नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) वाणिज्य मंत्रालय निर्यात से पहले और बाद के रुपया निर्यात ऋण पर ब्याज समानीकरण योजना को पांच साल के लिए और बढ़ाने की मांग कर सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि इस मांग का मकसद देश के होने वाले निर्यात को प्रोत्साहित करना है।
यह योजना इस साल 30 जून को खत्म हो रही है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘मंत्रालय ब्याज समानीकरण जैसी कुछ योजनाओं में सुधार करेगा। हम इस योजना को पांच साल के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव करेंगे। यह योजना अच्छा काम कर रही है और इससे निर्यातकों को मदद मिल रही है।’’
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठ दिसंबर, 2023 को योजना 30 जून तक जारी रखने के लिए 2,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन को मंजूरी दी थी।
यह योजना चिन्हित क्षेत्रों के निर्यातकों और सभी सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) निर्यातकों को ऐसे समय में प्रतिस्पर्धी दरों पर रुपया निर्यात ऋण का लाभ उठाने में मदद करती है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर रही है। निर्यातकों को ‘ब्याज समानीकरण योजना के तहत खेप को भेजने से पहले और बाद में रुपया निर्यात ऋण के लिए सब्सिडी मिलती है।
योजना के तहत 9,538 करोड़ रुपये के मौजूदा परिव्यय के अलावा 2,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त परिव्यय जून, 2024 तक योजना को जारी रखने के लिए वित्तपोषण अंतर को पाटने के लिए उपलब्ध कराया गया था।
यह योजना एक अप्रैल, 2015 को शुरू की गई थी, और शुरुआत में 31 मार्च, 2020 तक पांच साल के लिए वैध थी। इसके बाद इसे जारी रखा गया है, जिसमें कोविड-19 के दौरान एक साल का विस्तार और आगे का विस्तार और कोष आवंटन शामिल हैं।
वाणिज्य मंत्रालय के बयान के अनुसार, जो बैंक निर्यातकों को रेपो +4 प्रतिशत से अधिक की औसत दर पर ऋण देते हैं, उन्हें इस योजना के तहत प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
यह योजना रिजर्व बैंक द्वारा विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र के बैंकों के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है जो निर्यातकों को माल की खेप भेजने से पहले और बाद में ऋण प्रदान करते हैं। इसकी निगरानी विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) और रिजर्व बैंक द्वारा एक परामर्शी तंत्र के माध्यम से संयुक्त रूप से की जाती है।
निर्यातकों के प्रमुख संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा कि योजना के तहत समर्थन उपाय अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय निर्यातकों को प्रतिस्पर्धा क्षमता बनाए रखने में मदद करते हैं।
भाषा राजेश राजेश अजय
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