नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह में शामिल होने के लिए उनके खिलाफ फतवा जारी होने के कुछ दिनों बाद, ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख इमाम डॉ. उमर अहमद इलियासी ने कहा कि वे माफी नहीं मांगेंगे क्योंकि भारत एक इस्लामिक राज्य नहीं है और यहां फतवा जारी नहीं हो सकता.
उन्होंने अपने खिलाफ सोशल मीडिया अभियान में पाकिस्तान का हाथ होने का संदेह जताया.
इलियासी ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने राम मंदिर का निमंत्रण स्वीकार किया और वहां से प्यार का संदेश भेजा, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि प्रत्येक धर्म अलग हो सकता है लेकिन “हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसान और इंसानियत है”.
इलियासी ने मंगलवार को नई दिल्ली स्थित अपने ऑफिस में कहा, “हम भारत में रहते हैं…हम भारतीय हैं. हम सभी को देश को मजबूत करना चाहिए और राष्ट्र सर्वोच्च है.”
इलियासी ने कहा, उनका भाषण वायरल होने के बाद, “प्रेम और सद्भाव” के खिलाफ लोगों ने उनके खिलाफ “नफरत का फतवा” जारी किया था.
साबिर हुसैनी नाम के एक मुफ्ती, जो “मुफ्ती क्लासेज़” नामक एक संस्थान चलाते हैं, ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह से लौटने के बाद उनके खिलाफ फतवा जारी किया.
उन्होंने कहा, “सबसे पहले मैं इस फतवे को स्वीकार नहीं करता क्योंकि यह मुझ पर लागू नहीं होता है. ये भारत है. यह कोई इस्लामिक राज्य नहीं है. यहां शरिया कानून लागू नहीं होता. यहां भारतीय कानून लागू होता है.”
संयोग से भारत में मुसलमानों को परिवार और विरासत जैसे मामलों में शरिया का पालन करने की अनुमति है. हालांकि, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि फतवों का “स्वतंत्र भारत में कोई स्थान नहीं है” और इसका इस्तेमाल “निर्दोषों को दंडित करने के लिए” नहीं किया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने कहा था कि फतवा अदालत या राज्य या व्यक्ति पर बाध्यकारी नहीं है.
इलियासी ने यह भी कहा कि यह “इतिहास में पहली बार” है कि किसी इमाम और मुख्य इमाम के खिलाफ फतवा जारी किया गया है. उन्होंने कहा, “इसलिए, मैं इसे स्वीकार नहीं करता.”
‘बाहरी ताकतें भारत की प्रगति में बाधा’
इलियासी ने फतवे में कही गई तीन बातों का भी खंडन किया.
उनके मुताबिक, फतवे में कहा गया है कि इमाम और मुख्य इमाम के तौर पर उन्हें प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होना चाहिए था. मुख्य इमाम ने दिप्रिंट को बताया, “क्योंकि मैंने ऐसा किया, यह कहता है, मुझे इस्लाम से खारिज कर दिया गया है. मेरी दूसरा खता यह है कि मैंने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि और धर्म से ऊपर है. तीसरा, इसमें कहा गया है कि मैंने मानवता को धर्म से पहले रखा है और यह स्वीकार्य नहीं है.”
अयोध्या समारोह में शामिल होने के अपने फैसले का बचाव करते हुए इलियासी ने कहा कि वह “प्रेम और सद्भाव” और राष्ट्र को मजबूत करने का संदेश लेकर गए थे.
इमाम ने कहा, “कोई अच्छा मुसलमान तभी बन सकता है जब मैं एक अच्छा इंसान बन जाऊं. कोई अच्छा हिंदू तभी बन सकता है जब मैं एक अच्छा इंसान बन जाऊं. मेरी पहचान सबसे पहले एक इंसान की है.”
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के फैसले पर इलियासी को कई हलकों से आलोचना का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि उन्हें धमकी भरे कॉल भी आए क्योंकि उनका नंबर कट्टरपंथियों को भेज दिया गया था.
इमाम ने कहा कि जो लोग उनके भारतीय होने के बावजूद उनके और उनके देश के प्रति नफरत महसूस करते हैं, उन्हें “पाकिस्तान चले जाना चाहिए जहां उन्हें प्यार मिल सके”.
उन्होंने अपने खिलाफ सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे अभियान में पाकिस्तान का हाथ होने का भी संकेत दिया.
इमाम ने कहा, “बाहरी ताकतें उस प्रगति को बाधित करने की कोशिश कर रही हैं जो भारत वर्तमान में देख रहा है. वे हिंदू-मुस्लिम विभाजन पैदा करना चाहते हैं. वे मेरे मुस्लिम भाइयों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले असामाजिक तत्व देश में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. “मुझे हैरानी है कि क्या विरोधी ताकतें सक्रिय हो गई हैं…और क्या वे अशांति पैदा करने के लिए नफरत करने वालों का इस्तेमाल कर रहे हैं…हिंदू-मुसलमान लड़ते हैं. मैं इस देश के लिए अपनी जान दे सकता हूं, लेकिन मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मैं डरा हुआ नहीं हूं. मैं माफी नहीं मांगूंगा या अपने पद से इस्तीफा नहीं दूंगा.”
इलियासी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली पुलिस प्रमुख को फतवे के बारे में सूचित कर दिया गया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह दोबारा राम मंदिर जाएंगे, इलियासी ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार करना पहली बार में एक “आसान फैसला” नहीं था और उन्हें अपना मन बनाने में दो दिन लग गए.
उन्होंने कहा, “यह मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा फैसला था. मुझे पता था कि मुझे विरोध का सामना करना पड़ेगा, लेकिन यह इस हद तक होगा इसकी कल्पना नहीं की थी, लेकिन मेरे लिए राष्ट्र सर्वोच्च है और मैं सबसे पहले इंसानियत में विश्वास करता हूं.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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