नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर उन्हें और उनके पिता चौधरी बीरेंद्र सिंह — जो 2014 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे — के साथ “बाहरी” की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा है कि भाजपा कभी आपको “अपनाती नहीं” है.
आईएएस अधिकारी से नेता बने जो 2019 में हिसार से लोकसभा के लिए चुने गए बृजेंद्र सिंह ने रविवार को कांग्रेस में शामिल होने के लिए बीजेपी को छोड़ दिया.
दिप्रिंट के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के लिए किसानों के आंदोलन, अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना और महिला पहलवानों के विरोध पर केंद्र सरकार के प्रबंधन सहित कई मुद्दों के कारण भाजपा के भीतर असहज महसूस कर रहे थे.
सिंह ने कहा, “भाजपा के पास बहुत संरचित, कैडर-आधारित प्रणाली है. मेरे पिता, जो 2014 में शामिल हुए और मैं, जो 2019 में शामिल हुआ, अभी भी पार्टी में बाहरी माने जाते थे. ऐसा नहीं है कि वे (भाजपा) आपको वैसे अपनाती है जिसकी आप उम्मीद कर रहे हैं. तो तीन-चार बातें थीं.”
उन्होंने कहा कि भाजपा में किसी के साथ उनका कोई “व्यक्तिगत मुद्दा” नहीं है “चाहे वे शीर्ष नेतृत्व हो या संसद में मेरे सहयोगी”.
“यह सिर्फ इतना है कि मैंने जिस तरह की शिक्षा ली है, जिस तरह की सांस्कृतिक और सामाजिक सेटिंग का मैं एक हिस्सा हूं, जिसमें शिक्षा की एक महान भूमिका थी…और इसलिए विचार और पूरी तरह से विचारधारा नहीं, बल्कि जो आदर्श मेरे पास हैं, जो मुझे प्रिय हैं — हम एक तरह से बहुत सहज नहीं थे. इसलिए अनुकूलता के मुद्दे थे, जो मुझे शुरुआत में ही सही लगा.”
हरियाणा कैडर के 1998 बैच के आईएएस अधिकारी, बृजेंद्र सिंह ने हिसार से 2019 लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले ली. उन्होंने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दुष्यंत चौटाला और भव्य बिश्नोई को हराया, जो उस समय कांग्रेस में थे.
इस तथ्य पर जोर देते हुए कि उनका जन्म और पालन-पोषण कांग्रेस की संस्कृति में हुआ, सिंह ने अंततः पार्टी में शामिल होने का फैसला किया.
हिसार सांसद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी भारत जोड़ो यात्रा की भी सराहना की.
“राहुल गांधी और मैं सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ते थे, हम सहपाठी थे. इसलिए मैं कभी इस भ्रम में नहीं रहा कि वो वैसे ही हैं जैसा लोग उन्हें दिखाते हैं. मैंने हमेशा राहुल गांधी को एक पढ़ा-लिखा और संवेदनशील व्यक्ति पाया है.”
सिंह ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल को एक व्यक्ति के रूप में बदल दिया.
“कहने के लिए, मेरा पहला ट्रिगर पिछली भारत जोड़ो यात्रा के दौरान था. क्योंकि मुझे सच में लगा कि वे एक व्यक्ति के रूप में उनके (राहुल गांधी) लिए, एक राजनीतिक व्यक्ति के रूप में और कांग्रेस पार्टी के पुनरुद्धार के लिए एक निर्णायक पल था. यह कुछ ऐसा है जिसका लोग शायद बाद में उचित मूल्यांकन करेंगे, अभी नहीं और तब जाकर वे अंततः एक ऐसे व्यक्ति को सामने पाएंगे जो गंभीर था.”
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‘कृषि कानूनों का मुद्दा उठाने का मौका नहीं दिया गया’
सिंह के हिसार से चुने जाने के बाद, पिता बीरेंद्र सिंह – जो 2014 से 2019 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान केंद्रीय मंत्री थे – ने जनवरी 2020 में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया.
कई लोगों ने तब कहा था कि यह भाजपा की “एक परिवार, एक पद” नीति के अनुरूप था.
बृजेंद्र सिंह ने कहा कि संसद में रहते हुए उन्हें कई “महत्वपूर्ण” मुद्दों पर बोलने के कई मौके मिले क्योंकि वे संसदीय स्थायी समितियों, विशेष रूप से लोक लेखा समिति और रक्षा समिति का भी हिस्सा थे. हालांकि, उन्हें संसद में कृषि कानूनों सहित कई मुद्दों को उठाने का मौका नहीं दिया गया.
हिसार के सांसद ने कहा, हालांकि, उन्होंने बीजेपी में अपने कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी के साथ बातचीत नहीं की, “किसी ने भी उन्हें देखा है, वे एक मेहनती कार्यकर्ता हैं.”
उन्होंने कहा, “मेरा मतलब है कि इसमें कोई शक नहीं है और मुझे यकीन है कि भारत के प्रत्येक प्रधानमंत्री, अगर आप इस आकार और इस विविधता वाले देश के मामलों के शीर्ष पर हैं, तो आपको कड़ी मेहनत करनी होगी. आप निश्चिंत होकर यह नहीं सोच सकते कि सब कुछ ठीक हो जाए. तो, हां, वे बहुत मेहनती हैं.”
उन्होंने कहा कि पीएम का दिमाग “लगातार चल रहा है”. सिंह ने कहा, “ऐसा नहीं है कि उनका मन उसी अर्थ में विश्राम करता है. वे हमेशा चीज़ों को देखते रहते हैं, समाधान के बारे में सोचते हैं और काम पूरा करना चाहते हैं.”
हिसार के सांसद ने यह भी कहा कि हरियाणा में भाजपा-जेजेपी गठबंधन एक और गंभीर घर्षण बिंदु था.
अक्टूबर में बीरेंद्र सिंह ने एक अल्टीमेटम जारी किया कि अगर भाजपा ने हरियाणा में जेजेपी के साथ अपना गठबंधन जारी रखा तो वे भाजपा छोड़ देंगे.
2019 में बृजेंद्र सिंह ने चौटाला और बिश्नोई को हराया था. हालांकि, जेजेपी भाजपा की गठबंधन सहयोगी है और बिश्नोई और उनके पिता कुलदीप बिश्नोई भी भाजपा का हिस्सा हैं, बीरेंद्र सिंह अपने बेटे को लोकसभा टिकट मिलने को लेकर अनिश्चित थे.
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