नयी दिल्ली, पांच अप्रैल (भाषा) जमीन-जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने के फैसले से कर्ज की लागत स्थिर रहेगी और घर खरीदने के बारे में निर्णय कर पाना आसान होगा।
हालांकि रियल एस्टेट क्षेत्र में तेजी लाने के लिए आगामी समीक्षा बैठक में रेपो दर में कटौती की मांग भी रखी गई है।
खुदरा महंगाई को चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर को लगातार सातवीं बार 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
रियल एस्टेट कंपनियों के शीर्ष निकाय ‘नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल’ (नारेडको) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी हरि बाबू ने कहा, ‘‘रेपो दर यथावत रखने का निर्णय देश की आर्थिक बुनियाद में भरोसे को दर्शाता है। इससे नए वित्त वर्ष में उत्साहजनक परिवेश तैयार होगा। वित्त वर्ष 2024-25 में सात प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान भी रियल एस्टेट क्षेत्र में निरंतर वृद्धि के लिए अच्छा संकेत है।’’
हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘हम आरबीआई से आगामी समीक्षा बैठक में नीतिगत दर पर विचार करने का अनुरोध करते हैं। बेहतर नकदी के साथ कम ब्याज दर कंपनियों और घर खरीदारों को समान रूप से प्रोत्साहित करती हैं। इससे रियल एस्टेट बाजार और इससे जुड़े क्षेत्रों को मजबूती मिलती है।’’
क्रेडाई-एनसीआर के अध्यक्ष एवं रियल एस्टेट कंपनी गौड़ ग्रुप के चेयरमैन मनोज गौड़ ने कहा, ‘‘रेपो दर को लगातार सातवीं बार स्थिर रखने का निर्णय रियल एस्टेट जगत के लिए अच्छा संकेत है। हालांकि मुद्रास्फीति के आंकड़े अब भी चिंता का विषय हैं। हमें उम्मीद है कि इस कदम से भारत को मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।’’
सीबीआरई चेयरमैन एवं सीईओ (भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) अंशुमन मैगजीन ने कहा, ‘‘आरबीआई का यह सतत रुख मुद्रास्फीति के दबाव के बीच मूल्य स्थिरता के प्रबंधन पर जोर देता है। यह मकान खरीदने के इच्छुक लोगों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि उधार लेने की लागत नहीं बढ़ेगी और मकान खरीदना अधिक आसान होगा।’’
कोलियर्स इंडिया के वरिष्ठ निदेशक एवं शोध प्रमुख विमल नादर ने कहा, ‘‘रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए यह निर्णय निरंतरता और भरोसे की भावना प्रदान करता है। यह भविष्य के निवेश तथा विकास पहलों को ठोस आधार भी देगा। इसके अलावा यह मासिक किस्त पर निर्भर खरीदारों की मकान खरीदने की इच्छा को भी बल देगा।’’
सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के संस्थापक एवं चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा, ‘‘स्थिर रेपो दर घर खरीदारों को विश्वसनीयता और आत्मविश्वास प्रदान करेगी। निःसंदेह इस स्थिरता का रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास पर सकारात्मक प्रभाव होगा।’’
काउंटी ग्रुप के निदेशक अमित मोदी ने कहा, ‘‘यह फैसला निश्चित रूप से रियल एस्टेट जगत के लिए फायदेमंद है। आरबीआई का यह निर्णय निवेशकों और मकान खरीदारों दोनों के लिए अच्छा साबित होगा।’’
स्पेक्ट्रम मेट्रो के उपाध्यक्ष (बिक्री व विपणन) अजेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर स्थिर रखने का निर्णय संभावित खरीदारों पर वित्तीय बोझ को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।’’
अंसल हाउसिंग के निदेशक कुशाग्र अंसल ने कहा, ‘‘रेपो दर को यथावत रखने का फैसला नई परियोजनाओं की शुरुआत और उभरते क्षेत्र में विकास के विस्तार को बढ़ावा देगा…।’’
साया ग्रुप के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक विकास भसीन ने कहा, ‘‘आरबीआई का कदम स्वागत-योग्य है। यह कदम इस क्षेत्र में निवेश की इच्छुक कंपनियों और संभावित खरीदारों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा। ’’
एमआरजी ग्रुप के प्रबंध निदेशक रजत गोयल ने कहा कि रिजर्व बैंक के सातवीं बार रेपो रेट को बरकरार रखने से रियल एस्टेट क्षेत्र को राहत मिली है।
मिगसन ग्रुप के प्रबंध निदेशक यश मिगलानी ने कहा कि रेपो दर में अगर कटौती की गई होती तो अपने आवास का सपना साकार करने में और मदद मिलती।
एसकेए ग्रुप के निदेशक संजय शर्मा ने कहा, ‘‘आरबीआई के फैसले से रियल एस्टेट क्षेत्र में उछाल की उम्मीद है। आवासीय कीमतों में वृद्धि के बीच स्थिर गृह ऋण दरों से मकान खरीदारों को कुछ राहत मिलेगी।’’
लोहिया डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (इंडिया) के निदेशक पीयूष लोहिया ने कहा कि रेपो दर यथावत बनाए रखने का आरबीआई का निर्णय रियल एस्टेट जगत को प्रोत्साहित करने वाला है।
अनंत राज लिमिटेड के निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमन सरीन ने कहा, ‘‘हम रेपो दर को अपरिवर्तित रखने की सराहना करते हैं। स्थिर ब्याज दरें अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद हैं और सकारात्मक उपभोक्ता भावनाओं के अनुकूल हैं।’’
इंडिया सोथबीज इंटरनेशनल रियल्टी के सीईओ अश्विन चड्ढा ने कहा कि उत्साहजनक खबर यह है कि पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति में कमी आई है। साथ ही वृद्धि की संभावनाओं में भी सुधार हुआ है।
भाषा निहारिका रमण प्रेम
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