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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशहत्या के मामले में बरी होने के बावजूद भी आखिर क्यों गुरमीत राम रहीम जेल में रहेंगे

हत्या के मामले में बरी होने के बावजूद भी आखिर क्यों गुरमीत राम रहीम जेल में रहेंगे

हालांकि, रंजीत सिंह हत्या मामले में बरी होने के बावजूद डेरा प्रमुख दो साध्वियों से कथित बलात्कार के लिए 20 साल की कैद और पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.

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गुरुग्राम: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा रंजीत सिंह हत्या मामले में बरी होने के बावजूद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह रोहतक की सुनारिया जेल में ही रहेंगे क्योंकि उन्हें दो अन्य मामलों में दोषी ठहराया गया है जिसमें दो पूर्व डेरा साध्वियों से बलात्कार और पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या शामिल है.

न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और ललित बत्रा की खंडपीठ ने पूर्व डेरा अधिकारी रंजीत सिंह की हत्या के मामले में विशेष सीबीआई अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के खिलाफ राम रहीम सिंह और चार अन्य द्वारा दायर अपील को मंगलवार को स्वीकार कर लिया.

अक्टूबर 2021 में, विशेष सीबीआई अदालत ने माना था कि यह संदेह से परे साबित हो चुका है कि राम रहीम एक पत्र के सर्कुलेट होने से परेशान महसूस कर रहे थे, जिसमें उनके खिलाफ अपने शिष्यों का यौन शोषण करने और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर रंजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने के आरोप लगाए गए थे.

हालांकि, हाईकोर्ट ने राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा के चार पदाधिकारियों को बरी कर दिया और जांच में कई खामियों का उल्लेख किया.

लेकिन, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख अपनी दो शिष्याओं से बलात्कार के आरोप में 20 साल की जेल की सज़ा काट रहे हैं. वह पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या के लिए भी दोषी हैं, जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी, जो उनकी 20 साल की सज़ा पूरी होने के बाद भी जारी रहेगी.

गुमनाम पत्र, दो मामले

सीबीआई के अनुसार, रंजीत सिंह राम रहीम के डेरे में प्रबंधक था और उसके परिवार के सदस्य डेरा प्रमुख के शिष्य थे. 2002 में, एक गुमनाम पत्र प्रसारित किया गया था जिसमें राम रहीम पर डेरा साध्वियों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया गया था. रंजीत सिंह ने प्रबंधक के पद से इस्तीफा दे दिया और अपने परिवार के सदस्यों के साथ डेरा छोड़ दिया.

सीबीआई के आरोपपत्र में कहा गया है कि राम रहीम को संदेह था कि रंजीत सिंह, जिनकी बहन भी डेरा में साध्वी थी, उस गुमनाम पत्र के पीछे था. आरोपपत्र में कहा गया है कि रंजीत सिंह को डेरा में बुलाया गया था और उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी, हालांकि उन्होंने पत्र के पीछे किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया था. बाद में 10 जुलाई, 2002 को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.

बाद में, यह गुमनाम पत्र सिरसा से प्रकाशित होने वाले एक संध्याकालीन दैनिक पूरा सच में प्रकाशित हुआ. पत्र प्रकाशित होने के पांच दिन बाद 24 अक्टूबर 2002 को पूरा सच के संपादक राम चंद्र छत्रपति को उनके आवास के बाहर दो डेरा अनुयायियों ने गोली मार दी. बाद में, 21 नवंबर को गोली लगने से उनकी मौत हो गई.

हाई कोर्ट द्वारा राम रहीम के खिलाफ मामलों की सीबीआई जांच के आदेश दिए जाने के बाद ही उसके खिलाफ जांच शुरू हुई.

अगस्त 2017 में, राम रहीम को बलात्कार के दो मामलों में दोषी ठहराया गया और 20 साल कैद की सजा सुनाई गई. जनवरी 2019 में, एक विशेष सीबीआई अदालत ने उसे छत्रपति की हत्या के लिए दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई, इस शर्त के साथ कि बलात्कार के मामले में 20 साल की कैद पूरी होने के बाद यह सजा शुरू होगी. डेरा प्रमुख ने दोनों मामलों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की और उनकी अपील लंबित है.

राम रहीम पर 400 से अधिक पुरुष अनुयायियों को यह कहकर नपुंसक बनाने के लिए मजबूर करने का भी आरोप है कि इससे उन्हें भगवान की प्राप्ति होगी. जुलाई 2012 में डेरा के अनुयायी हंस राज चौहान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि 1999 से 2000 के बीच 400 से ज़्यादा लोगों के साथ उनका भी सर्जिकल बंध्याकरण किया गया था.

इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर 2015 में राम रहीम के खिलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. तीन साल बाद सीबीआई ने राम रहीम के खिलाफ़ चार्जशीट दाखिल की. ​​कथित अपराध के समय शाह सतनाम जी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में काम करने वाले दो डॉक्टरों को भी आरोपी बनाया गया. यह मामला अभी भी पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत में विचाराधीन है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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