धुआं रहित तंबाकू या एसएलटी (Smokeless Tobacco) का उपयोग 140 देशों में लगभग 3 करोड़ 65 लाख लोगों द्वारा किया जाता है. दक्षिण-पूर्व एशिया भाग में भारत एक बड़ा हिस्सा है. एसएलटी उत्पाद कई प्रकार के होते है. ज्यादा चलन मूल रूप में चबाये या चूसे जाने वाले जैसे ज़र्दा, खैनी या गुटखा, अथवा नाक से सूंघे जाने वाले जैसे नसवार, बाजर आदि. एसएलटी उत्पादों में 4,200 से ज्यादा रासायनिक तत्व पाए जाते है, जिसमें से 30 से अधिक को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) व इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) द्वारा घातक कैंसरकारक के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इन उत्पादों में पाए जाने वाले दो सबसे खतरनाक तंबाकू-विशिष्ट नाइट्रोसामाइन (TSNAs), एन‘-नाइट्रोसोनोर्निकोटिन (NNN) और निकोटीन-व्युत्पन्न नाइट्रोसामाइन कीटोन (NNK) को आईएआरसी द्वारा ग्रुप-1 मानव कैंसरकारक के रूप में रखा गया है।
होंठ और मुख के कैंसर विश्व स्तर पर उतने व्यापक नहीं हैं जितने दक्षिणी एशिया और प्रशांत के देशों में है. ग्लोबोकैन 2020 के अनुमानों से पता चला है कि भारत में सालाना होंठ और मुख के कैंसर के मामलों की संख्या 100,000 से अधिक थी. मुख का कैंसर भारत में क्रमशः घटनाओं और मृत्यु दर के मामले में दूसरा और तीसरा सबसे बड़ा कैंसर है. एसएलटी का सेवन मुख के कैंसर का प्रमुख कारण माना जाता है. पिछले कई सालों में सिगरेट की खपत पर अंकुश लगाने में हुई प्रगति की तुलना में एसएलटी के उपयोग को नियंत्रित करने के किए गए वैश्विक प्रयास इससे काफी पीछे हैं.
तंबाकू में विद्यमान घातक रसायनों की पहचान करने के इरादे से, दुनिया भर के वैज्ञानिक तंबाकू की रासायनिक संरचना को समझने की दिशा में काम कर रहे हैं. तंबाकू की खेती, देखभाल, तंबाकू की पत्तियों का प्रसंस्करण व भंडारण और उत्पादन का गहन अध्ययन करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि खेती के दौरान, वातावरण से सक्रिय रोगाणु या छोटे जीवाणु जैसे बैक्टीरिया, वायरस और कवक और कृषि रसायनों के अवशेष (कीटनाशक, कवकनाशी, खरपतवारनाशी) तंबाकू के पत्तों पर जमा हो जाते हैं. कटाई के बाद, बिना धुली तंबाकू की पत्तियों को जब आग, हवा, धुएं या धूप में सुखाया जाता है, तब तम्बाकू के पत्तों की सतहों से ये सूक्ष्मजीव (Microorganism) और रासायनिक अवशेष अंतिम उत्पाद में भी पहुँच जाते हैं.
तम्बाकू विषाक्त कैसे हो जाता है?
काफी समय से तंबाकू में जीवाणु की उपस्तिथि ज्ञात थी और तंबाकू उत्पादन के दौरान ये रोगाणु पत्तियों में मौजूद शर्करा से क्रिया करके तंबाकू का कसैलापन कम करने में मदद करते हैं, जिससे तंबाकू का स्वाद बेहतर हो जाता है.
हाल ही में हुए अनुसंधानों ने SLT उत्पादों में रोगाणुओं की उपस्थिति से जुड़े नुकसानों पर ध्यान खीचा है. ये रोगाणु मुंह में प्रवेश करते ही बायोफिल्म बना सकते हैं, एंडोटॉक्सिन/मायकोटॉक्सिन का स्राव कर सकते हैं, और प्रो-इनफ्लेमेटरी जैसे अणुओं का उत्पादन कर सकते हैं, जिससे मुंह से संबंधित गंभीर रोग हो सकते हैं. वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि गंभीर सूजन (Inflammation) पैदा करके या टीएसएनए जैसे कैंसरकारक मेटाबोलाइट्स को पैदा करके, ये रोगाणु कैंसर उत्पन्न कर सकते हैं. एक हालिया अध्ययन से संकेत मिलता है कि तंबाकू में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव (Microbial Community) एसएलटी उत्पादों के TSNAs स्तर को प्रभावित करते हैं. तंबाकू का सेवन करने पर, टीएसएनए शरीर में अवशोषित हो जाते हैं और कई प्रतिक्रियाशील यौगिकों में मेटाबोलाइज़ हो जाते हैं, जो सामान्य डीएनए और आरएनए को नुकसान पहुंचाकर ट्यूमर उत्पन्न करते हैं, जिससे मुंह, खाने की नली, अग्नाशय और फेफड़ों के कैंसर होते हैं.
TSNAs ताज़े-ताज़े कटाई किए गए तम्बाकू में मौजूद नहीं होते हैं, बल्कि उत्पादन विधि के दौरान बनते हैं. जब रोगाणु पत्तियों में मौजूद नाइट्रेट (nitrate ) को नाइट्राइट (nitrite) में बदल देते हैं, जो निकोटीन और नोर्निकोटिन जैसे तंबाकू एल्कलॉइड के साथ क्रिया करके कार्सिनोजेनिक TSNAs बनाता है. अधिक आर्द्रता, ज्यादा तापमान और तम्बाकू को सुखाने के लिए उपयोग किया जाने वाला ईंधन भी तंबाकू उत्पादों में कार्सिनोजेनिक TSNAs के स्तर को प्रभावित करते हैं. खैनी, ज़र्दा, गुटखा, तूम्बक और स्नफ के निर्माण में फर्मेंटेशन, एजिंग और तंबाकू के लंबे समय तक भंडारण सहित विभिन्न चरण शामिल हैं. इन सभी प्रक्रियाओं के दौरान कार्सिनोजेनिक TSNAs उत्पन्न होते हैं.
एक हालिया अध्ययन, जिसमें इस लेख के लेखक भी सह लेखक है, में तंबाकू की खेती से लेकर कैंसर की शुरुआत तक TSNAs संबंधित जैव-रासायनिक और रासायनिक परिवर्तनों को विस्तार में प्रस्तुत किया गया है. तंबाकू में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों (Microbial Community) की भूमिका भी दर्शाई गई हैं. इस लेख में तम्बाकू निर्माताओं को एसएलटी उत्पादों में TSNAs के स्तर को कम करने के उपाय भी सुझाए गए है – मिट्टी और नई कटाई वाले तम्बाकू को दबावयुक्त भाप (Pressurised Steam) से धोने से रोगाणुओं को हटाया जा सकता है. नई तकनीक जैसे कि इलेक्ट्रॉन बीम विकिरण और तम्बाकू का प्रारंभिक रूप से पास्चुरीकरण, प्रसंस्करण के दौरान रोगाणुओं को खत्म कर सकती हैं. एसएलटी उत्पादों को फ्रिज में रखना, रोगाणु के विकास और गतिविधि को रोकता है और TSNA बनाने वाली प्रतिक्रियाओं को रोकता है.
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क्या ठीक किया जा सकता है – और कहां
एसएलटी उत्पादों में कार्सिनोजेनिक यानि कैंसर पैदा करने वाले टीएसएनए के उत्पादन को नियंत्रित करने के लिए जमीनी स्तर के तरीके हैं जिन्हे उत्पादन और प्रसंस्करण के विभिन्न चरणों में लागू किया जाता है.
रोकथाम की तकनीक
अध्ययनों से पता चला है कि वायु उपचार (Air-Curing) की तुलना में फ़्लू और अग्नि उपचार (Fire-Curing) करने से अंतिम उत्पाद में उच्च टीएसएनए स्तर होता है. SLT निर्माण के दौरान उच्च तापमान जैव-रासायनिक क्रियाओं को बढ़ाता है, इसलिए, एसएलटी उत्पादों में नाइट्रोसामाइन के स्तर को कम करने के लिए तम्बाकू को हवा या धूप में सुखना बेहतर विकल्प होता है.
दूसरे बैक्टीरिया का उपयोग करना
सबसे अच्छा तरीका बैक्टीरिया के विशिष्ट समूहों की पहचान करना और उन्हें लक्षित (Target) करना है जो टीएसएनए के उत्पादन में योगदान करते हैं. तम्बाकू के पत्तों में या उत्पादन के दौरान वातावरण में मौजूद स्टैफिलोकोकस और कोरिनेबैक्टीरियम बैक्टीरीया सक्रिय रूप से NNN और NNK के निर्माण को बढ़ाते हैं. कुछ कवक (Fungi) और यीस्ट भी, निकोटीन को नोर्निकोटिन में बदलने में मदद करते हैं, जिससे तंबाकू में NNN और NNK जैसे तत्त्व बढ़ जाते हैं. इसका एक समाधान गैर-नाइट्राइट बनाने वाले बैक्टीरिया का इस्तेमाल है. इसके अलावा, एस्कॉर्बिक एसिड, टोकोफ़ेरॉल और पॉलीफेनोल्स जैसे नाइट्राइट-स्कैवेंजिंग रसायन भी इसमें मदद कर सकते हैं.
तम्बाकू प्रसंस्करण के दौरान पाश्चुरीकरण
प्रसंस्करण और भंडारण स्थितियों में बदलाव – विशेष रूप से पश्चिमी देशों में जीवाणु को कम करने या खत्म करने के लिए हीट ट्रीटमेंट व पाश्चुरीकरण विधि का उपयोग करके तंबाकू उत्पाद संसाधित किये जाते है. मसलन, स्वीडिश स्नस जैसे उत्पादों में विषाक्त पदार्थों के स्तर को कम किया है, इसके परिणामस्वरूप नम और सूखे स्नफ(snuff) सहित प्रसंस्करण के दौरान फर्मेंटेड उत्पादों की तुलना में स्वीडिश स्नस में टीएसएनए का स्तर बहुत कम होता है.
ह्यूमेक्टेंट्स और एडिटिव्स का मिश्रण
ग्लिसरॉल और प्रोपलीन ग्लाइकोल जैसे ह्यूमेक्टेंट्स को तम्बाकू उत्पादों में मिलाया जाता है ताकि सूक्ष्म जीवों के विकास को विफल करने और उत्पाद को नमी से बचाकर लंबे समय तक खराब होने से बचाया जा सके. ये केमिकल्स (Additives) नाइट्रेट को नाइट्राइट में परिवर्तित करने के लिए रोगाणुओं की क्षमताओं को अवरुद्ध करते हैं.
क्लीनिंग प्रेक्टिस
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि कटाई के समय तंबाकू के पत्तों को धोने से रोगाणुओं, मिट्टी के कणों और कृषि रसायनों को कम या खत्म किया जा सकता है. उत्पादन के दौरान फर्मेंटेशन वाले बर्तनों और उपकरणों की पूरी तरह से सफाई एसएलटी उत्पादों में रोगाणुओं की वृद्धि को काफी कम करती है.
पैकेजिंग एवं भंडारण की स्थिति
जब एसएलटी उत्पादों को इकट्ठा या भंडारण किया जाता है तो आर्द्रता और उच्च तापमान टीएसएनए के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. एसएलटी प्रोडक्ट में क्षारीय (Alkaline pH) और नमी के भी उच्च स्तर मिलते हैं. अध्ययनों ने नमी की मात्रा और रोगाणुओं की जनसंख्या के बीच एक संबंध दिखाया है और सुझाव दिया है कि नम सैंपल में संख्या और विविधता दोनों के संदर्भ में सबसे अधिक जीवाणु संदूषण (Bacterial Contamination) था.
पत्तों का भंडारण
तम्बाकू की पत्तियों को अक्सर खेतों में और बाद में प्रसंस्करण के लिए तम्बाकू उत्पाद निर्माताओं के पास 3 से 18 महीने तक इकट्ठा किया जाता है. अपर्याप्त हवा के साथ उच्च तापमान उनमें सूक्ष्मजीवों के विकास में सहायता करती है.
तैयार एसएलटी प्रोडक्ट
स्टेपानोव और उनके सहकर्मी पिछले दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के बाजार में विभिन्न एसएलटी उत्पादों में टसना और निकोटीन के स्तर की लगातार निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने पाया कि गीले या उच्च नमी वाले एसएलटी उत्पादों को बड़े डिब्बों में 37 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान पर रखने से टीएसएनए बनने में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है. अपर्याप्त हवा व नमी के कारण बैक्टीरिया पनपते है. प्रोडक्ट के पैक या थैली का आकार भी NNN और NNK के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बड़े टिन पैक प्रयोग में लेने के लिए बार बार खोले जाते है इसलिए उन में छोटे पैक की तुलना में नमी की मात्रा अधिक होती है. स्नस (snus) तम्बाकू उत्पादों का निर्माण और पैकिंग ऐसी तकनीक का उपयोग करके किया जाता है जो न केवल रंग, स्वाद और सुगंध को बरकरार रखता है बल्कि लंबे समय तक भंडारण के बाद भी बैक्टीरिया के विकास को नियंत्रित किया जाता है. हालांकि, चैनी खैनी जैसे उत्पाद, भारत में व्यापक तौर पर स्नस (snus) के रूप में बेचे जाते है, परंतु इस खैनी में टीएसएनए का स्तर उल्लेखनीय रूप से उच्च होता है. अन्य तंबाकू उत्पादों की तुलना में इसे एक सुरक्षित विकल्प होने का दावा किया जाता है.
वैज्ञानिक प्रमाण कहते हैं कि तंबाकू उत्पाद को 8 डिग्री सेल्सियस से नीचे ठंडा रखकर ‘खराब होने (Ageing) की दर को धीमा किया जा सकता है. दुर्भाग्य से, भारत में, अधिकांश एसएलटी उत्पाद शहरों और गाँवों में सड़क के किनारे स्टालों और छोटी दुकानों पर रखे और बेचे जाते हैं जहां उच्च आर्द्रता और गर्मी की स्थिति होती है.
कोई भी तंबाकू उत्पाद को “सुरक्षित” नहीं कहा जा सकता है और निकोटीन की लत से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल है. इलाज से बचाव अधिक सही है. इस लेख के द्वारा हमारा इरादा किसी भी तरह से तंबाकू के उपयोग को बढ़ावा देने का नहीं है. परंतु, Regulatory नियमों को ध्यान में रखते हुए उपाय किए जाएं तो एसएलटी उत्पादों के सेवन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को कुछ कम किया जा सकता है. अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) की रिपोर्ट भी यही साक्षय प्रस्तुत करती है कि एसएलटी उत्पादों में कार्सिनोजेनिक TSNAs के स्तर को कम करने से तंबाकू से होने वाले कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है और इस प्रकार कैंसर के कारण मृत्यु दर, बीमारी और और उस पर होने वाले चिकित्सा व्यय को कम करके जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है.
इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर पूरा आर्टिकल पढे:
(अल्पना के. गुप्ता वर्तमान में सेंटर फॉर हेल्थ, इनोवेशन एंड पॉलिसी में एक रिसर्च कंसल्टेंट हैं. प्रोफेसर रवि मेहरोत्रा भारतीय कैंसर जीनोम एटलस के निदेशक और नोएडा में सेंटर फॉर हेल्थ, इनोवेशन एंड पॉलिसी फाउंडेशन के संस्थापक हैं. X: @ravimehro व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)
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