नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनी विप्रो के नए मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) श्रीनिवास पल्लिया को कंपनी में नई जान डालने के साथ ही प्रमुख पदों पर आसीन लोगों को बनाए रखने और मनोबल बहाल करने की मुश्किल चुनौती का सामना करना होगा।
उद्योग जगत के जानकारों का मानना है कि विप्रो आने वाले समय में कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच मुश्किल कारोबारी हालात से गुजर सकती है लिहाजा शेयरधारकों के भरोसे को बनाए रखना भी पल्लिया के लिए खासा अहम होगा।
पल्लिया ने पांच साल से सीईओ के पद पर तैनात थिएरी डेलापोर्टे के इस्तीफे के बाद घरेलू आईटी कंपनी का नेतृत्व संभाला है। वह लंबे समय से विप्रो से जुड़े रहे हैं और इसके आंतरिक परिचालन और कारोबारी परिवेश से अच्छी तरह परिचित हैं।
एचएफएस रिसर्च के सीईओ फिल फर्शट ने एक बयान में कहा, ‘‘बीते एक साल से विप्रो का मनोबल गिरा हुआ है और नेतृत्व में इस बदलाव की उम्मीद छह महीने पहले से की जा रही थी।’’
उन्होंने कहा कि नए सीईओ को अपनी योजनाओं को जल्द लागू करना होगा, कंपनी को नए सिरे से दिशा देनी होगी, और प्रमुख हितधारकों को यह विश्वास दिलाना होगा कि वह नेतृत्व के लिए सही विकल्प हैं।
निर्मल बंग इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के सलाहकार एवं शोध विश्लेषक गिरीश पई ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों के जाने से वृद्धि में आई सुस्ती को दूर करने के लिए पल्लिया को शीर्ष स्तर पर मजबूती देने के लिए आगे बढ़कर नेतृत्व करना होगा।
पई ने कहा, ‘‘पांच साल के लिए सीईओ और प्रबंध निदेशक नियुक्त किए गए पल्लिया को विश्वस्तर पर कमजोर कारोबारी माहौल में त्वरित और तेज बदलाव पर ध्यान केंद्रित करना पड़ सकता है।’’
आईटी उद्योग के प्रेक्षकों का मानना है कि डेलापोर्टे के कार्यकाल में विप्रो के कई शीर्ष अधिकारी कंपनी छोड़कर चले गए जिससे कारोबारी गतिविधियां भी प्रभावित हुईं। इनमें कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) जतिन दलाल का नाम भी शामिल है जिन्होंने 21 साल के कार्यकाल के बाद कंपनी छोड़ दी थी।
विश्लेषकों का कहना है कि राजस्व के मामले में विप्रो का प्रदर्शन पिछली कई तिमाहियों में आईटी क्षेत्र के औसत प्रदर्शन से कम रहा है लिहाजा सभी की निगाहें नए सीईओ और उनकी तरफ से किए जाने वाले बड़े बदलावों पर लगी रहेंगी।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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