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Monday, 23 September, 2024
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जीटीआरआई का पीएलआई मानदंडों को सरल बनाने का सुझाव

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नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के तहत प्रोत्साहनों के वितरण की धीमी गति पर चिंता जताई है।

शोध संस्थान ने सरकार को पीएलआई मानदंडों को सरल बनाने का सुझाव दिया है ताकि प्रोत्साहन वितरण में तेजी लाई जा सके और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा सके।

जीटीआरआई ने रविवार को कहा कि 2020 में घोषित पीएलआई योजनाओं के तहत पांच साल में 4,415 करोड़ रुपये का वितरण 1.97 लाख करोड़ रुपये के कुल प्रोत्साहन का केवल 2.25 प्रतिशत है। ‘‘हालांकि, वितरण की धीमी गति पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि नए विनिर्माण परिचालन की स्थापना में समय लगता है।’’

जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘विभिन्न क्षेत्रों के लिए पीएलआई मानदंडों में निवेश, उत्पादन, बिक्री, स्थानीयकरण की मात्रा, इस्तेमाल की गई सामग्री और कई अन्य चीजें शामिल हैं। विनिर्माता सभी चीजों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकते।’’

उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक मामले में सरकार को चालान मूल्य पर संदेह हुआ और कुछ सौ करोड़ के प्रोत्साहन को अस्वीकार कर दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर मामलों में किसी उत्पाद या चालान के वास्तविक मूल्य का पता लगाना मुश्किल होता है। ऐसा करने से दावों के निपटान में देरी होती है। दिशानिर्देश कम और पारदर्शी होने चाहिए।’’

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘वाणिज्य विभाग द्वारा लागू की गई भारत से वस्तुओं के निर्यात की योजना (एमईआईएस) सरल योजना का एक अच्छा उदाहरण था।’’

एमईआईएस में विभाग को सीमा शुल्क और बैंकों से सभी आवश्यक जानकारी मिलती थी और उसे किसी भी सहायक ब्योरे के लिए कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता था। सरल योजना डिजाइन ने मानवीय हस्तक्षेप के बिना इलेक्ट्रॉनिक रूप से हजारों आवेदनों का निपटान संभव बनाया था।

जीटीआरआई ने कहा, ‘‘पीएलआई को इसी तरह के सरल मॉडल का अध्ययन करने की जरूरत है।’’

भाषा अजय अजय पाण्डेय

पाण्डेय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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