पुरी: जब ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 17 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से ठीक पांच दिन पहले पुरी के 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के आसपास हेरिटेज कॉरिडोर का उद्घाटन किया, तो इस कदम का प्रतीकवाद अधिकांश लोगों के लिए खोया नहीं गया था.
पुरी जगन्नाथ की ज़मीन है और मंदिरों का शहर सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) के लिए सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से अत्यधिक प्रतीकात्मक महत्व रखता है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के धीरे-धीरे ओडिशा में अपना आधार बढ़ाने के साथ, बीजद कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहता था.
बीजेडी 1998 से पुरी लोकसभा सीट जीत रही है. 2019 में पुरी संसदीय क्षेत्र के तहत सात विधानसभा क्षेत्रों में से बीजेडी ने पांच और भाजपा ने दो पर जीत हासिल की थी.
इस पृष्ठभूमि में जैसे ही राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ ने चुनावी मौसम से पहले उत्साहपूर्ण माहौल बनाया, कई लोगों ने 75 मीटर लंबे ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर हेरिटेज कॉरिडोर के भव्य उद्घाटन को सत्तारूढ़ बीजद द्वारा भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को रोकने के प्रयास के रूप में देखा.
जब दिप्रिंट ने मंदिरों के शहर पुरी के कई विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया, तो उसे ग्राउंड पर राम मंदिर की बहुत कम गूंज दिखाई दी. उड़िया लोगों के बीच मोदी मायने रखते हैं, लेकिन सीएम नवीन पटनायक लगभग 25 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद अभी भी प्रभाव रखते हैं.
पुरी के बालीगुआली गांव के किसान राजकिशोर मल (63) ने कहा, “हमारे लिए, यह केवल जय जगन्नाथ है और कुछ नहीं.”
पुरी में जगन्नाथ मंदिर के पास बर्तन की दुकान चलाने वाले निरंजन नायक (47) ने बताया कि बीते पांच साल में मंदिर परिसर में बहुत सारे बदलाव हुए हैं.
नायक जिनका परिवार पांच पीढ़ियों से मंदिर के पास रहता है, बताते हैं, “पहले, हेरिटेज कॉरिडोर वहां नहीं था. इसे बीते पांच साल में बनाया गया है. यह बहुत अच्छा है, लेकिन कुछ अन्य चीज़ों में सुधार की ज़रूरत है. जैसे बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों को परेशानी होती है. उन्हें दर्शन के लिए घंटों धूप में खड़ा रहना पड़ता है क्योंकि मंदिर के अंदर बहुत भीड़ होती है.”
नायक ने कहा कि जिस पर भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद होता है वही पुरी में चुनाव जीतता है. उन्होंने कहा, “भगवान जगन्नाथ जिसे चाहते हैं, वे निर्वाचित हो जाता है, लेकिन मुझे लगता है कि जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर के कारण इस बार बीजेडी को फायदा हो सकता है.”
यह भी पढ़ें: बड़ा साम्राज्य, अनियंत्रित बिक्री— कांग्रेस MP धीरज साहू के विशाल शराब कारोबार के पीछे की कहानी क्या है
‘केंद्र में मोदी, राज्य में पटनायक’
पुरी में दिप्रिंट ने जिन लोगों से बात की, उनमें से अधिकांश ने आम और राज्य चुनावों में मतदान के बीच अंतर बताया. ओडिशा में 13 मई से चार चरणों में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव होंगे.
राजकिशोर मल ने कहा, “जब तक मैं ज़िंदा हूं, मैं राज्य में नवीन पटनायक और बीजद को वोट दूंगा और क्यों नहीं दूं? जन्म से लेकर मृत्यु तक, नवीन बाबू की सरकार हर चीज़ का ख्याल रखती है.”
हालांकि, उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में मोदी बेहतर विकल्प हो सकते हैं. उन्होंने कहा, “मोदी ने केंद्र में अच्छा काम किया. उनकी सरकार मजबूत है और देश को अक्षुण्ण बनाए रखेगी.”
पुरी के पिपली विधानसभा क्षेत्र के गांव निर्मला के निवासी गदाधर साहू (35) ने कहा, “बीजद काम करती है. उन्होंने सड़कें बनाई हैं और हमारे बच्चों की शिक्षा और हमारी मेडिकल ज़रूरतों का ख्याल रखा है.”
अयोध्या में राम मंदिर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “मैंने राम मंदिर के बारे में सुना है. अच्छा हुआ कि मंदिर बन गया, लेकिन, हमें बीजद से फायदा हुआ है.”
वरिष्ठ पत्रकार राजेश महापात्रा, जो ओडिशा की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर नज़र रखते हैं, ने दिप्रिंट को बताया, “पुरी जगन्नाथ की भूमि है…ओडिशा पूरी तरह से समन्वित जगन्नाथ संस्कृति के बारे में है. नवीन पटनायक पुरी के प्रतीकात्मक मूल्य को जानते हैं, यही वजह है कि पिछले पांच साल में सब कुछ भगवान जगन्नाथ के बारे में रहा है. जगन्नाथ मंदिर हेरिटेज कॉरिडोर राज्य की पहली मंदिर सौंदर्यीकरण परियोजनाओं में से एक थी जिसे उन्होंने 2019 में सत्ता में आने के बाद शुरू किया था.”
महापात्रा ने कहा कि पटनायक राज्य भर में मंदिर उन्नयन/सौंदर्यीकरण परियोजनाओं को शुरू करके हिंदुत्व के एजेंडे को रोकना चाहते थे. उन्होंने कहा, “यह वही जगन्नाथ संस्कृति है जो हिंदुत्व को राज्य में पकड़ बनाने की अनुमति नहीं देती है. यही कारण है कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का यहां के लोगों के बीच ज्यादा प्रतिध्वनि नहीं है.”
जगन्नाथ मंदिर हेरिटेज कॉरिडोर के अलावा, पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद सरकार ने भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर, कटक में चंडी मंदिर, संबलपुर में समलेश्वरी मंदिर और बारगढ़ में नृसिंहनाथ मंदिर सहित अन्य का उन्नयन भी किया है.
बीजद के पूर्व सांसद तथागत सत्पथी ने कहा कि राम मंदिर की गाथा समाज में एक निश्चित स्तर तक ही सीमित है. उड़िया अखबार धारित्री के संपादक सत्पथी ने दिप्रिंट को बताया, “अगर आप ओडिशा के किसी भी गांव में जाएं, तो आपको कहीं भी राम मंदिर नहीं दिखेगा. वहां अधिकतर ग्रामदेवी (स्थानीय देवता) का मंदिर होगा. यह मुख्य मंदिर है और आपको जगन्नाथ का दूसरा मंदिर मिलेगा.”
सत्पथी ने कहा, “आपको कहीं भी राम मंदिर नहीं मिलेगा. उड़िया हिंदुओं के लिए यह हमेशा ‘मातृ शक्ति’ रही है जो बड़ी है और मां की छवि ने एक तरह से धर्म पर आधारित राजनीति की पैठ को विफल कर दिया है.”
उन्होंने कहा कि भाजपा इस बारीक अंतर को नहीं समझ सकती क्योंकि वह शायद सोचती है कि उत्तर भारतीय विचारधारा हर जगह काम करती है. उन्होंने कहा, “तो, वे (भाजपा) इसके आसपास काम नहीं कर सके. वे इसे अपने पक्ष में मोड़ नहीं सके. यह अब भी जारी है और आज भी, ओडिशा में राम कोई बड़ा मुद्दा नहीं हैं.”
यह भी पढ़ें: स्मार्ट क्लासरूम, एआई उपकरण, ई-लाइब्रेरी – ओडिशा सरकार के स्कूलों में उच्च शिक्षा कैसे बेहतर हो रही है
‘पुरी सीट आसान नहीं होगी’
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजद के पिनाकी मिश्रा ने भाजपा के संबित पात्रा को लगभग 11,000 वोटों के मामूली अंतर से हराया. इस बार, बीजद ने पुरी सीट के लिए मिश्रा की जगह मुंबई के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी अरूप पटनायक को मैदान में उतारा है.
2019 में अरूप पटनायक ने भुवनेश्वर सीट से चुनाव लड़ा और भाजपा की अपराजिता सारंगी से 21,000 से अधिक वोटों से हार गए.
महापात्रा ने कहा कि बीजद सरकार की हस्ताक्षरित जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना के बावजूद, पुरी लोकसभा सीट बीजद के लिए आसान नहीं होगी. उन्होंने कहा, “बीजद उम्मीदवार अरूप पटनायक और भाजपा के संबित पात्रा के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है.”
सत्पथी ने कहा कि मंदिर उन्नयन और सौंदर्यीकरण परियोजनाओं को आगे बढ़ाना बीजद के लिए एक चतुर रणनीति थी, जिसमें उसे कुछ सफलता मिली है. उन्होंने कहा, “लेकिन अब इसकी (चुनाव नतीजों की) भविष्यवाणी करना मुश्किल होगा. हम सभी 4 जून को देख सकते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि पूरे परिदृश्य में कुछ सफलता मिली है और ओडिशा में हिंदुत्व का हमला उतना कठोर नहीं रहा है. हमला तो हुआ है, लेकिन तेज़ धार कुंद कर दी गई है.”
बीजद के पूर्व सांसद ने कहा कि ओडिशा में भाजपा इसलिए बढ़ी है क्योंकि कांग्रेस बिखर गई है. उन्होंने कहा, “और कांग्रेस के पतन के साथ, अधिकांश कार्यकर्ता आधार भाजपा में स्थानांतरित हो गया है, क्योंकि, जब वे (कार्यकर्ता) बीजद की स्थानीय सरकार का विरोध कर रहे हैं, तो वे और कहां जाते हैं?”
ओडिशा में भाजपा की वृद्धि उल्लेखनीय रही है. 2014 में 21.88 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सिर्फ एक लोकसभा सीट जीतने से पार्टी ने 2019 में अपनी संख्या 8 सीटों — 38.4 प्रतिशत वोट शेयर – 2019 में. विधानसभा चुनावों में भी भाजपा 2014 में 147 में से 10 सीटें जीतने से 2019 में 23 सीटें जीतने तक पहुंच गई.
यह पूछे जाने पर कि क्या बीजद की मंदिर सौंदर्यीकरण परियोजनाएं भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे का मुकाबला करने का एक प्रयास है, पार्टी के पुरी उम्मीदवार अरूप पटनायक ने कहा कि नवीन पटनायक शह-मात के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाने वालों में से नहीं हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “…वे ऐसा कभी नहीं करेंगे. मुझे नहीं लगता कि कोई भी इस पर विश्वास करेगा.”
मुंबई के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भगवान जगन्नाथ के भक्त हैं. अरूप पटनायक ने कहा, “वे बड़े आस्तिक हैं इसलिए वे कभी भी ये चीजें (नौटंकी) नहीं करेंगे. नवीन पटनायक दूसरी बातों पर प्रतिक्रिया नहीं देते. वे अपना काम खुद करते हैं, जिस तरह से मैं उन्हें दूर से जानता हूं, वे पूर्ण समानता, पूर्ण विद्वता, समर्पण और ओडिशा के लोगों के लिए जबरदस्त सहानुभूति रखने वाले व्यक्ति हैं.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: तमिलनाडु, महाराष्ट्र से लेकर ओडिशा तक- कैसे बीजेपी एक कदम आगे और दो कदम पीछे जा रही है