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Friday, 20 December, 2024
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हिमाचल प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने 6 में से जीतीं 4 सीटें, हासिल किया बहुमत

कांग्रेस की मौजूदा सीटें 34 से बढ़कर 38 हो गई हैं. दो सीटों पर जीत के बाद भाजपा की सीटों की संख्या 27 हो गई है.

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शिमला: हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव में छह में से चार सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, जिससे 68 सदस्यीय विधानसभा में उसे बहुमत हासिल हो गया है, जो कि तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा में सदस्यों की संख्या घटकर 65 रह गई है.

अब पार्टी की मौजूदा सीटें 34 सीटों से बढ़कर 38 हो गई हैं. उपचुनाव में दो सीटों पर जीत के बाद भाजपा की सीटों की संख्या 27 हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में प्रचार करते हुए कहा था कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार जल्द ही चली जाएगी.

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के गृह क्षेत्र सुजानपुर में कांग्रेस के रंजीत राणा ने भाजपा के राजिंदर राणा को 2,174 मतों के अंतर से हराया. सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य उम्मीदवारों विवेक शर्मा ने ऊना के कुटलैहर में देविंदर भुट्टो को 4,272 मतों से हराया और राकेश कालिया ने भाजपा के चैतन्य शर्मा को 7,970 मतों से हराया.

पिछले पांच दशकों में लाहौल स्पीति से पहली महिला उम्मीदवार, कांग्रेस की अनुराधा राणा ने भाजपा के बागी रामलाल मारकंडा को 786 मतों के अंतर से हराया और भाजपा के रवि ठाकुर 2,934 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

धर्मशाला में भाजपा के सुधीर शर्मा ने कांग्रेस के देविंदर जग्गी को हराया, जबकि बड़सर में इंद्र दत्त लखनपाल ने सुभाष चंद को हराया.

रणजीत राणा 2022 के विधानसभा चुनाव में सुजानपुर से तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार राजिंदर राणा से हार गए थे. राजिंदर राणा ने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर 2017 में भाजपा के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल को हराया था, जब वे सीएम उम्मीदवार थे. हमीरपुर जिले में एक वोट पीएम के लिए (केंद्र में भाजपा सरकार चुनने के लिए अनुराग ठाकुर को वोट दें) और एक वोट सीएम के लिए (सीएम सुखविंदर सिंह की सरकार बचाएं) का मौन अभियान चलाया गया.

एक अन्य दलबदलू राकेश कालिया ने चैतन्य शर्मा को 7,970 मतों के अंतर से हराया.

लोकसभा चुनावों के अलावा, राज्य में छह विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव हुए, जो मार्च में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा के हर्ष महाजन को वोट देने वाले छह कांग्रेसी बागी विधायकों की अयोग्यता के कारण ज़रूरी हो गए थे, जिसके कारण कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की हार हुई. राजनीतिक संकट ने 68 सदस्यीय सदन में कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 से घटाकर 34 कर दी और सुक्खू सरकार को बहुमत का आंकड़ा पार करने के लिए कम से कम एक विधायक की ज़रूरत थी.

राजनीतिक विश्लेषक एमपीएस राणा ने दिप्रिंट को बताया कि भाजपा जादुई आंकड़े के करीब पहुंचने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, “तीन निर्दलीय और छह बागियों की मदद से भाजपा अपनी संख्या को मौजूदा 25 से बढ़ाकर 34 करने की कोशिश कर रही थी. भाजपा को उम्मीद थी कि वह निर्दलीयों द्वारा खाली की गई तीन सीटों के अलावा सभी छह सीटों पर जीत हासिल कर लेगी.

लेकिन सरकार फिलहाल सुरक्षित है.” धर्मशाला में 71.2 प्रतिशत, लाहौल स्पीति में 75.09 प्रतिशत, सुजानपुर में 73.76 प्रतिशत, बड़सर में 71.69 प्रतिशत, गगरेट में 75.14 प्रतिशत और कुटलैहड़ में 1 जून को 76.89 प्रतिशत मतदान हुआ. इन सभी सीटों पर महिला मतदाताओं का प्रतिशत पुरुष मतदाताओं से अधिक है.

राज्यसभा चुनाव में क्या हुआ?

छह कांग्रेस विधायकों – सुधीर शर्मा (धर्मशाला), राजिंदर राणा (सुजानपुर) रवि ठाकुर (लाहौल स्पीति), देविंदर भुट्टो (कुटलैहड़), चैतन्य शर्मा (गगरेट), इंद्र दत्त लखनपाल (बरसर) – ने फरवरी में राज्यसभा के लिए भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट दिया था, जो एक समय कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के करीबी सहयोगी थे.

इस वित्तीय वर्ष के बजट को पारित करने के लिए कांग्रेस द्वारा जारी किए गए व्हिप के बावजूद उनमें से कोई भी अगले दिन विधानसभा में उपस्थित नहीं हुआ. वे सभी, तीन निर्दलीय विधायकों के साथ – जिनके इस्तीफे सोमवार को स्वीकार किए गए – एक महीने तक राज्य से बाहर रहे.

इस बीच, संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान द्वारा दायर अयोग्यता याचिका पर तेजी से कार्रवाई करते हुए, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने 29 फरवरी को दलबदल विरोधी कानून के तहत छह कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया.

बागी 23 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें छह विधानसभा सीटों पर घोषित उपचुनावों के लिए मैदान में उतारा. 2022 में कांग्रेस ने 68 सदस्यीय सदन में 40 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा को 25 सीटें मिलीं और तीन निर्दलीय विधानसभा पहुंचे. राज्यसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की संख्या घटकर 34 रह गई, जबकि भाजपा का दावा है कि कांग्रेस सरकार किसी भी दिन गिर जाएगी और वह जल्द ही सरकार बनाएगी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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