नई दिल्ली : देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का प्रमोशन हो गया है. डोभाल अब मोदी सरकार में कैबिनेट रैंक के अधिकारी का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं. साथ ही वह आगामी पांच वर्षों आगामी पांच वर्षों तक इस पद पर बने रहेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी और विश्वासपात्र माने जाने वाले अजीत डोभाल को सोमवार को पांच वर्षों के लिए एनएसए पद पर नियुक्त किया है. एनडीए सरकार यह उनका दूसरा कार्यकाल है.
भारत सरकार ने सोमवार को डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में फिर से नियुक्त किया. देश की सुरक्षा में पिछले पांच वर्षों में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए राज्य मंत्री रैंक से उनको कैबिनेट रैंक देकर उनके पद को अपग्रेड किया है. 2 जून की नियुक्ति समिति की कैबिनेट द्वारा जारी आदेश में कहा गया ‘मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने 31 मई 2019 से प्रभावी होने के साथ अजीत डोभाल आईपीएस (सेवानिवृत्त) को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है. उन्हें वरीयता की तालिका में कैबिनेट मंत्री का पद सौंपा गया.
सरकार ने डोभाल की नियुक्ति पांच साल के लिए की है.
2014 में डोभाल को भारत के पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था, उन्होंने इराक में एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
राजनयिक वार्ताओं के माध्यम से डोकलाम गतिरोध को हल करने के लिए डोवाल को तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर और चीन में भारतीय राजदूत विजय केशव गोखले के साथ व्यापक रूप से श्रेय दिया गया है.
Delhi: National Security Advisor Ajit Doval leaves from MHA. He has been given Cabinet rank in Government of India in recognition of his contribution in the national security domain. His appointment will be for five years. pic.twitter.com/jhTtkqSVUJ
— ANI (@ANI) June 3, 2019
अक्टूबर 2018 में उन्हें रणनीतिक नीति समूह (एसपीजी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में त्रिस्तरीय संरचना का पहला टियर है और इसके निर्णय लेने वाले तंत्र के नुक्लिएस का निर्माण करता है.
यह भी कहा जाता है कि डोवाल ने बालाकोट एयर स्ट्राइक और पाकिस्तानी की हिरासत में रखे गए विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की रिहाई के दौरान अहम भूमिका निभाई.
अजीत डोभाल 1968 केरल बैच के आईपीएस अफसर हैं वे 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए थे. उन्होंने अपने करियर में ज्यादातर समय खुफिया विभाग में ही काम किया है.