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Wednesday, 25 September, 2024
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कम आपूर्ति के कारण अधिकांश तेल तिलहन कीमतों में सुधार

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नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) विदेशी बाजारों में सुधार के रुख के बीच सीपीओ, पामोलीन महंगा होने से सोयाबीन तेल पर दबाव बढ़ने के कारण बृहस्पतिवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन और बिनौला तेल कीमतें मजबूत बंद हुईं।

वहीं महंगा होने के कारण मूंगफली तेल तिलहन में भारी गिरावट आई और मांग प्रभावित होने से सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

मलेशिया एक्सचेंज में 1-1.25 प्रतिशत की मजबूती है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज बुधवार रात मजबूत बंद हुआ था और फिलहाल भी यहां तेजी है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद के बारे में सरकार के प्रयास संबंधी कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा के बयान के बाद सरसों तेल तिलहन के भाव में सुधार आया। लेकिन इसके बावजूद अभी भी सरसों पुराने एमएसपी से पांच-सात प्रतिशत नीचे ही बिक रहा है। नया एमएसपी एक अप्रैल से लागू होगा।

हालांकि सस्ते आयातित तेल का थोक भाव जिस तरह से नीचे बना हुआ है, वैसे में सरसों की मौजूदा कीमत पर खपत मुश्किल हो सकती है। इसके लिए देशी तेल तिलहनों का बाजार बनाने के हिसाब से आयात निर्यात की नीति भी बनानी होगी। ऐसा न होने पर सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, बिनौला आदि जैसे देशी तेल तिलहन का खपना मुश्किल है।

सूत्रों ने कहा कि 10-15 साल पहले सभी तिलहनों के डी-आयल्ड केक (डीओसी) का निर्यात बढ़ाने के लिए जो सब्सिडी दी जाती थी, उसे बढ़ाकर मौजूदा वक्त में लगभग 20 प्रतिशत करना चाहिये ताकि किसानों को तिलहन उत्पादन बढ़ाने की प्रेरणा मिले। इसके अलावा अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) व्यवस्था को दुरूस्त करने की ओर ध्यान देना बेहद जरूरी है जो उपभोक्ताओं को राहत देगा। इस दिशा में किसी पोर्टल पर एमआरपी की नियमित घोषणा को अनिवार्य किया जाना चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि सरकार तिलहन उत्पादन बढ़ाना चाहती है तो उसे इस तथ्य की ओर ध्यान देना होगा। किसानों से एमएसपी से कम दाम पर मूंगफली खरीदने और पेराई करने के बाद मिल वालों को मूंगफली तेल का दाम 135 रुपये प्रति लीटर बैठता है जबकि बाजार में मूंगफली तेल 131 रुपये प्रति लीटर के भाव बेचना पड़ता है। उपभोक्ताओं को यही तेल खुदरा में 200-225 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है जबकि यह खुदरा बाजार में 155-160 रुपये प्रति लीटर के भाव मिलना चाहिये।

इसी तरह किसानों से सरसों की खरीद एमएसपी से पांच-सात प्रतिशत कम दाम पर की जा रही है। थोक में कच्ची घानी का बढ़िया तेल 100 रुपये प्रति लीटर से भी नीचे दाम पर बेचा जा रहा है और खुदरा बाजार में यह तेल कहीं 140 रुपये तो कहीं 150 रुपये के भाव पर बिक रहा है।

डीओसी की मांग कमजोर रहने से सोयाबीन तिलहन के पूर्वस्तर पर रहे। जबकि कम आपूर्ति के कारण सोयाबीन तेल के दाम में सुधार है। सीपीओ का सोयाबीन तेल से ऊंचा दाम है और इस वजह से सीपीओ का आयात कम हो रहा है और ग्राहक सोयाबीन की खरीद कर रहे हैं जिसकी बाजार में आपूर्ति कम है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार को देश के पश्चिमी हिस्से में नकली बिनौले की खल पर रोक लगाने के उपाय करने होंगे ताकि स्थानीय कपास की खपत हो सके और बिनौला तेल निकालने वाली तेलमिलें चलें।

बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,425-5,475 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,150-6,225 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,165-2,440 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 9,880 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,685 -1,785 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,685 -1,790 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,150 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,350 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,300 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,700-4,730 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,510-4,550 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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