नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार बजट प्रस्ताव के तहत 2014-15 तक 3,500 करोड़ रुपये की कुल 1.11 करोड़ विवादित कर मांगों को वापस लेगी। इसका उद्देश्य छोटे करदाताओं के लिए कठिनाइयों को समाप्त करना है।
मल्होत्रा ने कहा कि ये लंबित मांग आय, संपत्ति और उपहार करों के संबंध में हैं। इसमें कुछ मांग तो 1962 से भी पुरानी हैं। कुल मिलाकर 35 लाख करोड़ रुपये से जुड़े 2.68 करोड़ कर मांग को लेकर विभिन्न मंचों पर विवाद बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि 2.68 करोड़ मांगों में से 2.1 करोड़ मांगें ऐसी हैं जिनका मूल्य 25,000 रुपये से कम है।
कुल 2.1 करोड़ मांग में से 58 लाख वित्त वर्ष 2009-10 और अन्य 53 लाख 2010-11 से 2014-15 अवधि के हैं।
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘25,000 रुपये और 10,000 रुपये की 1.1 करोड़ मांग हैं। इन मांगों को वापस लिया जा रहा है। इसमें कुल राशि 3,500 करोड़ रुपये से कम है।’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए अपने अंतरिम बजट भाषण में 2009-10 से संबंधित 25,000 रुपये तक और वित्त वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक 10,000 रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने की घोषणा की। इससे लगभग एक करोड़ करदाताओं को लाभ होगा।
सीतारमण ने कहा ‘‘जीवन को आसान बनाने और कारोबार सुगमता को बेहतर करने के हमारी सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप, मैं करदाता सेवाओं में सुधार के लिए घोषणा करना चाहती हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बड़ी संख्या भें कई छोटी-छोटी प्रत्यक्ष कर मांग बही-खातों में लंबित है। उनमें से कई मांग वर्ष 1962 से भी पुरानी हैं। इससे ईमानदार करदाताओं को परेशानी होती है और रिफंड को लेकर समस्या होती है।’’
भाषा रमण अजय
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