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Saturday, 16 November, 2024
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खुदरा मुद्रास्फीति मार्च में घटकर पांच महीनों के निचले स्तर 4.85 प्रतिशत पर आई

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नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आने से मार्च के महीने में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर पांच महीने के निचले स्तर 4.85 प्रतिशत पर आ गई। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में 5.09 प्रतिशत और मार्च 2023 में 5.66 प्रतिशत रही थी।

मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति पांच महीनों के निचले स्तर पर रही है। इसके पहले अक्टूबर, 2023 में यह 4.87 प्रतिशत रही थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 8.52 प्रतिशत रही जबकि एक महीने पहले फरवरी में यह 8.66 प्रतिशत थी।

आंकड़ों के मुताबिक, अंडे, मसालों और दालों समेत अन्य खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में फरवरी की तुलना में गिरावट आई है। हालांकि फलों और सब्जियों की कीमतें मार्च में एक महीना पहले की तुलना में बढ़ गईं।

वहीं, ईंधन और प्रकाश खंड में भी खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी की तुलना में घटी है।

सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत कम या अधिक) पर सीमित रखने का दायित्व सौंपा हुआ है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दरों पर फैसला करते हुए खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों को ही ध्यान में रखती है।

केंद्रीय बैंक ने इस साल सामान्य मानसून की उम्मीद जताते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

आरबीआई ने अप्रैल-जून तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत और सितंबर तिमाही में 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च महीने में ग्रामीण क्षेत्रों में मुद्रास्फीति राष्ट्रीय औसत से अधिक 5.45 प्रतिशत रही जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 4.14 प्रतिशत से कम रही।

सबसे अधिक मुद्रास्फीति ओडिशा में 7.05 प्रतिशत दर्ज की गई जबकि यह दिल्ली में सबसे कम 2.29 प्रतिशत रही।

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि गर्मी अधिक रहने से जल्द खराब होने वाली खाद्य उत्पादों की कीमतों में तेजी देखी जा सकती है। इससे खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने और मुद्रास्फीति की उम्मीदों को बनाए रखने के लिए अनुकूल मानसून की अहमियत बढ़ जाएगी।

इसके अलावा कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में जारी तेजी भी निकट अवधि में खुदरा मुद्रास्फीति के नजरिये को प्रभावित कर सकती है। हालांकि इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि ईंधन की खुदरा कीमतें कितना प्रभावित होती हैं।

उन्होंने कहा, ‘हम चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जाकर रेपो दर में 0.50 प्रतिशत कटौती की उम्मीद कर सकते हैं।’

उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजीव गोयनका ने कहा कि आपूर्ति शृंखला दुरूस्त करने के लिए उठाए गए सरकारी कदमों से खाद्य कीमतों में कमी आ रही है। इसके अलावा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की खुदरा मुद्रास्फीति नरम होने से मुद्रास्फीति को सुगम राह पर लाने में मदद मिल रही है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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