नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) शादी-विवाह के मौसम एवं नवरात्र से पहले खाद्यतेलों की बढ़ती मांग तथा देश में आयातित खाद्यतेलों की कम आपूर्ति रहने के बीच बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सभी तेल-तिलहनों में सुधार आया।
इस दौरान सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल तेजी दर्शाते बंद हुए।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह से पहले सरसों की मंडियों में आवक 16-16.25 लाख बोरी तक जा पहुंची थी। इसके अलावा हरियाणा और श्रीगंगानगर में सरसों की फसल देर से आती है। इसलिए अप्रैल में सरसों की आवक बढ़ने की अपेक्षा की जा रही थी लेकिन आवक बढ़ने के बजाय 9-9.25 लाख बोरी पर स्थिर बनी हुई है।
इस बीच अधिकांश राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों की सरकारी खरीद भी शुरु हो गई है। पहले कुछ विशेषज्ञ आने वाले दिनों में सूरजमुखी और सोयाबीन का आयात बढ़ने की बात कर थे, वे अब चुप हैं। किसान भी समझ गये हैं कि सरसों की फसल का दाम तोड़ने के लिए यह चर्चा फैलायी गई थी।
सूत्रों ने कहा कि देश में पैसे की तत्काल जरुरत रखने वाले छोटे व सीमांत किसान ही अपने माल बेच रहे हैं लेकिन अब बड़े और मजबूत किसान सही दाम के इंतजार में सरसों संभल कर बेच रहे हैं और एमएसपी पर सरकारी खरीद बढ़ने का भी इंतजार करते नजर आ रहे हैं। अप्रैल में सरसों की आवक 15-16 बोरी हो जानी चाहिये थी जो 9.9.25 लाख बोरी पर स्थिर बनी हुई है।
सूत्रों ने कहा कि खाद्यतेलों की आपूर्ति नहीं बढ़ी है लेकिन खुदरा बाजार में सभी खाद्यतेलों की मांग जरूर बढ़ गई है। दूसरी ओर सोयाबीन के किसान परेशान हैं क्योंकि सोयाबीन के दाम एमएसपी से 1-2 प्रतिशत नीचे बोले जा रहे हैं। किसानों को पहले सोयाबीन के एमएसपी से कहीं काफी बेहतर दाम मिलते रहे हैं और कम दाम पर बिकवाली से बच रहे हैं। उनके पास सोयाबीन तिलहन का काफी स्टॉक बचा हुआ है जो आयातित खाद्यतेलों के थोक दाम सस्ता होने की वजह से खपने में नहीं आ रहा है।
सूत्रों ने कहा कि कपास की आवक 50-52 हजार गांठ रहे गई है। कपास से निकलने वाले बिनौला खल का सबसे अधिक इस्तेमाल मवेशियों के आहार के लिए किया जाता है। गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने भी हाल में नकली बिनौला खल की बिक्री को लेकर चिंता जताई है।
उन्होंने बताया कि बिनौले में असली दाम किसानों को इसके खल से ही मिलता है। केन्द्र सरकार को अपनी ओर से पहल करते हुए राज्य सरकारों से कहना चाहिये कि वे बिनौले के नकली खल के कारोबार पर सख्ती से रोक लगायें।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 60 रुपये की तेजी के साथ 5,435-5,475 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 75 रुपये बढ़कर 10,425 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 15-15 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 1,765-1,865 रुपये और 1,765-1,880 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 105-105 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,740-4,760 रुपये प्रति क्विंटल और 4,540-4,580 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 150 रुपये, 100 रुपये और 50 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 10,700 रुपये और 10,450 रुपये और 9,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 50 रुपये की तेजी के साथ 6,180-6,455 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 150 रुपये और 20 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 15,000 रुपये क्विंटल और 2,270-2,545 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 325 रुपये की तेजी के साथ 9,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 250 रुपये की तेजी के साथ 10,750 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 9,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
तेजी के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल भी 150 रुपये मजबूत होकर 9,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश
पाण्डेय
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