मुंबई, चार अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को रुपये से संबद्ध ‘एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव्स’ (ईटीसीडी) पर अपने निर्देशों के कार्यान्वयन को तीन मई तक के लिए टाल दिया। संबंधित पक्षों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर यह कदम उठाया गया है।
‘करेंसी डेरिवेटिव्स’ बाजार में कारोबार वाला अनुबंध हैं। इसका मूल्य उनकी अंतर्निहित परिसंपत्ति यानी मुद्रा से प्राप्त होता है। निवेशक पहले से निर्धारित तिथि और दर पर निश्चित मुद्रा की विशिष्ट इकाइयों की खरीद या बिक्री करता है।
‘जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेनदेन – विदेशी मुद्रा जोखिम की हेजिंग’ पर पांच जनवरी को जारी एक परिपत्र पहले शुक्रवार (5 अप्रैल, 2024) से लागू होने वाला था।
रिजर्व बैंक ने बयान में यह भी कहा कि ‘एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव्स’ के लिए नियामकीय ढांचा वर्षों से समान बना हुआ है और इसको लेकर आरबीआई के नीतिगत दृष्टिकोण में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
यह बयान जनवरी के परिपत्र के संदर्भ में ईटीसीडी बाजार में भागीदारी के बारे में व्यक्त की गई कुछ चिंताओं के बाद आया है।
कुछ ब्रोकरों के ग्राहकों को बाजार बंद होने से पहले चार अप्रैल, 2024 तक मुद्रा डेरिवेटिव में अपनी मौजूदा राशि का निपटान करना था।
आरबीआई ने परिपत्र के संबंध में कहा कि यह मूल दिशानिर्देश निर्धारित करता है और बिना किसी बदलाव के भारतीय रुपये से जुड़े ईटीसीडी में भागीदारी के लिए नियामकीय ढांचे को दोहराता है।
केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि परिचालन दक्षता बढ़ाने और विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव तक पहुंच को आसान बनाने के लिए एकल मूल (मास्टर) दिशानिर्देश के तहत सभी प्रकार के लेनदेन – ओटीसी (ओवर द काउंटर) और एक्सचेंज ट्रेडेड – के संबंध में नियामकीय ढांचे को और अधिक व्यापक बनाया गया है।
भाषा रमण अजय
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