scorecardresearch
Tuesday, 24 September, 2024
होमदेशअर्थजगतउपभोक्ताओं को राहत देने को सरकार 29 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से ‘भारत चावल’ की पेशकश करेगी

उपभोक्ताओं को राहत देने को सरकार 29 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से ‘भारत चावल’ की पेशकश करेगी

Text Size:

नयी दिल्ली, पांच फरवरी (भाषा) पिछले एक साल में चावल की खुदरा कीमतों में 15 प्रतिशत की वृद्धि के बीच सरकार उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए मंगलवार को 29 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर ‘भारत चावल’ बाजार में उतारेगी।

सब्सिडी वाला चावल पांच किलो और 10 किलो के पैक में उपलब्ध होगा।

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि खाद्य मंत्री पीयूष गोयल राष्ट्रीय राजधानी के कर्तव्य पथ पर भारत चावल की पेशकश करेंगे।

पहले चरण में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) दो सहकारी समितियों, नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नाफेड) और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनसीसीएफ) के साथ-साथ खुदरा श्रृंखला केंद्रीय भंडार को पांच लाख टन चावल प्रदान करेगा।

ये एजेंसियां चावल को पांच किलो और 10 किलो में पैक करेंगी और ‘‘भारत’’ ब्रांड के तहत अपने बिक्री केन्द्रों के माध्यम से खुदरा बिक्री करेंगी। चावल को ई-कॉमर्स मंच के जरिये भी बेचा जाएगा।

मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के माध्यम से समान दर पर थोक उपयोगकर्ताओं को चावल की बिक्री को मिली ठंडी प्रतिक्रिया के बाद सरकार ने एफसीआई चावल की खुदरा बिक्री का रास्ता चुना है।

सरकार को उम्मीद है कि ‘‘भारत चावल’’ के लिए भी अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी, जैसा कि उसे ‘‘भारत आटा’’ के मामले में मिल रहा है, जिसे समान एजेंसियों के माध्यम से 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा है और ‘‘भारत चना’’ को 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा है।

निर्यात पर प्रतिबंध और वर्ष 2023-24 में बंपर उत्पादन के बावजूद खुदरा कीमतें अब भी नियंत्रण में नहीं आई हैं।

सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, प्रसंस्करणकर्ताओं और बड़ी खुदरा श्रृंखलाओं से अपने स्टॉक का खुलासा करने को कहा है।

विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसे समय में जब सरकार 80 करोड़ गरीब राशन कार्ड धारकों को मुफ्त एफसीआई चावल प्रदान करती है, इसकी अधिक महंगाई एफसीआई चावल में नहीं हो सकती क्योंकि एफसीआई के पास भारी स्टॉक है और वह ओएमएसएस के माध्यम से अनाज बेचता है।

इसलिए मुद्रास्फीति संभवतः चावल की गैर-एफसीआई किस्मों से आ रही है, जिसका गरीबों द्वारा कम उपभोग किया जाता है और यह मुद्रास्फीति के रुझान के बारे में सही तस्वीर नहीं देता है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments