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Tuesday, 24 September, 2024
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सरसों, सोयाबीन तेल, सीपीओ, पामोलीन में सुधार, मूंगफली में गिरावट

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नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के बीच बुधवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में मजबूती रही, जबकि महंगा होने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई। महाराष्ट्र में सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद के कारण सोयाबीन तिलहन तथा मूंगफली में आई गिरावट की वजह से बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

मलेशिया एक्सचेंज में मजबूती का रुख था जबकि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात कमजोर बंद हुआ था और फिलहाल भी यहां भी मजबूती है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन तेल से सीपीओ का दाम आज 25 डॉलर ऊंचा हो गया है। सोयाबीन तेल का दाम 895 डॉलर प्रति टन है जबकि सीपीओ का दाम 920-925 डॉलर प्रति टन हो गया है। सरकार को यह देखना होगा कि क्या सोयाबीन तेल ग्राहकों को सस्ता मिल रहा है अथवा नहीं।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद होने से वहां सोयाबीन तिलहन के दाम में 20 रुपये का सुधार हुआ है। लेकिन दूसरी ओर मध्य प्रदेश और राजस्थान में सोयाबीन एमएसपी से 5-7 प्रतिशत नीचे बिक रहा है।

सरसों का सुधार तात्कालिक है। मौसम खुलने पर जब सरसों की आवक पूरे जोरों पर होगी तो उसे संभालना मुश्किल होगा।

मलेशिया एक्सचेंज में सुधार के कारण सीपीओ और पामोलीन के दाम में सुधार है। महंगा होने के बीच सीपीओ की आपूर्ति की स्थिति भी कमजोर है। जिससे सीपीओ और पामोलीन के दाम में सुधार आया। सीपीओ की बाजार में आपूर्ति कमजोर रहने के कारण सोयाबीन तेल की मांग बढ़ी है जो सोयाबीन तेल में तेजी का मुख्य कारण है।

सूत्रों ने कहा कि मिल वालों को मूंगफली पेराई में नुकसान है और महंगा होने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन का खपना दूभर दिख रहा है। इस स्थिति के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई। लेकिन उपभोक्ताओं को मूंगफली तेल सस्ता नहीं मिल रहा। सरकार ने तेल कंपनियों के साथ कई बार बैठकें कर लीं लेकिन यह सब अब तक बेनतीजा रहा है और समय समय पर किसी सरकारी पोर्टल पर जब तक अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को घोषित करना अनिवार्य नहीं किया जायेगा जब तक इस समस्या से निपटा नहीं जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि सस्ते आयातित तेलों की वजह से पहले ही बिनौले पर दबाव रहा है और अब देश के पश्चिमी हिस्से के बाजारों में बिनौले की नकली खलों की भरमार ने हालात को और गंभीर कर दिया है। सरकार को इस नकली खल को रोकने के ठोस प्रयास करने होंगे और देशी कपास की खपत का माहौल निर्मित करना होगा। पशु आहार के लिए 80 प्रतिशत खल की पूर्ति अकेले बिनौला से होती है और बिनौला से 60 प्रतिशत खल निकलता है। खल की सुगम आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए भी बिनौला का बाजार बनाने पर ध्यान देना जरूरी है।

बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,350-5,400 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,250-6,325 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,750 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,205-2,480 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,680 -1,780 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,680 -1,785 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,050 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,125 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,300 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,200 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,700-4,730 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,510-4,550 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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