नयी दिल्ली, पांच फरवरी (भाषा) भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सोमवार कहा कि स्वतंत्र निदेशकों की व्यक्तिगत देनदारी के संबंध में ‘कानूनी और प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों’ की जरूरत है।
सीआईआई ने कहा कि एक स्वतंत्र निदेशक होने के जोखिम और लाभ को आनुपातिक रखने के लिए ‘अभियोजन एक नियम के बजाय एक अपवाद होना चाहिए।’
उद्योग निकाय के मुताबिक, उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा असाधारण परिस्थितियों में ही चलाया जाना चाहिए।
सीआईआई ने ‘स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति और बोर्ड मूल्यांकन की प्रक्रिया पर दिशानिर्देश’ जारी किया और विभिन्न पहलुओं से संबंधित कई सिफारिशें कीं।
इसके मुताबिक, ‘‘नागरिक कर्तव्यों को अपराधमुक्त रखने का पूरा विचार स्वतंत्र निदेशकों की संस्था पर भरोसा बनाए रखने के लिए है। क्षतिपूर्ति और/या बीमा की आवश्यकता है, जिसे उचित लिखित समझौतों के जरिये औपचारिक रूप दिया जा सकता है।”
सीआईआई ने कहा, ‘‘सेबी एलओडीआर (सूचीबद्धता दायित्व और खुलासा आवश्यकताएं) के अनुसार, बाजार पूंजीकरण के आधार पर शीर्ष 1,000 संस्थाओं के लिए निदेशकों और अधिकारियों (डीएंडओ) की देयता बीमा अनिवार्य है। ऐसे में यह सुझाव दिया जाता है कि सभी सूचीबद्ध संस्थाओं को अपने निवेशकों के लिए इस सुरक्षा पर विचार करना उचित होगा।’’
सीआईआई दिशानिर्देशों में स्वतंत्र निदेशकों की व्यक्तिगत देनदारी से संबंधित कानूनी और प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों पर जोर दिया गया।
भाषा पाण्डेय अजय
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