नई दिल्ली: भाजपा के टिकट पर ओडिशा से पहली बार लोकसभा पहुंचे प्रताप चंद्र सारंगी को वर्तमान सरकार में पशु पालन राज्य मंत्री बनाया गया है. दिप्रिंट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘धोखे, जबरन और लालच देकर किया गया धर्म परिवर्तन किसी लड़की को मदद के बदले उससे ‘शारीरिक सुख पाने की कामना’ जैसा है.’
साल 1999 में आस्ट्रेलियन मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके दो बेटों की दक्षिण पंथियों ने आग से जलाकर मार डाला था. उस समय सारंगी ओडिशा बजरंगदल के प्रमुख थे. वे धर्म परिवर्तन के खिलाफ हैं. उनके मुताबिक यह फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट, 1967, के प्रावधानों के खिलाफ है.
सारंगी ने कहा, ‘धोखाधड़ी, बल या लुभाने के माध्यम से पूरे देश में धर्मांतरण किया गया. यह अवैध है और यह कानून के तहत सजा के अधीन है.’
‘मान लीजिए कि किसी ने मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेज में किसी लड़की की मदद की, और वह उसके बदले लड़की से शारीरिक सुख की कामना रखता है तो उसे अपराध व अमानवीय कृत्य माना जाएगा. इसी तरह, यदि कोई व्यक्ति किसी सेवा या पैसे देकर किसी के विश्वास को बदलना या उसका शोषण करना चाहता है, तो उसे भी अपराध माना जाना चाहिए – प्रकृति के खिलाफ अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध.’
बालासोर के सांसद ने कहा कि कई महापुरुषों ने धर्मांतरण का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद से लेकर महात्मा गांधी तक किसी को भी धर्मांतरण पसंद नहीं है.
स्टेंस की हत्या
स्टेंस और उसके बच्चों को मारने के लिए दारा सिंह को दोषी ठहराया गया था. सारंगी पर दारा सिंह को समर्थन देने के आरोप लगते रहे हैं. इस पर सारंगी ने कहा कि वे इस क्रूर हत्या की निंदा करते हैं. वो बहुत ही ‘अमानवीय कृत्य’ था.
सारंगी ने कहा, ‘दारा सिंह का बजरंग दल से कोई लेना-देना नहीं था. वह एक कार्यकर्ता था और इस घटना में अभियुक्त था और उसे दोषी ठहराया गया था. बजरंग दल के प्रमुख के रूप में, मैंने उस घटना की निंदा की थी.’
‘वाधवा आयोग, उच्च न्यायालय और गृह मंत्री – इन तीनों एजेंसियों ने कहा है कि मुझे इससे कोई लेना-देना नहीं है. उस दिन, मैं भोगराई में नेताजी सुभाष जयंती पर बोल रहा था इसलिए इस फालतू (निरर्थक) बात पर कुछ नहीं कह सकता.’
गोडसे देशभक्त हो सकता है लेकिन मैं यह नहीं कह सकता
सारंगी ने इस बात से भी इनकार किया कि उन्होंने नाथूराम गोडसे को ‘देशभक्त’ कहा था. वह कहते हैं ‘मैंने कभी नहीं कहा कि नाथूराम गोडसे एक देशभक्त था. गोडसे देशभक्त हो सकते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कह सकता. मैंने महात्मा गांधी की हत्या की निंदा की है. मैंने कभी इस कृत्य का समर्थन नहीं किया.’
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मैं गौ माता की सेवा कर सकता हूं’
पहली बार सांसद बनने के बावजूद, सारंगी को दो पोर्टफोलियो दिए गए हैं – पशुपालन, डेयरी और खेती के नए मंत्रालय और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय. वह भाजपा के आठ ओडिशा सांसदों में से एक हैं जिन्हें मंत्री पद दिया गया है.
सारंगी ने कहा, पशुपालन कुछ ऐसा नहीं है जिससे वो अनजान हो. अपने गृह राज्य में भी, वह गौ रक्षा आंदोलन में सबसे आगे थे.
‘पशुपालन एक महत्वपूर्ण विभाग है. हम न केवल लोगों की सेवा कर सकते हैं बल्कि ऐसे जानवर भी हैं जिनका जीवन मानव समाज के कल्याण के लिए समर्पित है. मैं गौ माता और अन्य जानवरों की सेवा भी कर सकता हूं.
सारंगी ने कहा कि जानवरों को और विशेष रूप से गायों को बहुत अधिक सहानुभूति और प्यार से देखना चाहिए. गायों का अवैध रूप से क्रूर और अमानवीय तरीके से वध किया जा रहा है. हमें उन्हें बचाने के लिए एक उपाय खोजना होगा.’
नेहरू का भारत अब मोदी का भारत है
सारंगी ने कहा पीएम नरेंद्र मोदी का राष्ट्रवाद में विश्वास भाजपा को इतनी बड़ी सफलता दिलाने में अहम भूमिका निभाई है. वह आगे कहते हैं कि ‘यह पीएम कोई कागजी शेर नहीं है. वह एक असली हीरो हैं. और वह भारत माता का अपमान नहीं सह सकते हैं.
जब हमारे जवान पुलवामा, उरी में मारे गए और यहां तक कि म्यांमार के आतंकवादियों को प्रतिक्रिया में, मोदी जी ने हवाई हमले और सर्जिकल स्ट्राइक के आदेश दिए. जिसके कारण सैकड़ों आतंकवादी मारे गए, यहां तक कि कुछ पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए.’
सारंगी ने कहा, ‘मोदी ने पाकिस्तान को (विंग कमांडर) अभिनंदन (वर्थमान) को कुछ दिनों के भीतर छोड़ने के लिए मजबूर किया. लोग अब सोचने लगे हैं कि भारत काफी मजबूत है,
‘ 1962 में भारत ऐसा नहीं था. गंगा में बहुत पानी बह गया है (गंगा में बहुत पानी बह चुका है), और नेहरू का भारत अब मोदी के भारत में बदल गया है, जो पूरी तरह से अलग है.’
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भाजपा की ‘विभाजनकारी राजनीति’ पर
सारंगी ने विपक्ष की इस बात पर भी निशाना साधा कि भाजपा ने विभाजनकारी राजनीति का अभ्यास करके चुनाव जीता.
उन्होंने व्यंग्यात्मक रूप से कहा, ‘जो लोग कह रहे थे, ‘भारत के टुकड़े कर रहे हैं हमरा जंग जंगे’ (हमारी लड़ाई भारत के टुकड़े-टुकड़े होने तक जारी रहेगी), ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’, और जो लोग अफजल गुरु के पक्ष में नारे लगा रहे हैं, यह विभाजनकारी राजनीति नहीं है. लेकिन जो लोग कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की एकता और अखंडता के लिए काम करते हैं, वे विभाजनकारी राजनीति खेल रहे हैं.’
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