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Thursday, 31 October, 2024
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डॉक्टरों की देशव्यापी हड़ताल: अब तक70 डॉक्टरों का सामूहिक इस्तीफा, कहा- इस हालात में काम करना मुश्किल

डॉक्टरों पर बढ़ते हमले पर निंदा करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने डॉक्टरों को आश्वासन दिया है कि वह उनकी सुरक्षा और सुविधाओं के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखेंगे.

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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में जारी हड़ताल के बीच चार मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों ने शुक्रवार को सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया. चिकित्सा शिक्षा निदेशक और पदेन सचिव को भेजे पत्र के जरिए 70 डॉक्टरों ने अपने इस्तीफे सौंपे. इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है.

पत्र में चिकित्सकों ने लिखा, ‘आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के हम निम्नलिखित डॉक्टर अब तक अस्पताल सेवा को सुचारु रूप से चलाने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं. आप जानते हैं कि वर्तमान स्थिति रोगी देखभाल सेवा के लिए आदर्श नहीं है.’

अपने इस्तीफा में डॉक्टरों ने लिखा है कि मौजूदा हालात को देखते हुए हम सेवा देने में असक्षम हैं और अपनी ड्यूटी से इस्तीफा दे रहे हैं. इस मामले में देशभर के डॉक्टरों में रोष देखा जा रहा है. दिल्ली के एम्स, सफदरजंग हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टर सहित महाराष्ट्र, पुणे, छत्तीसगढ़, हैदराबाद, नागपुर, पटना, भुवनेश्वर और मध्यप्रदेश के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं.

पीपुल फॉर बेटर ट्रीटमेंट की मांग कर रहे कुणाल शाह ने कोलकाता उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित किया जाए. पश्चिम बंगाल प्रशासन ने शुक्रवार तक डॉक्टरों और डॉक्टरों की हड़ताल पर हमले के बारे में क्या कदम उठाए हैं. अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी.

डॉक्टरों ने लिखा, ‘मौजूदा स्थिति के कारण हम सेवा प्रदान करने में असमर्थ हैं. ऐसे में हम डॉक्टर इस्तीफा देना चाहेंगे.’

एक आधिकारिक खुलासा किया कि इसके अलावा, विरोध का केंद्र रहा एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लगभग 100 डॉक्टर भी इस्तीफे की बात कर रहे हैं.

चिकित्सा शिक्षा निदेशक को लिखे गए एक ऐसे ही दूसरे पत्र में, कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के चिकित्सक विभाग के 17 डॉक्टरों ने भी सामूहिक इस्तीफे की बात कही. उन्होंने भी इसी कारण का हवाला दिया कि वे वर्तमान स्थिति में सेवाएं देने में असमर्थ हैं.

सिलीगुड़ी के उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भी इसी तरह की तस्वीर देखी गई.

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सहायक अधीक्षक सुदीप्त मंडल ने कहा, ‘पहले से ही 15 वरिष्ठ डॉक्टरों ने चिकित्सा शिक्षा निदेशक को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और यह आंकड़ा बढ़ सकता है. जूनियर डॉक्टरों के बिना सामान्य रूप से सेवाओं को चलाना संभव नहीं है.’

हर्षवर्धन बोले- डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्रियों को लिखेंगे खत

वहीं, डॉक्टरों पर बढ़ते हमले पर निंदा करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने डॉक्टरों को आश्वासन दिया है कि वह उनकी सुरक्षा और सुविधाओं के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखेंगे. हर्षवर्धन ने डॉक्टरों से काम पर लौटने की गुजारिश की है.

एक निजी टेलीविजन चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में हर्षवर्धन ने कहा कि मैं डॉक्टरों पर मरीजों के परिवार द्वारा किए गए हमले की निंदा करता हूं और डॉक्टरों को आश्वासन देता हूं कि इसकी पुनरावृत्ति न हों इसका सरकार पूरा ख्याल रखेगी. बता दें कि कोलकाता में पांच दिन पहले एक जूनियर डॉक्टर पर हमले के बाद से ही वहां के जूनियर डॉक्टर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं एम्स के डॉक्टर केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन से मिलने पहुंचे.

कहीं साइलेंट तो कहीं काली पट्टी बांध कर रहे हैं हड़ताल

कोलकाता में हुए इस हमले के विरोध में देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर एकदिन की हड़ताल पर चले गए हैं. डॉक्टर सिर पर पट्टी बांध कर इसका विरोध कर रहे हैं. वहीं, कई राज्यों के डॉक्टर काली पट्टी बांधकर मरीजों को देख रहे हैं जबकि मुंबई एमएआरडी के प्रेसिडेंट प्रशांत चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में डॉक्टर पर हुए हमले का हम विरोध कर रहे हैं. डॉ. प्रशांत चौधरी ने कहा कि अगर किसी डॉक्टर पर हमला होता है. तो वह उस राज्य के कानून व्यवस्था का मामला है. उन्होंने कहा कि हम इस हमले पर साइलेंट विरोध कर रहे हैं.

हर्षवर्धन में कोलकाता में डॉक्टरों के साथ प्रशासन और सरकार द्वारा किए गए वर्ताव पर भर्त्सना की है. हर्षवर्धन ने कहा कि कोलकाता सरकार ने डॉक्टरों को सुनने की बजाए. उन्हें नौकरी से निकाले जाने की बात कही है. सरकार ने उनकी बातों को ध्यान पूर्वक नहीं सुना है. केंद्रीय मंत्री ने डॉक्टरों से गुजारिश की है कि वह अपना विरोध प्रदर्शन करें. लेकिन, इससे मरीजों को परेशानी नहीं होनी चाहिए.

रेजिडेंट डॉक्टरों और जूनियर डॉक्टरों की इस हड़ताल के चलते सीनियर डॉक्टरों ने ओपीडी और ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभाली हुई है. लेकिन रेजिडेंट डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने की वजह मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने का समर्थन दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने राष्ट्रीय राजधानी में स्थित निजी और सरकारी अस्पताल, क्लिनिक व नर्सिंग होम को पत्र लिखकर देशव्यापी मेडिकल बंद को समर्थन करने की अपील की है.

डीएमए और आईएमए ने किया हड़ताल का समर्थन

एसोसिएशन के अध्यक्ष और दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सचिव डॉ. गिरीश त्यागी का कहना है कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ चुकी हैं. एक डॉक्टर कम संसाधनों के साथ 15 से 16 घंटे अस्पताल में बैठ 300 से 500 मरीजों तक का उपचार करता है, लेकिन डॉक्टर को मारपीट का शिकार होना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कोलकाता मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों पर हुआ हमला चिकित्सीय क्षेत्र के लिए चिंताजनक है.

वहीं, एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ. अमरिंदर सिंह ने बताया कि पश्चिम बंगाल में डॉक्टर हड़ताल पर हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी डॉक्टरों को न्याय दिलाने की जगह उन्हें कानून का हवाला देकर धमका रहीं हैं. देश भर में डॉक्टरों की सुरक्षा का सवाल उठ खड़ा हुआ है. आए दिन अस्पतालों पर हमले, डॉक्टरों से मारपीट जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं. इसलिए एम्स आरडीए ने फैसला लिया है कि शुक्रवार को दिनभर ओपीडी और आपातकालीन सेवाओं में तैनात रेजीडेंट डॉक्टर पश्चिम बंगाल में चिकित्सीय हड़ताल का समर्थन करेंगे. साथ ही एम्स परिसर में ही धरना प्रदर्शन करते हुए सरकार से डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सख्ती से कानून लगाने की अपील भी कर रहे हैं. इनके अलावा फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जूनियर डॉक्टर, यूआरडीए सहित डॉक्टरों के तमाम राष्ट्रीय संगठनों ने हड़ताल का फैसला लिया है.

पश्चिम बंगाल सरकार करेगी कड़ी कार्रवाई 

पश्चिम बंगाल सरकार हड़ताली जूनियर डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है. पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष निर्मल माजी ने कहा कि हड़ताली डॉक्टर अगर काम पर नहीं लौटे तो उनका पंजीयन रद्द हो सकता है और उनका इंटर्नशिप पूरा होने का पत्र रोक दिया जाएगा. उन्होंने विपक्षी दलों पर हड़ताली जूनियर डॉक्टरों को भड़काने का आरोप लगाया और कहा कि विपक्षी दल ममता बनर्जी सरकार की मुफ्त चिकित्सा सेवा योजना को बंद कराना चाहते हैं.

माजी ने कहा, ‘हमें इंटर्नशिप पूरा होने का पत्र रोकने जैसी उचित कार्रवाई करनी होगी. उनका पंजीयन भी रद्द किया जा सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार सरकारी अस्पतालों में हर मेडिकल छात्र पर 50 लाख रुपये खर्च करती है. अगर वे मरीजों की सेवा का अपना नैतिक दायित्व पूरा नहीं करेंगे तो उन्हें मिल रही यह सुविधा बंद कर दी जाएगी.’

कोलकाता के राजकीय एनआरएस अस्पताल में एक 75 वर्षीय मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों द्वारा जूनियर डॉक्टर के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के बाद मंगलवार सुबह से ही वहां विरोध प्रदर्शन भड़क उठा और नियमित सेवाओं को ठप कर दिया गया.

मृतक के परिजनों ने डॉक्टर पर चिकित्सीय लापरवाही का आरोप लगाया था. मारपीट में एक प्रशिक्षु परीबाहा मुखर्जी के सिर में गहरी चोट लगी है. उसे कोलकाता के पार्क सर्कस स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस के आईसीयू में भर्ती कराया गया है.

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