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Tuesday, 16 April, 2024
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मोदी सरकार 2.0: एक बार फिर ‘मिनिमम गवर्मेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ की ओर बढ़ा कदम

सरकार ने जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प के अलावा पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय मिलाकर एक कर दिया. पशुपालन अब अलग मंत्रालय है.

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नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर ‘मिनिमम गवर्मेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ (न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन) में अपना भरोसा जताया है. इसके लिए शुक्रवार को उन्होंने जल से जुड़े कई अहम मंत्रालयों को एक साथ जोड़ दिया. वहीं, पशुओं से जुड़े मामलों की तरफ ध्यान और रक्षा के लिए नए पशुपालन मंत्रालय का भी गठन किया है.

नए मंत्रिमंडल के लिए विभागों के बंटवारे के दौरान सरकार ने जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प के अलावा पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय मिलाकर एक कर दिया और नए मंत्रलाय का निर्माण किया. इस नए मंत्रालय का नाम ‘जल शक्ति’ है.

‘जल शक्ति’ मंत्रालय दो बार से राजस्थान के सांसद रहे गजेन्द्र सिंह शेखावत को दिया गया है. उन्होंने बृहस्पतिवार को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली थी. मोदी सरकार के पहले मंत्रिमंडल में केंद्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के पास जल संसाधन और गंगा कायाकल्प का ज़िम्मा था. वहीं, पेयजल और स्वच्छता विभाग उमा भारती के पास था.

शुक्रवार को मोदी सरकार ने पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन के लिए भी अलग से मंत्रालय बनाया. ये पहले कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत आता था. गिरिराज सिंह को इस मंत्रालय का भार दिया गया है. वहीं, पहली बार सांसद बने ओडिशा के प्रताप सारंगी को उनका जूनियर बनाया गया है.

लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है.

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कुछ मामलों में जहां पूरक मंत्रालयों को एक साथ नहीं लाया गया, उन्हें एक कैबिनेट मंत्री के ज़िम्मे दे दिया गया है. उदाहरण के लिए नरेंद्र सिंह तोमर को कृषि, ग्रामीण विकास और पंचायती राज का ज़िम्मा दिया गया है.

घोषणापत्र के वादे

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 2019 के घोषणापत्र ने वादा किया था कि नीतियों और तालमेल को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए एक जैसे और उनसे जुड़े विभागों का क्षेत्रीय मंत्रालयों में विलय कर दिया जाएगा. पार्टी के 2014 वाले घोषणापत्र ने भी ऐसी ही घोषणा की थी. लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) की सरकार ने आधे मन से इसे लागू किया था.

2014 में दवा विभाग और आयुष को स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत लाए जाने की बात थी. इस सप्ताह की शुरुआत में नाम नहीं बताने की शर्त पर एक नौकरशाह ने दिप्रिंट को बताया था कि ऐसा लाल फीताशाही और इसमें शामिल मंत्रालयों के आपसी विरोध की वजह से ऐसा नहीं हो सका.

बाद में 2017 में सरकार महज़ दो मंत्रालयों को एक कर सकी. इनमें शहरी विकास और आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन (एचयूपीए) शामिल थे और दोनों को मिलाकर आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय का गठन किया गया. ऐसे ही बदलावों के बाद 2018 में गडकरी को तीन अहम मंत्रालयों का ज़िम्मा दिया गया. इनमें सड़क परिवहन और राजमार्ग, शिपिंग और जल संसाधन शामिल थे. मंत्रालयों को मिला देने के बजाए मोदी ने इन्फ्रास्ट्रक्चरों का समूह का नेतृत्व गडकरी को सौंप दिया.

गडकरी के अलावा समूह में रेलवे, एविएशन, पावर, पेट्रोलियम और टेलिकॉम के मंत्री शामिल थे. इनके ज़िम्मे दूरसंचार केबलों आदि के उपयोगिताओं के लिए बुनियादी ढांचे के बंटवारे के मुद्दों को सुलझाने का काम था. हालांकि, नई सरकार में गडकरी को फिर से हाईवे का ज़िम्मा मिला है, जबकि शिपिंग मंत्रालय का ज़िम्मा स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री मनसुख मांडविया को दिया गया है. शिपिंग की जगह गडकरी को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम का ज़िम्मा दिया गया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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