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Sunday, 22 September, 2024
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पीएंडके उर्वरकों के विनिर्माताओं को 12 प्रतिशत तक लाभ मार्जिन की मंजूरी मिली

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नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) सरकार ने गैर-यूरिया उर्वरकों की कीमतों के औचित्य का आकलन करने के लिए जारी दिशानिर्देशों के तहत पोटेशियम और पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों के विनिर्माताओं को 12 प्रतिशत तक के लाभ मार्जिन की अनुमति दे दी है।

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने उर्वरकों की बिक्री से अनुचित लाभ कमाने के मामलों पर रोक लगाने की मंशा से यह दिशानिर्देश जारी किया है। इसे पूर्ववर्ती प्रभाव से लागू कर दिया गया है।

जानकार सूत्रों के अनुसार, पोषक तत्व पर आधारित सब्सिडी (एनबीएस) नीति के तहत पीएंडके उर्वरकों की अधिकतम खुदरा कीमतों (एमआरपी) के औचित्य को परखने के लिए ये दिशानिर्देश 18 जनवरी, 2024 को जारी किए गए हैं। हालांकि, इसके प्रावधान एक अप्रैल, 2023 से ही प्रभावी होंगे।

उर्वरकों की एमआरपी के औचित्य को परखते समय माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को बाहर रखा जाएगा।

डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) जैसे पीएंडके उर्वरकों के आयातकों को आठ प्रतिशत तक लाभ मार्जिन की अनुमति है। वहीं उर्वरक विनिर्माताओं को 10 प्रतिशत और एकीकृत विनिर्माताओं के लिए 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन तक की मंजूरी दी गई है।

इसके मुताबिक, उर्वरक कंपनी ने अगर अनुचित लाभ कमाया है तो उसे लौटाना होगा। ऐसा न होने पर मंत्रालय इसकी वसूली करेगा या भविष्य के सब्सिडी भुगतान में इसे समायोजित कर दिया जाएगा।

यूरिया के मामले में एमआरपी सरकार तय करती है और कंपनियों को सब्सिडी के रूप में उत्पादन लागत और खुदरा कीमतों के बीच अंतर का भुगतान करती है।

हालांकि, एनबीएस योजना के तहत पीएंडके उर्वरकों की एमआरपी को विनिर्माता ही तय करते हैं जबकि सरकार हर साल नाइट्रोजन (एन), फॉस्फोरस (पी), पोटेशियम (के) और सल्फर (एस) पर सब्सिडी दरों की घोषणा करती है।

बिक्री की कुल लागत के आधार पर पीएंडके उर्वरकों के एमआरपी के औचित्य का मूल्यांकन किया जाएगा।

कंपनियां लागत लेखा परीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर अर्जित ‘अनुचित लाभ’ का स्व-मूल्यांकन करेंगी और पिछले वित्त वर्ष के लिए इसे 10 अक्टूबर तक मंत्रालय को वापस कर देंगी।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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