मुंबई, पांच अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का प्रमुख नीतिगत दर रेपो को यथावत रखने और मुद्रास्फीति को नीचे लाने पर जोर देने का फैसला मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के केंद्रीय बैंक के इरादे को दर्शाता है। मौद्रिक नीति समीक्षा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विशेषज्ञों ने यह बात कही है।
उन्होंने साथ ही जोड़ा कि रिजर्व बैंक ने निरंतर आर्थिक वृद्धि पर भी जोर दिया है।
रिजर्व बैंक ने अप्रैल से जून तक सामान्य से अधिक अधिक तापमान की मौसम विभाग की भविष्यवाणी के मद्देनजर खाद्य मुद्रास्फीति को लेकर चिंताओं का हवाला दिया और रेपो दर को लगातार सातवीं बार 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा।
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि भू-राजनीतिक स्थिति और इसके चलते आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों सहित वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए रिजर्व बैंक मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान अर्थव्यवस्था को वैश्विक अनिश्चितताओं से सफलतापूर्वक बचाया है।
उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने भी कहा कि नीतिगत दरों पर आरबीआई के फैसले से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत के आसपास आने के बाद रेपो दर में कटौती की जाएगी।
एंड्रोमेडा सेल्स एंड डिस्ट्रिब्यूशन के सह मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राउल कपूर ने कहा कि घटती मुद्रास्फीति और आशाजनक वृद्धि संभावनाओं के चलते ब्याज दर में कटौती की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी एमपीसी बैठकों में आरबीआई रेपो दर में 0.25 से 0.50 प्रतिशत तक कटौती करेगा।
इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस की मुख्य निवेश अधिकारी पूनम टंडन ने कहा कि नीति समीक्षा में यथास्थिति, उम्मीद के मुताबिक है और फिलहाल केंद्रीय बैंक मुख्य मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में लाने पर ध्यान दे रहा है।
भाषा पाण्डेय अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.