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Monday, 23 September, 2024
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एसईए ने खाना पकाने के तेल क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की योजना का स्वागत किया

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नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) खाद्य तेल उद्योग निकाय एसईए ने बृहस्पतिवार को भारत को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने की रणनीति बनाने की सरकार की घोषणा का स्वागत किया और ‘आत्मनिर्भर तिलहन अभियान’ के सफल कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता की मांग की।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने एक बयान में कहा कि मौजूदा समय में भारत सालाना लगभग 150 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है, जिसका मूल्य 1.35 लाख करोड़ (17.25 अरब डॉलर) से अधिक है।

एसईए के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने कहा, ‘‘हम दूरदर्शी ‘आत्मनिर्भर तिलहन अभियान’ का अनावरण करने के लिए सरकार की सराहना करते हैं। यह अभियान सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे प्रमुख तिलहनों पर केंद्रित है।’’

संस्था ने कहा कि इस पहल में उच्च उपज देने वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाना, बाजार संपर्क स्थापित करना, खरीद, मूल्यवर्धन और फसल बीमा जैसे महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं।

एसईए ने कहा, ‘‘वित्त मंत्री से की गई हमारी अपील में, हम ‘आत्मनिर्भर तिलहन अभियान’ के सफल कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता का आग्रह करते हैं। हमारा लक्ष्य अगले पांच साल में खाद्य तेल आयात पर मौजूदा निर्भरता को 60 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करना है।’’

तेल उद्योग एवं व्यापार के केन्द्रीय संगठन (सीओओआईटी) के चेयरमैन सुरेश नागपाल ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘खाद्य तेल-तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने की सरकार की पहल दुरुस्त है। किसानों के लिए इसे अच्छी शुरुआत कहा जा सकता है हालांकि, अभी स्पष्ट नहीं किया गया है कि इसे कैसे अंजाम दिया जायेगा।’’

उन्होंने कहा कि सस्ते आयातित तेलों के बाजार में आसान उपलब्धता होने के बीच यह जरूर है कि किसानों को अपनी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल रहा है। इसके लिए सरकार की ओर से अधिक से अधिक मात्रा में एमएसपी पर तिलहनों की खरीद करनी होगी।

एसईए ने केंद्र सरकार के तत्वावधान में तिलहन विस्तार कार्यक्रम और अनुसंधान गतिविधियों में लगी कंपनियों के साथ निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने की सिफारिश की।

इसमें कहा गया है, ‘‘यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण सरकारी प्रयासों का पूरक होगा और देश में तिलहन उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।’’

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के लिए ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने को एक रणनीति बनाई जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाना, बाजार संपर्क, खरीद, मूल्य संवर्धन और फसल बीमा शामिल होगा।’’

घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है। विपणन वर्ष 2022-23 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान, देश ने लगभग 165 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया, जिसका मूल्य 1.38 लाख करोड़ रुपये था।

देश मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम तेल का आयात करता है, जबकि भारत- अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल का आयात करता है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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