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Friday, 22 November, 2024
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भाजपा और कांग्रेस के हर 4 में से 1 लोकसभा उम्मीदवार राजनीतिक विरासत के

चुनावी गैर-लाभकारी संस्था प्रजातंत्र फाउंडेशन के विश्लेषण से पता चला है कि कुल 209 उम्मीदवार अपनी पारिवारिक विरासत के कारण राजनीति में आए हैं. इनमें से ज़्यादातर दूसरी पीढ़ी के राजनेता हैं.

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नई दिल्ली: चुनाव गैर-लाभकारी संस्था प्रजातंत्र फाउंडेशन के एक विश्लेषण के मुताबिक, 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के हर चार में से एक उम्मीदवार अपनी पारिवारिक विरासत के कारण राजनीति में आए हैं. दोनों पार्टियों ने मिलकर 768 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिनमें से 209 की राजनीतिक विरासत है. इस विश्लेषण को अभी तक जारी नहीं किया गया है.

उनमें से ज़्यादातर दूसरी पीढ़ी के राजनेता हैं.

अपने विश्लेषण के लिए प्रजातंत्र राजनीति में पारिवारिक विरासत को इस तरह परिभाषित करता है: “जब कोई व्यक्ति अपने पारिवारिक संबंधों या राजनीतिक क्षेत्र में पहले से स्थापित रिश्तेदारों से जुड़ाव के कारण राजनीति में प्रवेश करता है, जिससे उन्हें नेटवर्क और संसाधनों तक पहुंच जैसे लाभ मिलते हैं.”

विश्लेषण ऐसे उम्मीदवारों को दूसरी, तीसरी या चौथी पीढ़ी के राजनेताओं या किसी राजनेता के रिश्तेदार में विभाजित करता है.

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मामले में जिसने अक्सर अपने प्रतिद्वंद्वियों की ‘वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देने’ के लिए आलोचना की है, एक चौथाई उम्मीदवार अपनी पारिवारिक विरासत के कारण राजनीति में आए हैं. मौजूदा चुनाव में इसने जिन 442 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, उनमें से 110 (24.88 प्रतिशत) की राजनीतिक विरासत है.

यह कांग्रेस के 30.36 प्रतिशत उम्मीदवारों के मुकाबले है.

प्रजातंत्र की शोध निदेशक श्वेता शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, “वंशवादी पृष्ठभूमि से आने वाले उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि का एक प्रमुख कारण संसाधनों तक उनकी पहुंच है. पिछले कुछ साल में चुनाव लड़ना वित्तीय संसाधनों, प्रभावशाली नेटवर्क और मीडिया एक्सपोजर पर निर्भर होता जा रहा है. वंशवादी उम्मीदवारों के लिए ये हासिल करना विनम्र या गैर-वंशवादी पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्तियों की तुलना में आसान है.”

उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में वंशवादियों के लंबे समय तक बने रहने से सत्ता कुछ ही हाथों में सिमट गई है और योग्यता के दायरे में कमी आई है. उन्होंने आगे कहा: “गैर-वंशवादी पृष्ठभूमि से आने वाले योग्य और सक्षम नेताओं को अक्सर इसके कारण नज़रअंदाज कर दिया जाता है.”


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दुष्यंत सिंह से अनुराग ठाकुर तक — BJP के राजनीतिक उत्तराधिकारी

भाजपा के उम्मीदवारों की सूची पर करीब से नज़र डालने से पता चलता है कि राजनीतिक विरासत वाले इसके 110 उम्मीदवारों में से 69 दूसरी पीढ़ी के राजनेता हैं. उदाहरण के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज नई दिल्ली सीट से अपनी राजनीतिक शुरुआत कर रही हैं. बी.वाई. राघवेंद्र और राव इंद्रजीत सिंह जैसे उम्मीदवार क्रमशः पूर्व मुख्यमंत्रियों, बी.एस. येदियुरप्पा (कर्नाटक) और राव बीरेंद्र (हरियाणा) के बेटे हैं.

इस साल की शुरुआत में कांग्रेस से अलग हुए रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते हैं. उन्हें भी दूसरी पीढ़ी के राजनेता के रूप में गिना जाता है.

भाजपा की उम्मीदवार सूची में दूसरी पीढ़ी के अन्य उल्लेखनीय राजनेता केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल और किरेन रिजिजू हैं.

इस बीच, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, दुष्यंत सिंह (राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे) और ज्योति मिर्धा तीसरी पीढ़ी के राजनीतिक नेता हैं. भाजपा में शामिल होने से पहले सिंधिया और मिर्धा कांग्रेस में वरिष्ठ नेता थे. इस बीच, भारती पवार (पूर्व मंत्री अर्जुन पवार की पुत्रवधू), सी.एन. मंजूनाथ (पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के दामाद), परनीत कौर (पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी), कलाबेन डेलकर (पूर्व सांसद मोहन डेलकर की पत्नी) और अन्नासाहेब जोले (कर्नाटक की पूर्व मंत्री शशिकला जोले के पति) सभी भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में शामिल हैं और अपने “रिश्तेदारों” के कारण राजनीति में आए हैं.

राहुल गांधी चौथी पीढ़ी के राजनेता — कांग्रेस की सूची

कांग्रेस पार्टी, जो अक्सर गांधी परिवार को लेकर उपहास का पात्र बनती है, में ऐसे उम्मीदवारों का प्रतिशत और भी अधिक है. इसके 326 उम्मीदवारों में से 99 की राजनीतिक विरासत है.

गौरतलब है कि राहुल गांधी इस सूची में चौथी पीढ़ी के एकमात्र राजनेता हैं. वे केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के रायबरेली दोनों जगहों से चुनाव लड़ रहे हैं.

निष्कर्षों के अनुसार, 80 कांग्रेस उम्मीदवार दूसरी पीढ़ी के राजनेता हैं. इसमें नकुल नाथ (कमलनाथ के बेटे), वैभव गहलोत (अशोक गहलोत के बेटे), विक्रमादित्य सिंह (दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे), वाई.एस. शर्मिला (दिवंगत वाई.एस. राजशेखर रेड्डी की बेटी), प्रणीति शिंदे (सुशील कुमार शिंदे की बेटी) और गौरव गोगोई (दिवंगत तरुण गोगोई के बेटे) जैसे नाम शामिल हैं — ये सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों के बच्चे हैं.

पार्टी ने कम से कम चार तीसरी पीढ़ी के राजनीतिक नेताओं को भी अपना उम्मीदवार उतारा है. पटना साहिब से इसके उम्मीदवार अंशुल अविजित मीरा कुमार के बेटे और बाबू जगजीवन राम के पोते हैं. कर्नाटक के हासन से उम्मीदवार एम. श्रेयस पटेल एस.जी. अनुपमा के बेटे और पूर्व सांसद जी. पुट्टस्वामी गौड़ा के पोते हैं और दीपेंद्र हुड्डा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के बेटे और कांग्रेस नेता रणबीर सिंह हुड्डा के पोते हैं.

बिरेश ठाकुर छत्तीसगढ़ के कांकेर से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. प्रजातंत्र के अनुसार, ठाकुर के पिता और दादा दोनों मध्य प्रदेश में पूर्व विधायक रहे हैं.

इस बीच, राधाकृष्ण (कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के दामाद), डी.के. सुरेश (कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के भाई) और ज्योत्सना महंत (पूर्व केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत की पत्नी) सभी कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची में शामिल हैं, जिनके रिश्तेदार प्रमुख राजनेता हैं.

कार्यप्रणाली

2024 के लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद प्रजातंत्र इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करने के लिए तैयार है.

प्रजातंत्र के अनुसार, यह अध्ययन प्राथमिक और द्वितीयक दोनों तरह के शोध पर आधारित है और इसमें कई तरह के संसाधन शामिल हैं — जिसमें उम्मीदवारों के हलफनामे, उनकी टीमें, स्ट्रिंगर नेटवर्क, समाचार खबरें और उम्मीदवारों पर लेख शामिल हैं. “यह दृष्टिकोण देश में राजनीतिक प्रवेश के लिए उम्मीदवार के मार्गों की विस्तृत रूपरेखा सुनिश्चित करता है.”

प्रजातंत्र एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसका प्राथमिक उद्देश्य राजनीतिक प्रवेश में आने वाली बाधाओं को कम करना और बेहतर शासन के लिए चुनावी भागीदारी को सुविधाजनक बनाना है.

इसकी वेबसाइट पर कहा गया है, “हमारा मिशन राजनीतिक प्रवेश को लोकतांत्रिक बनाना और सभी महत्वाकांक्षी नेताओं के लिए समान अवसर खोलना है, जिससे समावेशी शासन और लोकतांत्रिक भागीदारी के एक नए युग की शुरुआत हो सके.” साथ ही, इसका प्राथमिक ध्यान “योग्य लोगों के लिए चुनाव लड़ना आसान बनाकर शासन की गुणवत्ता में सुधार करना” है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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