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Monday, 25 November, 2024
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संस्कृत बोलने वाले गांवों को विकसित करना नए मानव संसाधन मंत्री की प्रिय परियोजना है

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुमानित पांच करोड़ छात्र स्कूल स्तर पर संस्कृत का अध्ययन करते हैं जबकि 10 लाख के करीब उच्च स्तर की शिक्षा में.

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नई दिल्ली: संस्कृत भाषा बोलने वाले गांव विकसित करना नए मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की पहली प्राथमिकता है. गांव संस्कृत-शिक्षण संस्थानों के पास स्थित होंगे और मंत्रालय ग्रामीणों या आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भाषा सिखाने के लिए ट्यूटर की भर्ती करेगा. इनमें से दो संस्कृत गांव दिल्ली में ही बनाने की योजना है.

भारत में केंद्र सरकार द्वारा संचालित तीन संस्कृत विश्वविद्यालय हैं, जिनमें दो दिल्ली में ही हैं. राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान और श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ दिल्ली में स्थित हैं, जबकि राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ आंध्र प्रदेश के तिरुपति में है. मंत्रालय अभी गांवों के नामों को अंतिम रूप नहीं दे रहा है लेकिन इसने संस्कृत विश्वविद्यालयों के प्रमुखों के साथ योजना पर काम करना शुरू कर दिया है.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘विचार यह है कि संस्कृत संस्थानों के शिक्षक कक्षाओं में जाकर किसी गांव या आसपास के क्षेत्र के लोगों को भाषा सिखाएंगे. यह प्राचीन भाषा के प्रचार के लिए किया जा रहा है. हम पहले से ही संस्थानों के साथ बातचीत कर रहे हैं और जल्द ही एक योजना पर काम शुरू करेंगे,’ पोखरियाल, जब वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे, ने राज्य में संस्कृत भाषी भंटोला गांव को गोद लिया था. भंटोला के निवासी हिंदी और संस्कृत दोनों का उपयोग एक-दूसरे से संवाद करने के लिए करते हैं. भंटोला के अलावा, भारत में कम से कम सात अन्य गांव हैं जहां लोग संस्कृत का उपयोग संचार की भाषा के रूप में करते हैं.


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पोखरियाल ने मंत्रालय के भाषा विभाग के साथ अपनी पहली बैठक में संस्कृत-भाषी गांवों को विकसित करने का विचार रखा था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि उच्च योग्य शिक्षकों को संस्कृत संस्थानों में लगाया जाना चाहिए और भाषा को बढ़ावा देने के लिए शोध को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

पोखरियाल की आने वाले वर्षों में ‘भाषा भवन’ बनाने की भी योजना है’ – एक इमारत जिसमें सभी भारतीय भाषा संस्थानों का एक कार्यालय होगा.

पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में संस्कृत

वर्तमान में स्कूल स्तर पर कक्षा 1 से 12 तक कई राज्यों में संस्कृत पढ़ाई जा रही है. उदाहरण के लिए, केरल में कक्षा 1 से अपनी एक भाषा के रूप में संस्कृत है, उत्तराखंड कक्षा 3 से भाषा प्रदान करता है.

कई राज्य बोर्ड कक्षा 6 से 10 तक अपने तीन-भाषा फॉर्मूला के भाग के रूप में संस्कृत की पेशकश करते हैं, और कक्षा 11 और 12 में दूसरी वैकल्पिक भाषा के रूप में. कॉलेज और विश्वविद्यालयों में भी स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर भाषा की पेशकश की जाती है.

लगभग 120 विश्वविद्यालय यूजी और पीजी स्तरों पर संस्कृत प्रदान करते हैं. केंद्र सरकार द्वारा संचालित तीन सहित 15 संस्कृत विश्वविद्यालय हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुमानित पांच करोड़ छात्र स्कूल स्तर पर संस्कृत का अध्ययन करते हैं. 10 लाख के करीब छात्र उच्च स्तर की शिक्षा में भाषा का अध्ययन करते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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