हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश), नौ फरवरी (भाषा) हिमाचल प्रदेश उपोष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई एवं मूल्यवर्धन (एचपीशिवा) परियोजना के तहत कभी बंजर रहे हमीरपुर जिले के बगेहरा गांव में बड़ा बदलाव आया है।
यहां हजारों अमरूद के पौधे लगाए गए हैं और कई किसानों की बंजर भूमि अब विकसित बागों में तब्दील हो गई है।
बागवानी विभाग के उप निदेशक राजेश्वर परमार ने बताया कि एचपी शिवा परियोजना के तहत हमीरपुर जिले में 834 हेक्टेयर भूमि पर फल के पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि समय के साथ जिले के अन्य क्षेत्रों के किसान भी बागवानी गतिविधियों को बड़े पैमाने पर अपनाएंगे।
परमार ने कहा कि ग्रामीणों को शिव परियोजना का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पूरा खर्च बागवानी विभाग द्वारा वहन किया जा रहा है। जल शक्ति विभाग की मदद से सिंचाई की व्यवस्था की गई है।
बीर-बगेहरा ग्राम पंचायत में ब्यास नदी के बाएं किनारे पर स्थित बगेहरा गांव 30 नहरों के क्षेत्र में बोए गए फलों के साथ एक छोटा उद्यान बन गया है। कई किसानों की बंजर जमीन पर करीब 1,667 अमरूद के पौधे लगाए गए हैं।
अपनी बंजर जमीन पर अमरूद लगाने वाले संतोष शर्मा ने कहा, ‘‘ इनमें फल लगने लगे हैं। ऐसा लगता है जैसे पूरा गांव एकजुट हो गया है और उनके लिए एक नया वसंत आ गया है।’’
किसान रविंदर नाथ ने कहा कि पहले स्थानीय लोगों को कमाने के लिए बाहर जाना पड़ता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।
उन्होंने कहा कि खराब मौसम, आवारा पशुओं और जंगली जानवरों की समस्या के कारण लोगों ने पारंपरिक फसलों की खेती को छोड़ना शुरू कर दिया है। उनकी जमीन बंजर होती जा रही थी। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में एचपी शिवा परियोजना ने स्थिति पूरी तरह बदल दी।
बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि सेब के लिए पहचाने जाने वाले हिमाचल प्रदेश में अन्य फलों की खेती की भी अच्छी संभावनाएं हैं। राज्य के मध्यम और कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों की जलवायु अनार, अमरूद, संतरा, किन्नू, मोसम्बी और अन्य खट्टे फलों के लिए काफी उपयुक्त है।
एचपी शिवा परियोजना का लक्ष्य राज्य के 12 जिलों में से सात जिलों बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, सोलन, सिरमौर और ऊना में कम से कम 15,000 कृषक परिवारों की आय बढ़ाना है।
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