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Sunday, 24 November, 2024
होमदेश‘बस जान बचानी थी’ — दिल्ली के संगम विहार में सांप्रदायिक तनाव के चलते परिवार घर छोड़कर भागे

‘बस जान बचानी थी’ — दिल्ली के संगम विहार में सांप्रदायिक तनाव के चलते परिवार घर छोड़कर भागे

पुलिस को इलाके में गाय का शव फेंकने वाले अपराधियों का पता लगाने के लिए अपनी जांच में अभी तक ‘कोई ठोस सबूत’ नहीं मिला है. स्थानीय AAP विधायक जांच की गति से खुश नहीं हैं.

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नई दिल्ली: स्थानीय निवासियों के अनुसार गुरुवार को एक मंदिर के पास मृतक गाय बरामद होने के बाद संगम विहार में तनाव के बाद कुछ हिंदू और मुस्लिम परिवार अपनी सुरक्षा के डर से घर छोड़कर चले गए हैं.

दक्षिण दिल्ली के सुदूर इलाके में हिंदू संगठनों द्वारा कथित तौर पर विरोध प्रदर्शन और भड़काऊ भाषण देने के बाद इलाके में अशांति फैल गई.

शान मोहम्मद अपने 4-सदस्यीय परिवार के साथ फिलहाल कानपुर देहात में हैं.

मोहम्मद ने दिप्रिंट को बताया, जैसे ही उन्होंने घटना का वीडियो देखा, वे डर गए और “अपनी जान बचाने के लिए वहां से चले गए”. उन्होंने कहा, “वीडियो देखने के बाद, मैंने देखा कि मेरे आस-पास के घर खाली थे. डर के मारे मैं भी अपने बच्चों के साथ चला गया. उस पल ऐसा लगा कि हमें बस अपनी जान बचानी है.”

हालांकि, उन्होंने कहा कि संगम विहार में स्थिति सामान्य होने के बाद वह वापस लौटना चाहते हैं, जहां वह पीते 20 साल से रह रहे हैं.

इसी तरह, इसरार अली और उनके परिवार के सदस्यों ने दक्षिण दिल्ली में एक रिश्तेदार के घर शरण ली, उन्हें भी डर था कि अगर स्थिति बिगड़ी तो उनका घर भी हिंसा की चपेट में आ जाएगा.

परिवार दो दिन बाद अपने घर लौट आया. अली ने बताया, “अभी भी कई लोग वापस नहीं आए हैं. धीरे-धीरे लोग अपने घरों को लौट रहे हैं क्योंकि स्थिति थोड़ी शांत हो गई है.”

कहा जाता है कि करीब 12 परिवार अपने घर छोड़ चुके हैं, जबकि स्थानीय पुलिस को अपनी जांच में अभी तक “कोई ठोस सबूत” नहीं मिला है.

स्थानीय निवासी सीमा सोनी, जिनका घर मंदिर से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित है, ने कहा कि आसपास के लोग हाल ही में अपने घरों से कम ही बाहर निकल रहे हैं.

उनके अनुसार, जब उनके पड़ोसियों ने उन्हें स्थिति के बारे में बताया, तो वे स्तब्ध रह गईं और उन्हें यकीन नहीं हुआ. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “पड़ोस के लोग बहुत डरे हुए हैं. घटना के बाद से लोग अपने घरों से कम ही बाहर निकल रहे हैं. पुलिस अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है.”

एक अन्य निवासी मोहम्मद मुदस्सर ने कहा, “लोगों में डर फैल गया है. घटना के तुरंत बाद हुई घटनाओं ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है, जिससे लोग अपने घर छोड़कर चले गए हैं.”

संगम विहार स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) सरोज तिवारी इस घटना के बारे में कुछ भी बोलने से कतराते रहे.

तिवारी ने दिप्रिंट को बताया, “पुलिस कर्मी अपना काम कर रहे हैं. हम मामले की जांच कर रहे हैं. मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकती, क्योंकि मुझे बोलने का अधिकार नहीं है.”

स्थानीय आम आदमी पार्टी (आप) विधायक दिनेश मोहनिया ने दावा किया कि वह पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के लगातार संपर्क में हैं और उन्होंने दोषियों की जल्द गिरफ्तारी का अनुरोध किया है.
मोहनिया के अनुसार, उन्होंने दो बार इलाके का दौरा किया है और दोनों समुदायों के लोगों से मिलकर शांति और समझ की अपील की है.

उन्होंने कहा, “फिलहाल इलाके में शांति है. हालांकि, पुलिस अभी भी अपराधियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है.”


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नफरती भाषण

गुरुवार की घटना के बाद रविवार को संगम विहार में हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस बीच, इलाके में भाजपा का पटका पहने एक व्यक्ति का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उसे पुलिस के सामने मुसलमानों को जान से मारने की धमकी देते हुए सुना जा सकता है. इसके बाद संगम विहार के मुसलमानों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और अपना डर ​​ज़ाहिर किया.

हालांकि, दक्षिण दिल्ली भाजपा अध्यक्ष राज कुमार चोटेला ने दावा किया कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति उनकी पार्टी से जुड़ा नहीं है और संगम विहार का नहीं है.

फरीदाबाद के विजय गुप्ता के रूप में पहचाने गए व्यक्ति ने कहा कि उन्होंने मौखिक रूप से डीसीपी अंकित चौहान के पास शिकायत दर्ज कराई है और उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी इस बारे में जानकारी दी है.

इस बीच, संगम विहार के एक निवासी, जिन्होंने पुलिस में नफरत फैलाने वाले भाषण की शिकायत दर्ज कराई है, ने बताया कि इस भड़काऊ भाषण से दोनों समुदायों के लोगों को नुकसान पहुंचा है.

शिकायतकर्ता ने दिप्रिंट को बताया, “इस इलाके में दोनों समुदायों के लोग दशकों से सौहार्दपूर्ण तरीके से रह रहे हैं. जिस तरह का भाषण दिया गया, हमने अपनी शिकायत के माध्यम से प्रशासन को सूचित किया है कि इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए.”

विधायक मोहनिया ने सवाल उठाया कि जब पुलिस अभी भी मामले की जांच कर रही थी, तो आरोपियों को कैसे पता चला कि इसमें मुस्लिम शामिल थे.

आप नेता ने कहा, “बिना जांच के आप किसी समुदाय को कैसे दंडित कर सकते हैं? ऐसा लगता है कि इलाके में शांति भंग करने के लिए जानबूझकर ऐसी हरकतें की गई हैं.”

मोहनिया ने जांच की गति पर भी असंतोष जताया.

उन्होंने बताया कि इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों में घटना की फुटेज नहीं आ पाई, क्योंकि वे सही तरीके से नहीं लगे थे.

हालांकि, स्थानीय निवासी पुलिस के प्रयासों से संतुष्ट हैं, लेकिन उन्होंने दोषियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की.

उक्त शिकायतकर्ता ने कहा, “हम हिंदू और मुस्लिम मिलकर इस इलाके को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं…प्रशासन को इलाके में बाहरी लोगों के आने पर प्रतिबंध लगाना होगा.”

23 जून को हिंदू संगठनों ने इलाके में मार्च निकालने का प्रस्ताव रखा था, जिसकी पुलिस ने अनुमति नहीं दी. उसी दिन कुछ मुसलमानों ने एसएचओ को एक और शिकायती पत्र सौंपा, जिसमें गोहत्या की घटना की निंदा की गई और उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया गया.

शिकायत में कहा गया है, “मुस्लिम समुदाय अपने हिंदू भाइयों के साथ हर संभव तरीके से खड़ा रहेगा — शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और पूरी ताकत से.”

शिकायत में कहा गया है कि दोनों समुदायों के स्थानीय नेता पड़ोस में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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