नयी दिल्ली, पांच फरवरी (भाषा) फसल वर्ष 2023-24 के रबी सत्र में सरसों फसल का रकबा पांच प्रतिशत बढ़कर 100 लाख हेक्टेयर से अधिक होने का अनुमान है। उद्योग जगत के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
एक बयान में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने कहा कि उसने अखिल भारतीय सरसों फसल सर्वेक्षण के लिए आरएमएसआई क्रॉपलिटिक्स प्राइवेट लिमिटेड को नामित किया है। सरसों एक महत्वपूर्ण तिलहन है।
आरएमएसआई ने सुदूर संवेदी माध्यम (रिमोट सेंसिंग) पर आधारित तीसरी रिपोर्ट सौंपी है।
एसईए ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘अखिल भारतीय सरसों फसल का रकबा 100.39 लाख हेक्टेयर बताया गया है, जो पिछले साल के रिमोट सेंसिंग-आधारित अनुमान 95.76 लाख हेक्टेयर से पांच प्रतिशत अधिक है।’’
गुजरात और राजस्थान के कई जिलों में किसानों ने कम कीमत मिलने के कारण सरसों के बजाय अन्य फसलों की खेती का विकल्प चुना है।
राजस्थान में रबी सत्र 2023-24 में रकबा पिछले साल के 37,43,272 हेक्टेयर से बढ़कर 37,82,222 हेक्टेयर होने का अनुमान है।
उत्तर प्रदेश में सरसों का रकबा 14,00,584 हेक्टेयर से बढ़कर 17,76,025 हेक्टेयर हो गया है, जबकि मध्य प्रदेश में बुवाई का रकबा 13,23,881 हेक्टेयर से बढ़कर 13,96,374 हेक्टेयर हो गया है।
हालांकि, पश्चिम बंगाल में खेती का रकबा 6,41,170 हेक्टेयर से घटकर 5,90,734 हेक्टेयर रह गया है।
घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है।
भाषा राजेश राजेश अजय
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