समस्तीपुर (बिहार): पटना से 80 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित एक धूल भरा शहर, समस्तीपुर जनवरी में उस समय सुर्खियों में था जब बिहार के दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था, जिनका जन्म इसी क्षेत्र में हुआ था.
जैसे-जैसे यह संसदीय क्षेत्र 13 मई को लोकसभा मतदान के लिए तैयार हो रहा है, निर्वाचन क्षेत्र में फिर से उत्साह की लहरें हैं क्योंकि जनता दल (यूनाइटेड) के मंत्रियों के परस्पर विरोधी हित सामने आ रहे हैं. कांग्रेस ने सनी हज़ारी को टिकट दिया है और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) शांभवी कुणाल चौधरी का समर्थन कर रही है.
समस्तीपुर के पूर्व सांसद, जेडी (यू) मंत्री महेश्वर हज़ारी एलजेपी के संस्थापक दिवंगत राम विलास पासवान के चचेरे भाई हैं, जिनके बेटे चिराग पासवान अब एलजेपी (आरवी) के प्रमुख हैं. हज़ारी अक्सर रात में अंधेरे की आड़ में अपने बेटे सनी के लिए उन गांवों में प्रचार कर रहे हैं, जहां उनकी जाति के सदस्यों, पासवानों का वर्चस्व है, कई जद (यू) नेताओं ने दिप्रिंट से इसकी पुष्टि की है.
दूसरी ओर, शांभवी जदयू के एक अन्य मंत्री अशोक चौधरी की बेटी हैं.
चौधरी बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री हैं, जबकि हज़ारी के पास सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का प्रभार है.
यह वो सबप्लॉट है जो लोगों को बिहार के इस नींद से भरे शहर में सड़कों के किनारे फेंके गए कूड़े के ढेर, खुली नालियों, भीड़भाड़ वाली सड़कों से पॉलीथीन की थैलियों को चबाने वाले आवारा मवेशियों के परिचित दृश्यों के साथ-साथ गरीबी, बेरोज़गारी और कृषि संकट की कहानियों से परिचित करा रही है.
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शांभवी पर लगा ‘बाहरी’ का टैग
लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएट और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पोस्ट ग्रेजुएट शांभवी को शुरू से ही परेशानी का सामना करना पड़ा है क्योंकि उनकी उम्मीदवारी के बाद एलजेपी (आरवी) के कईं नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है.
शांभवी के खिलाफ एक और बार-बार दोहराया जाने वाला आरोप यह है कि वे एक ‘हेलीकॉप्टर (एलजेपी (आरवी) पार्टी का चिन्ह)’ उम्मीदवार हैं — जो ‘बाहरी’ के लिए एक टैग है.
उनके एक अभियान प्रबंधक ने दिप्रिंट को बताया कि शांभवी अपनी उम्मीदवारी की घोषणा होते ही “स्थायी रूप से” समस्तीपुर में रहने आ गई हैं और वे रोज़ाना गांवों का दौरा कर रही हैं.
चिराग पासवान ने 2015 में जेडी(यू) की सीटों की संख्या को 71 विधानसभा सीटों से घटाकर 2020 में 43 सीटों पर लाने में अहम भूमिका निभाई थी. जेडी(यू) प्रमुख नीतीश कुमार ने 2021 में चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व में लोजपा को दो गुटों में विभाजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
हालांकि, चिराग राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर एलजेपी और जेडीयू कार्यकर्ताओं के बीच कड़वाहट दूर नहीं हुई है. इसे और अधिक जटिल बनाते हुए शांभवी को पारस के नेतृत्व वाले गुट के मौजूदा सांसद प्रिंस राज के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर से निपटना होगा.
जेडीयू के महेश्वर हज़ारी ने 2021 में एलजेपी के विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जेडीयू नेताओं का कहना है कि चिराग ने उन्हें इसके लिए माफ नहीं किया है. कांग्रेस द्वारा सनी हज़ारी की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद चिराग ने कहा था, “कांग्रेस उम्मीदवार के पिता ने हमेशा मेरे पिता के खिलाफ काम किया और मेरे परिवार को भी विभाजित किया.”
एलजेपी (आरवी) के एक पदाधिकारी ने कहा, “हम जानते हैं कि उन्होंने परिवार और पार्टी में विभाजन कैसे करवाया. हमारे पास उस बैठक में मौजूद उनके वीडियो उपलब्ध हैं, जहां सब कुछ की योजना बनाई गई थी. हज़ारी ने (चुनावी) टिकट मांगने के लिए मुझसे संपर्क किया, लेकिन मैं चिरागजी को इसका प्रस्ताव देने का साहस नहीं जुटा सका.”
दिप्रिंट ने महेश्वर हज़ारी से मोबाइल पर संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. उनके एक कर्मचारी ने कहा कि वो “बेहद व्यस्त” हैं और इसलिए, मिल नहीं पाएंगे या बात नहीं कर पाएंगे.
समस्तीपुर और पटना में जद (यू) नेता मानते हैं कि अपने बेटे के अभियान में हज़ारी की व्यक्तिगत रुचि के कारण, समस्तीपुर की लड़ाई तेज़ी से जद (यू) बनाम जद (यू) की लड़ाई बनती जा रही है, जहां दो वरिष्ठ नेता अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे से मुकाबला कर रहे हैं.
घटनाक्रम से वाकिफ जेडी(यू) के एक नेता ने बताया कि अशोक चौधरी ने हज़ारी से अपनी बेटी शांभवी के नामांकन के दिन साथ चलने के लिए कहा था. जेडी(यू) नेता ने बताया कि हज़ारी ने बहाना बनाकर कार्यक्रम में भाग नहीं लिया.
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ज़मीन हकीकत
जहां तक बिहार की सबसे युवा उम्मीदवारों में से एक शांभवी का सवाल है, तो इस आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र में ‘बाहरी’ के टैग के बावजूद ‘मोदी फैक्टर’ उनकी मदद कर सकता है.
इसके अलावा, जेडी (यू) प्रमुख नीतीश कुमार ने शांभवी के लिए अधिकतम समर्थन सुनिश्चित करने के लिए फीडबैक तंत्र पर काम करने के लिए कर्पूरी ठाकुर के बेटे और राज्यसभा सांसद राम नाथ ठाकुर जैसे अपने भरोसेमंद लेफ्टिनेंटों को तैनात किया है.
जेडी (यू) के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया. “एक बार जब शांभवी गांवों का दौरा पूरा कर लेती हैं, तो हम लोगों से प्रतिक्रिया की कमी और असंतोष के बारे में जानकारी इकट्ठा करते हैं. फिर, हमारे निर्वाचन क्षेत्र के वरिष्ठ नेता उनकी शिकायतों को सुनने और पार्टी के खिलाफ उनके गुस्से को शांत करने के लिए सीधे उनके पास जाने और पहुंचने की योजना बनाते हैं.”
मझरैया गांव में, जहां 25-वर्षीया उम्मीदवार अपने प्रचार के लिए रुकी थीं, 68-वर्षीय बिंदेश्वर पासवान एनडीए को अपने समर्थन का कारण बताते हैं — गरीब कल्याण अन्न योजना जैसी योजनाएं.
उनके तर्कों का समर्थन 45-वर्षीया सीता देवी और 60-वर्षीय जागो पासवान करते हैं, जो बताते हैं कि शांभवी के साथ उनकी अपरिचितता ज्यादा मायने नहीं रखेगी क्योंकि वे एक बार फिर मोदी को पीएम बनाने के लिए उन्हें वोट दे रहे हैं.
कुछ किलोमीटर दूर सरहिला और रन्ना गांवों में भी ऐसी ही भावनाएं व्याप्त हैं, जबकि कोई भी मतदाता दिप्रिंट को शांभवी के बारे में पहले देखने या सुनने के बारे में नहीं बता पाया है, उनका कहना है कि चुनाव पूरी तरह से मोदी के बारे में है.
पासवान-बहुल नारायणपुर दरिया में, जहां हज़ारी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने रात के अंधेरे में अपने बेटे सनी के लिए प्रचार किया था, वहां भी भावना एनडीए के पक्ष में है.
75-वर्षीय राम बालक पासवान ने बताया कि गांव में लगभग 1,700 वोट हैं और उनमें से अधिकांश चिराग पासवान को अपने पिता की विरासत के उत्तराधिकारी के रूप में पहचानते हैं.
65 वर्षीय राम सुंदर पासवान ने दिप्रिंट से कहा, “जब वे (रामविलास पासवान) संचार मंत्री थे, तो वे मोबाइल फोन लाए और रेल मंत्री के रूप में, उन्होंने रेलवे का नवीनीकरण किया. उनकी राजनीति हमेशा गरीब हितैषी रही है और केवल चिराग ही उनकी विरासत को आगे ले जा सकते हैं. वे एक युवा और गतिशील नेता हैं जो हमारे लिए काम कर सकते हैं.”
पिछले साल बिहार विधानसभा में दिए गए जन्म नियंत्रण पर नीतीश के बयान की आलोचना करते हुए 69-वर्षीय शिव नंदन पासवान का कहना है कि जेडी(यू) प्रमुख को जल्द से जल्द बिहार के सीएम पद से हटा दिया जाना चाहिए और चिराग को अपनी ताकत दिखाने का मौका दिया जाना चाहिए.
उन तीनों ने पुष्टि की कि हज़ारी ने देर रात उनके गांव का दौरा किया, लेकिन दावा किया कि चिराग को उनका समर्थन मिलेगा और शांभवी को भी.
समस्तीपुर में हमेशा से ही कुछ बड़ा करने की आदत रही है — चाहे वह हाल ही में भारत रत्न की घोषणा हो, या 1975 में, या 1990 में. 1975 में जब तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की बम विस्फोट में हत्या हुई थी, तब यह शहर हिल गया था. पंद्रह साल बाद, बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया था और उनकी राम रथ यात्रा रोक दी थी.
4 जून को जब चुनाव परिणाम आएंगे, तो समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के पर्याय माने जाने वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में बड़ा उलटफेर हो सकता है, जिनके बारे में विडंबना है कि वे भाई-भतीजावाद के खिलाफ थे.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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