नयी दिल्ली, छह फरवरी (भाषा) लाल सागर संकट से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए एक उच्चस्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति आठ फरवरी को फिर बैठक करेगी जिसमें व्यापार मोर्चे पर आगे के रास्ते के बारे में चर्चा की जाएगी। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
इससे पहले इस समिति ने इस मुद्दे पर 17 जनवरी को यहां बैठक की थी।
पांच मंत्रालयों – विदेश, रक्षा, पोत परिवहन, वित्त (वित्तीय सेवा विभाग) और वाणिज्य – के वरिष्ठ अधिकारियों के इस विचार-विमर्श में भाग लेने की उम्मीद है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘आठ फरवरी की बैठक में अधिकारियों से निर्यातक समुदाय को इस संकट से निपटने में मदद के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में बात करने की उम्मीद है।’’
ये बैठकें वाणिज्य मंत्रालय द्वारा बुलाई जाती हैं।
पिछली बैठक में वाणिज्य मंत्रालय ने वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) से निर्यातकों को ऋण प्रवाह की निगरानी और रखरखाव करने के लिए कहा था, जो लाल सागर संकट के कारण माल ढुलाई लागत की समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
इस बीच, वित्त मंत्रालय ने सोमवार को बैंकों और बीमा कंपनियों से निर्यातकों के मुद्दों को तेजी से हल करने और विदेशी व्यापार को सुविधाजनक बनाने को कहा।
लाल सागर और भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ने वाले व्यापारियों के लिए एक महत्वपूर्ण पानी जहाज का रास्ता, बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य के आसपास की स्थिति दिसंबर, 2023 में यमन स्थित हूती विद्रोहियों के हमलों के कारण खराब हो गई है।
इसके कारण, शिपिंग लागत बढ़ गई है और माल की खेप को यूरोप और अमेरिका तक पहुंचने में अधिक समय लग रहा है, क्योंकि जहाज अफ्रीका को घेरते हुए केप ऑफ गुड होप मार्ग ले रहे हैं।
लंबे मार्गों के चलते लगभग 14-20 दिन की देरी हो रही है और माल ढुलाई और बीमा लागत भी अधिक हो रही है।
निर्यातकों को आशंका है कि संकट के कारण व्यापार में कुछ रुकावट आ सकती है क्योंकि इसे इधर-उधर ले जाने की लागत महंगी हो जाएगी।
भाषा राजेश राजेश अजय
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