(गुरदीप सिंह)
सिंगापुर, पांच अप्रैल (भाषा) भारतीय अर्थव्यवस्था के अगले दो वर्षों में 5,000 अरब डॉलर और 2030 तक 10,000 अरब डॉलर के लक्ष्य की ओर बढ़ने के साथ देश में पूंजी प्रवाह का प्रबंधन करने के लिए बड़ी संख्या में कंपनी सचिवों की मांग तेजी से बढ़ने का अनुमान है।
भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के अध्यक्ष बी नरसिम्हन ने यहां शुक्रवार को यह बात कही। उन्होंने कहा, ”हमें कंपनी सचिवों (सीएस) की संख्या को बढ़ाकर 2030 तक 95,000 और 2047 तक 1.4 लाख तक पहुंचाना है।”
उन्होंने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि इस समय आईसीएसआई में लगभग 70,000 सीएस सदस्य और दो लाख से अधिक छात्र हैं।
नरसिम्हन ने कहा कि कंपनी सचिव पूंजी बाजार में सबसे अधिक मान्यता-प्राप्त पेशा है। ये सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के बोर्ड में अनुपालन संबंधी जिम्मेदारी संभालते हैं। सेबी ने सीएस को अनिवार्य रूप से अनुपालन कार्यालय के रूप में नियुक्त किया है।
कंपनी सचिव यह सुनिश्चित करते हैं कि पूरे भारत में सभी निगम कामकाज में उचित प्रक्रिया का पालन करें।
नरसिम्हन ने भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर भरोसा जताते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी के कारण धीमी हो गई थी, लेकिन अब आर्थिक वृद्धि की रफ्तार तेज हो रही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था निवेशकों को निवेश पर सबसे अच्छा प्रतिफल दे रही है।
उन्होंने कहा कि आठ प्रतिशत जीडीपी वृद्धि को बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास जारी रहेगा, विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाएगा और निर्यात बढ़ाने पर जोर होगा।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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