिन शासन के निर्देश पर ये हुआ था. उस समय इसके लिए बजट नहीं दिया गया था. शासन ने बाद में बजट देने की बात कही थी, तब से फाइल इधर-उधर घूम रही है.
आज झुलेलाल पार्क (गोमती तट), लखनऊ में भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री परम श्रद्धेय स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के अस्थि कलश को पुष्पांजलि अर्पित की। pic.twitter.com/oMDy7MSUNK
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 23, 2018
लखनऊ में गोमती नदी के किनारे झूलेलाल पार्क में आयोजित देश के गौरव भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री परम श्रद्धेय स्व. अटल जी की कभी ना मिटने वाली स्मृतियों को संजोने के लिए श्रद्धांजलि सभा मे उपस्थित हुआ और अस्थि कलश दर्शन कर गोमती में प्रवाहित किया । pic.twitter.com/G0bKtZwL04
— Swatantra Dev Singh (@swatantrabjp) August 23, 2018
विशेष विमान से अस्थियां लेकर आए थे राजनाथ
अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु के बाद तत्कालीन गृहमंत्री व वर्तमान में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह खुद विशेष विमान से अटल की अस्थियां लेकर लखनऊ आए थे. लखनऊ एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल राम नाइक, डिप्टी सीएम केपी मौर्य व दिनेश शर्मा सहित योगी सरकार के तमाम मंत्री मौजूद थे. अस्थि कलश यात्रा का गोमती नदी के किनारे समारोह आयोजित था. यहां भी सीएम सहित सभी बड़े नेता व मंत्री मौजूद थे. इसके अलावा बड़ी संख्या में अटल समर्थक भी यहां पहुंचे थे.
दिप्रिंट के पास वो पत्र हैं जिसमें एलडीए ने सूचना विभाग को लिखे.
एलडीए को लिखा गया पत्र.
अभी तक नहीं हुआ पेमेंट
वहीं, एक स्थानीय अखबार के मुताबिक एलडीए के सचिव एमपी सिंह ने 9 जनवरी 2019 को शासन को पत्र लिखा जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो 15 मार्च 2019 को उन्होंने फिर शासन को बजट देने के लिए पत्र लिखा. इस पर शासन के संबंधित सूचना विभाग ने 15 मई 2019 को भेजे पत्र में जवाब दिया कि इस तरह के आयोजन व कार्यक्रम के खर्च के लिए बजट में कोई व्यवस्था नहीं है. एलडीए सचिव एमपी सिंह के मुताबिक पेमेंट के लिए लगातार लिखा पढ़ी की जा रही है. सूचना विभाग से ही पैसा मिलना है. वित्त विभाग ने भी आपत्तियां लगायी हैं. बजट न मिलने से कार्यक्रम आयोजित करने वाली कम्पनी को पैसा नहीं दिया जा सका है.
जब मामला मीडिया में तूल पकड़ा तो अब एलडीए सचिव अपने बयान को तोड़ मरोड़कर छापे जाने की बात कह कर मीडिया से बचते फिर रहे हैं. वहीं अब सूचना विभाग से जुड़े अधिकारी जल्द ही भुगतान कराने की बात कर रहे हैं. दि प्रिंट से बातचीत में सूचना विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें हाल ही में इस मामले की जानकारी प्राप्त हुई है. उन्होंने फाइल आगे बढ़ा दी है.
दि प्रिंट ने यूपी के सूचना निदेशक शिशिर सिंह से भी इस मामले पर बात करने की कोशिश की. उन्होंने मामले का विवरण देने से इंकार कर दिया लेकिन जल्द ही मामला सुलझाने की बात कही.
भाजपा के नेता नहीं दे रहे हैं जवाब
अटल जी को अपना आदर्श मानने वाले कई बीजेपी नेता भी इस पर बोलने से बचते दिखे. वहीं, बीजेपी मीडिया पैनलिस्ट राकेश त्रिपाठी ने दि प्रिंट से बातचीत में कहा कि अटल जी न सिर्फ बीजेपी नेताओं के बल्कि हर किसी के दिल में बसे हैं. उनका हर कोई सम्मान करता है. अस्थि विसर्जन कार्यक्रम के पेमेंट में अगर कोई लेटलतीफी अधिकारियों द्वारा हुई है तो उन्हें उम्मीद है कि सरकार द्वारा जल्द ही ये बात संज्ञान में ली जाएगी. बीजेपी सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा से भी इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश की गई लेकिन वह इस पर टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं थे.
विपक्ष ने साधा निशाना
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस विधायक अजय लल्लू ने कहा, ‘बीजेपी अटल जी के नाम का हर जगह इस्तेमाल करती है. उनके नाम पर राजनीति करती है लेकिन अब बीजेपी की ही सरकार में अटल की अस्थि विसर्जन का खर्च कोई उठाने को नहीं तैयार है. ये शर्म की बात है. वो नेता क्यों चुप हैं जिन्होंने लखनऊ में हमेशा अटल जी के नाम पर वोट मांगा.
वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर ने भी ट्वीट कर बीजेपी पर निशाना साधा है.
जिनकी की छांव में @BJP4India ने अपने सर पर ताज रक्खा, उनकी अस्थियों तक पर इन्होंने राजनीति की, पता उस वक्त भी सबको था कि कितने चेहरे हैं @BJP4Indiaके चेहरे पर।
ऐ क़ाफ़िले वालों, अब तो समझ जाओ
लूटा है तुम्हें इन्होने, किसके इशारे परतुम्हारी हक़ीक़त यही, तुम्हारी सियासत यही। pic.twitter.com/teOSuZ610N
— Dheeraj Gurjar (@dgurjarofficial) June 23, 2019
पूर्व आईएएस एसपी सिंह ने भी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है- लखनऊ में अटल जी के अस्थि विसर्जन का खर्च 2 करोड़ को कोई उठाने के लिए तैयार नहीं जिसने वोट के लिए भुनाया, वही पार्टी दे. सरकारी बजट से ये खर्चा क्यों जाए?
लखनऊ में अटल जी के अस्थि विसर्जन के खर्च रु.२ करोड़ को कोई उठाने के लिए तैयार नहीं।
जिसने वोट के लिए भुनाया, वही पार्टी दे। सरकारी बजट से ये खर्चा क्यों जाए?#अटल_अस्थि_कलश pic.twitter.com/bInzhFa9jd— Surya Pratap Singh (@suryapsinghias) June 23, 2019
लखनऊ से अटल का गहरा नाता रहा है. ऐसे में सोशल मीडिया पर लोग अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. सरकार की ओर से कोई भी मंत्री इस पर बोलने को तैयार नहीं है. सवाल उठा रहे हैं कि क्या ये अटल को सच्ची श्रद्धांजलि है या उनके नाम?
एलडीए के एक अन्य अधिकारी ने द प्रिंट को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस मामले में लेटेस्ट अपडेट तो एलडीए सचिव दे पाएंगे लेकिन जहां तक उनकी जानकारी है तो पेमेंट अभी तक नहीं हुआ है. फाइल आगे बढ़ा दी गई थी. अब पेमेंट का इंतजार है. जब एलडीए सचिव एमपी सिंह से द प्रिंट ने बात की तो उन्होंने कहा कि इस पर अभी कुछ नहीं कह सकते हैं. सूचना अधिकारी से इस बारे में बात करें. अधिकारी एक दूसरे पर ये मामला टाल रहे हैं.