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Sunday, 22 September, 2024
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सोयाबीन डीगम में गिरावट से ज्यादातर तेल-तिलहनों में गिरावट

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नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) विदेशी बाजारों में सोयाबीन डीगम का दाम टूटने के बीच बाकी तेल-तिलहन कीमतों पर दबाव कायम हो गया जिससे देश के तेल-तिलहन उद्योग और किसानों का संकट बढ़ गया है। सोयाबीन डीगम में आई गिरावट के कारण देश के तेल-तिलहन बाजारों में बुधवार को अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम हानि दर्शाते बंद हुए। ऊंचे दाम पर कम बिकवाली होने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट का रुख था।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि बंदरगाहों पर सोयाबीन डीगम तेल का थोक दाम 7,950 रुपये प्रति क्विंटल (79.50 रुपये किलो) से घटकर 7,900 रुपये क्विंटल ( 79 रुपये किलो) रह गया है। दाम में आई गिरावट ने देशी तेल- तिलहन क्षेत्र की मुश्किलें पहले से कहीं ज्यादा बढ़ा दी हैं। पहले ही अधिक लागत और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दर को ध्यान में रखते हुए देशी तेल-तिलहन आयातित सस्ते तेलों के मुकाबले महंगा बैठते थे लेकिन आयातित तेल सोयाबीन डीगम के और सस्ता होने से देशी तेल-तिलहन क्षेत्र की मुश्किल बढ़ गई है।

सूत्रों ने कहा कि मौजूदा स्थिति आगे जाकर हमें अधिक कष्टदायी साबित हो सकता है। तेल उद्योग धन की तंगी से तबाही की ओर जा रहा है और इसके जल्दी सुधरने की संभावना नहीं है। अधिकतर कंपनियां उच्च अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की आड़़ में ग्राहकों से अधिक कीमत वसूलती हैं। बेशक सूरजमुखी तेल का दाम मई, 2022 के 2,500 डॉलर प्रति टन से घटकर अब 925 डॉलर प्रति टन रह गया हो लेकिन मई, 2022 में भी खुदरा बाजार में सूरजमुखी तेल लगभग 215-220 रुपये लीटर था और आज भी कई कंपनियां इस तेल को 120-170 रुपये लीटर के दायरे में बेच रही हैं। यानी थोक दाम में जिस बड़े पैमाने पर गिरावट आई है वह खुदरा दाम में उस पैमाने पर नहीं देखा जा रहा है। सस्ते आयात की सारी कवायद अभी तक बेनतीजा रहा है। थोक दाम में जरूर गिरावट आई है पर सरकार की ओर से कई प्रयासों के बाद भी खुदरा दाम जस के तस महंगे बने हुए हैं। इन्हें बगैर एक निश्चित समयांतराल पर किसी पोर्टल पर एमआरपी की नियमित घोषणा करना अनिवार्य बनाये बगैर बैठकों के जरिये सुलझाया जाना मुश्किल जान पड़ता है।

सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों की प्रति व्यक्ति खपत दूध के मुकाबले काफी कम है और इसका मुद्रास्फीति पर बेहद मामूली असर है।

उन्होंने कहा कि आज मौसम खराब नहीं होता तो सरसों के दाम और टूटे होते। वैसे देखा जाये तो सरसों का पहले का बचा स्टॉक और मौजूदा उत्पादन, अभी की दरों पर मंडियों में खपना मुश्किल है।

बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,250-5,300 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,325-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,850 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,225-2,500 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 9,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,660 -1,755 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,660 -1,760 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 7,900 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 7,900 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,050 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 8,980 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,130 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,555-4,585 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,365-4,405 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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