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Friday, 22 November, 2024
होमदेशCM धामी की PM मोदी से मुलाकात, उत्तराखंड में प्रस्तावित तीन टनल परियोजनाओं की स्वीकृति का किया अनुरोध

CM धामी की PM मोदी से मुलाकात, उत्तराखंड में प्रस्तावित तीन टनल परियोजनाओं की स्वीकृति का किया अनुरोध

धामी ने मोदी को राज्य के विकास से संबंधित विभिन्न विषयों की जानकारी दी और कहा कि राज्य के सामाजिक एवं आर्थिक विकास हेतु जल विद्युत परियोजनाएं राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि का मुख्य कारक है.

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नई दिल्ली: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट कर उन्हें तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री का दायित्व संभालने पर हार्दिक शुभकामनाएं दी.

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में देश समग्र विकास के नए आयाम प्राप्त कर सम्पूर्ण विश्व में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करने में सफल होगा. इस मौके पर सीएम ने पीएम मोदी को महासू मंदिर की प्रतिकृति भेंट की.

धामी ने मोदी को राज्य के विकास से संबंधित विभिन्न विषयों की जानकारी दी और कहा कि राज्य के सामाजिक एवं आर्थिक विकास हेतु जल विद्युत परियोजनाएं राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि का मुख्य कारक है.

उन्होंने कहा, राज्य की विद्युत ऊर्जा ज़रूरतों की पूर्ति हेतु उत्तराखंड को खुले बाज़ार से प्रतिवर्ष लगभग 1000 करोड़ की ऊर्जा क्रय करनी पड़ती है, जिससे राज्य के वित्तीय संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है.

सीएम ने अलकनंदा, भगीरथी तथा सहायक नदियों में प्रस्तावित 24 जल विद्युत परियोजनाओं के बारे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित विशेषज्ञ समिति-2 की अंतिम रिपोर्ट पर जल शक्ति मंत्रालय तथा विद्युत मंत्रालय के साथ पुर्नसमीक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री से अनुरोध किया.

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से यह भी अनुरोध किया कि उत्तराखंड राज्य की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत राज्य में भारत सरकार तथा उनकी एजेन्सियों के द्वारा सड़क निर्माण परियोजना को सुचारू रूप से क्रियान्वित किए जाने हेतु क्षतिपूरक वृक्षारोपण हेतु उपयुक्त भूमि के चयन में कठिनाई हो रही है, क्योंकि वर्तमान में प्रचलित वन संरक्षण एवं सवंर्धन नियम, तथा गाईडलाईन 2023 के अनुसार, उपरोक्त प्रयोजन हेतु केवल गैर-वन भूमि को आधार बनाया गया है, जिसमें समतुल्य गैर वन भूमि में क्षतिपूरक वृक्षारोपण किया जा सकता है. इसमें यह भी प्राविधान किया गया है कि राजस्व विभाग के अभिलेख में दर्ज वन भूमि जो वन विभाग के नियत्रंण में नहीं है, में दो गुना वन भूमि पर क्षतिपूरक वृक्षारोपण किया जा सकता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड 67 प्रतिशत वन आच्छादित क्षेत्र है. राज्य के विकास कार्यों के लिए भूमि की उपलब्धता कम है. उत्तराखंड राज्य, अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे एक सामरिक महत्व रखने वाला राज्य है. इसके महत्व के दृष्टिगत राज्य में स्थित वन भूमि में भारत सरकार के विभिन्न संस्थानों एनएचएआई, बीआरओ, आईटीबीपी, रेलवे एवं सेना विभाग के द्वारा सड़क तथा अन्य संरचनाओं के निर्माण में वन संरक्षण एवं सवंर्धन अधिनियम, 2023 के तहत भूमि की अनउपलब्धता के कारण अनुमोदन प्राप्त किए जाने में विलंब हो रहा है.

इस संबंध में मुख्यमंत्री ने पुनः स्पष्ट किया कि उत्तराखंड के विशिष्ठ भौगोलिक परिस्थितियों एवं सामरिक महत्व के दृष्टिगत भारत सरकार के उपक्रमों द्वारा कराए जा रहे गैर वानिकी परियोजना हेतु अधिसूचित नियम, 2017 की व्यवस्था को यथावत रखते हुए पहले की तरह राज्य में उपलब्ध ‘अधिसूचित अवनत वन भूमि’ (आरक्षित एवं संरक्षित वन) में क्षतिपूरक वृक्षारोपण कराए जाने तथा इन सभी प्रयोजन के लिए गतिमान वन भूमि हस्तांतरण प्रस्तावों पर संबंधित मंत्रालय को अनुमोदन प्रदान करने हेतु निर्देशित करने का अनुरोध प्रधानमंत्री मोदी से मुख्यमंत्री ने किया है.

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से उत्तराखंड में रेल सेवाओं के विस्तार के लिए देहरादून-मसूरी रेल लाईन परियोजना की स्वीकृति रेल मंत्रालय से करवाने के लिए अनुरोध किया.

उत्तराखंड में प्रस्तावित ज्योलिकांग -वेदांग 05 किमी, सीपू-तोला 22 किमी और मिलम- लैपथल 30 किमी टनल परियोजनाओं की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति का अनुरोध भी प्रधानंमंत्री से किया.


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