नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह नेस्ले के शिशु आहार सेरेलैक के पूरे भारत से नमूने एकत्र कर रहा है।
हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कंपनी उत्पाद में अधिक चीनी डाल रही है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जी. कमला वर्धन राव ने खाद्य सुदृढ़ीकरण पर एसोचैम के एक कार्यक्रम के मौके पर ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में कहा, ‘‘ हम देश भर से (नेस्ले के सेरेलैक शिशु आहार के) नमूने एकत्र कर रहे हैं। प्रक्रिया पूरी होने में 15-20 दिन लगेंगे।’’
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक निकाय है।
स्विट्जरलैंड के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क’ (आईबीएफएएन) ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया कि नेस्ले ने यूरोप के अपने बाजारों की तुलना में भारत सहित कम विकसित दक्षिण एशियाई देशों, अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिकी देशों में अधिक चीनी वाले शिशु उत्पाद बेचे।
रिपोर्ट तैयार करने के लिए विभिन्न देशों में बेचे जाने वाले करीब 150 विभिन्न शिशु उत्पादों का अध्ययन किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, छह महीने के बच्चों के लिए नेस्ले का गेहूं आधारित उत्पाद ‘सेरेलैक’ ब्रिटेन तथा जर्मनी में बिना किसी अतिरिक्त चीनी के बेचा जाता है, लेकिन भारत से विश्लेषण किए गए 15 सेरेलैक उत्पादों में एक बार के खाने में औसतन 2.7 ग्राम चीनी थी।
हालांकि, नेस्ले इंडिया ने दावा किया कि उसने पिछले पांच वर्षों में भारत में शिशु आहार उत्पादों में चीनी में 30 प्रतिशत तक की कमी की है।
इससे पहले, एसोचैम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एफएसएसएआई के सीईओ ने मानव स्वास्थ्य के लिए खाद्य सुदृढ़ीकरण के महत्व पर प्रकाश डाला और आहार में मोटा अनाज आदि शामिल करने का आह्वान किया।
सीईओ ने इस अवसर पर एसोचैम की रिपोर्ट ‘फोर्टिफाइंग इंडियाज फ्यूचर: सिग्नेचर ऑफ फूड फोर्टिफिकेशन एंड न्यूट्रिशन’ का भी अनावरण किया।
भाषा निहारिका मनीषा
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