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Friday, 22 November, 2024
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दिल्ली के पीएसआरआई और फॉर्टिस के टॉप सर्जन के किडनी रैकेट से जुड़े हैं तार

अभी तक इस मामले में पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीएसआरआई) के डॉ. दीपक शुक्ला सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

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नई दिल्ली: तुर्की से लेकर मध्य पूर्व तक फैले अंतर्राष्ट्रीय किडनी रैकेट के मद्देनजर निजी अस्पतालों में या निजी प्रैक्टिस करने वाले दिल्ली के प्रमुख यूरोलॉजिस्ट से लेकर करीब दर्जन भर से ऊपर सर्जन पर उत्तर प्रदेश पुलिस की निगाह बनी हुई है.

अभी तक इस मामले में पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीएसआरआई) के डॉ. दीपक शुक्ला सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. फोर्टिस अस्पताल के दो प्रमुख डाक्टरों को किडनी रैकेट मामले में नोटिस दिया गया है. मध्य दिल्ली में स्थित एक अन्य अस्पताल के खिलाफ जांच जारी है और इस मामले में और गिरफ्तारी से इनकार नहीं किया जा सकता. इस मामले के सामने आने के बाद से चिकित्सा जगत में उथल-पुथल है.

कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनंत देव ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के उल्लंघन के मामले में फोर्टिस अस्पताल को नोटिस जारी किया गया है.

इस मामले की जांच की निगरानी कर रहे उत्तर प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी अनंत देव ने कहा, ‘डॉक्टरों द्वारा गरीब लोगों से धोखाधड़ी का मामला फोर्टिस के अलावा पीएसआरआई और मध्य दिल्ली के एक और अस्पताल में सामने आई है. इसमें अस्पताल प्रशासन और मध्यस्थ की भूमिका भी सामने आई है.’

एसएसपी ने कहा कि पुलिस ने इस मामले के प्रमुख आरोपी डॉ. केतन कौशिक की तलाश के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है. कौशिक किडनी प्रत्यारोपण के लिए तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और मध्य पूर्व के अन्य स्थानों से मरीजों को यहां लाता था.

देव ने कहा, ‘यह रैकेट काफी बड़ा है. अलग-अलग स्थानों से अलग-अलग समूह इसे संचालित कर रहे थे. अभी हमने एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो दिल्ली के अस्पतालों से संचालित है.’

एसएसपी ने कहा कि दीपक शुल्का का नाम इस मामले में संलिप्त कम से कम 10 आरोपियों ने लिया है. गिरफ्तार किए गए शुक्ला का सामना अन्य आरोपियों से कराया जाएगा.

यह रैकेट एक संगठित गिरोह की तर्ज पर काम करता है. मसलन अंतर्राष्ट्रीय मरीज से जहां कुछ लोग संपर्क करते थे, वहीं कुछ लोगों का काम स्थानीय किडनी डोनर को फंसाना होता था.

पुलिस सूत्रों ने कहा कि इसके पर्याप्त सबूत हैं कि आरोपी ने किडनी लेने वाले मरीजों से बड़ी मात्रा में धनराशि लेकर कम से कम 12 दानदाताओं की किडनी निकाली.

किडनी दानकर्ताओं को जहां दो-तीन लाख रुपये दिए जाते थे, वहीं किडनी लेने वालों से 70 से 80 लाख रुपये वसूले जाते थे.

जांच में अंतर्राष्ट्रीय सूत्र का खुलासा हुआ है, जहां यह पाया गया कि दिल्ली स्थित डॉक्टर केतन कौशिक अंतर्राष्ट्रीय मरीजों के मामलों को देखते थे.

इस रैकेट के खुलासे से देशभर के मेडिकल पेशेवर सदमे में हैं. सूत्रों ने कहा कि आने वाले दिनों में इस मामले में कुछ और प्रमुख डाक्टरों से पूछताछ की जा सकती है.

एसएसपी के मुताबिक, डॉ. शुक्ला और अन्य प्रमुख आरोपियों से कानपुर के पुलिस अधीक्षक (अपराध) के नेतृत्व में एक विशेष टीम विस्तृत पूछताछ करेगी.

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