संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर अपने भाई और भतीजे को बिठाकर कर बसपा प्रमुख ने अपने उत्तराधिकार की योजना बना ली है. पर उन्होंने ऐसा कर के मतदाताओं का मखौल भी उड़ाया है जिन्होंने बार-बार स्पष्ट संकेत दिया है कि उनकों वंशवादी राजनीति पसंद नहीं है. ये भाजपा के लिए फायदे की बात है क्योंकि विपक्ष दीवार पर लिखी इबारत पढ़ने को ही तैयार नहीं.
विरल आचार्य का निकलना चिंताजनक है. सरकार को ये देखना चाहिए कि आरबीआई की स्वतंत्रता वित्त व्यवस्था के खस्ता होने के बीच बनी रहे
उर्जित पटेल के आरबीआई से निकलने के छह महीने के भीतर वहां के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के इस्तीफे ने एक बार फिर केंद्रीय बैंक की स्वायतता पर सवाल खड़े कर दिये हैं. सरकार को ये देखना चाहिए कि आरबीआई की वित्तीय और काम करने की स्वतंत्रता बरकरार रखी जाये, खासकर ऐसे समय में जब वित्तीय संकट का डर सता रहा है और इस बात का खतरा है कि बजट में वित्तीय हालत खराब हो सकती है.