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Saturday, 21 September, 2024
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सब कुछ भारत में ही बनाने का आख्यान धीमी कर सकता है वृद्धिः अमेरिकी राजदूत

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नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने मंगलवार को द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों के विस्तार के लिए भारत में बेहतर कराधान एवं नियामकीय ढांचे की वकालत करते हुए कहा कि सब कुछ भारत में ही बनाए जाने से जुड़ा आख्यान देश की वृद्धि की रफ्तार धीमी कर सकता है।

गार्सेटी ने इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईएसीसी) के एक कार्यक्रम में कहा कि कॉरपोरेट कर की ‘अस्पष्ट’ प्रथाएं भारत में काम करने की इच्छुक कई अमेरिकी कंपनियों के लिए अब भी बाधा हैं। उन्होंने कहा कि अगर भारत को अपने लक्ष्य हासिल करने हैं तो उसे निर्यात नीतियों को बदलना होगा।

अमेरिकी राजदूत ने कहा कि अमेरिका एक ऐसे भारत को देखना चाहता है जो आत्मनिर्भरता को ‘गढ़’ के रूप में नहीं बल्कि दुनिया में किसी से भी प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारतीय कंपनियों की ताकत के रूप में देखे।

उन्होंने भारत और अमेरिका के तेजी से बढ़ते संबंधों के विभिन्न पहलुओं का जिक्र करते हुए कहा कि अब सहयोग का कोई भी क्षेत्र ‘सीमा से बाहर’ नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अंतरिक्ष में भी साथ काम कर रहे हैं, हम समुद्र की गहराई भी में एक साथ हैं। हमारे इस रिश्ते की वस्तुतः कोई सीमा नहीं है।’’

इसी के साथ अमेरिकी राजदूत ने घरेलू विनिर्माण पर जोर को लेकर आगाह भी किया। उन्होंने कहा, ‘‘सब कुछ यहीं भारत में बनाए जाने का आख्यान भारत की वृद्धि दर को धीमा कर देगा।’’

गार्सेटी ने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से आत्मनिर्भर भारत चाहते हैं लेकिन हम एक ऐसा भारत भी चाहते हैं जो आत्मनिर्भरता को एक गढ़ के रूप में नहीं बल्कि दुनिया में किसी से भी प्रतिस्पर्द्धा कर सकने वाली भारतीय कंपनियों की ताकत के रूप में देखे।’’

उन्होंने भारत में कराधान प्रणाली में सुधार की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘शीर्ष अमेरिकी कंपनियों के प्रमुख भारत को लेकर बहुत उत्साहित हैं। वे निवेश करना चाहते हैं लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बौद्धिक संपदा की सुरक्षा हो। इसके अलावा बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन पर भी स्पष्टता की जरूरत है।’’

भाषा प्रेम

प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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