scorecardresearch
Friday, 15 November, 2024
होमदेशअर्थजगतइस साल आम का उत्पादन 14 प्रतिशत बढ़कर 2.4 करोड़ टन पर पहुंचने की अनुमान

इस साल आम का उत्पादन 14 प्रतिशत बढ़कर 2.4 करोड़ टन पर पहुंचने की अनुमान

Text Size:

नयी दिल्ली, तीन अप्रैल (भाषा) आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान के निदेशक टी दामोदरन ने बुधवार को कहा कि इस साल भारत का कुल आम उत्पादन लगभग 14 प्रतिशत बढ़कर 2.4 करोड़ टन पर पहुंच सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग के अप्रैल-मई अवधि में लू चलने के पूर्वानुमान का आम की पैदावार पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा, बशर्ते किसान फलों के अत्यधिक गिरने को कम करने के लिए मई के दौरान सिंचाई का ध्यान रखें।

अपने नवीनतम ग्रीष्मकालीन पूर्वानुमान में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने तेज लू के दौर की भविष्यवाणी की है जो सामान्य दो से चार दिन के बजाय 10-20 दिन के बीच रह सकती है।

दक्षिण प्रायद्वीप के अधिकांश हिस्सों, मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में सामान्य से अधिक गर्मी वाले दिन होने की संभावना है।

दामोदरन ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘आम में फूल (मंजर) आने की प्रक्रिया फल लगने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अनुकूल मौसम के कारण, आम में फूल आना लगभग समाप्त हो गया है। परागण सामान्य है और फल लगने शुरू हो गए हैं। सामान्य गर्मी पैदावार को प्रभावित नहीं कर सकती हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से फसल को मदद करेगी।’’

उन्होंने कहा कि आम की फसल की संभावनाएं अभी अच्छी हैं। फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) में कुल उत्पादन बढ़कर 2.4 करोड़ टन हो सकता है, जबकि फसल वर्ष 2022-23 में यह 2.1 करोड़ टन था।

दक्षिण भारत में आम का उत्पादन बंपर देखा जा रहा है, जो देश के कुल उत्पादन में 50 प्रतिशत का योगदान देता है। पिछले साल मौसम की गड़बड़ी के कारण दक्षिणी राज्यों को 15 प्रतिशत नुकसान का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि इस साल स्थिति बेहतर है।

आम भारत का एक महत्वपूर्ण फल है और इसे ‘फलों का राजा’ कहा जाता है। भारत एक प्रमुख आम उत्पादक देश है, जो विश्व के उत्पादन में लगभग 42 प्रतिशत का योगदान देता है।

दामोदरन के अनुसार, जलवायु फूल आने और फल लगने में भूमिका निभाती है।

उन्होंने कहा कि हालांकि, सामान्य से अधिक गर्मी की स्थिति में, किसानों को सावधानी बरतने और हल्की सिंचाई सुनिश्चित करके मिट्टी की नमी के तनाव को दूर करने की आवश्यकता होती है, जिससे फलों का गिरना कम हो जाता है।

उन्होंने किसानों को उत्तरी मैदानी इलाकों के आम उत्पादक क्षेत्रों में आक्रामक कीटों के हमले, विशेषकर थ्रिप्स कीट से सावधान रहने की सलाह दी।

दामोदरन ने कहा कि आम के कई बागों में थ्रिप्स की आबादी कई गुना बढ़ गई है।

भोजन की तलाश में, थ्रिप्स कीट पुष्प भागों से नवगठित फलों की ओर पलायन करेंगे। उन्होंने कहा कि फसल को बचाने के लिए किसान तुरंत कीटनाशक, विशेष रूप से इमिडाक्लोप्रिड, लगभग चार मिलीलीटर (एमएल) प्रति लीटर पानी या थियामेथैक्सम 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव कर सकते हैं।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments