नई दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) नीति आयोग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (एमओए एंड एफडब्ल्यू) और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि बुधवार को संयुक्त रूप से ‘भारत में जलवायु अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिए निवेश मंच’ का शुभारंभ किया गया है।
इसमें कहा गया है कि इस पहल का उद्देश्य भारत में सरकार, निजी क्षेत्रों और किसान संगठनों और वित्तीय संस्थानों के बीच जलवायु-सहिष्णु कृषि खाद्य प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिए निवेश और साझेदारी विकसित करना है।
उद्घाटन समारोह में मुख्य भाषण देते हुए नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने इस बात पर जागरूकता की आवश्यकता जताई कि कैसे कृषि, जलवायु परिवर्तन में योगदान देती है। इस संदर्भ में उन्होंने कृषि क्षेत्र द्वारा देश के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 13 प्रतिशत से थोड़ा अधिक के ‘योगदान’ का हवाला दिया।
उन्होंने कहा कि भूमि पर वृक्षारोपण के माध्यम से कृषि कार्बन पृथक्करण में भूमिका निभा सकती है।
चंद ने प्राकृतिक संसाधनों, जलवायु परिवर्तन और भावी पीढ़ियों पर प्रभाव को देखते हुए कृषि उत्पादन के आर्थिक विश्लेषण में एक नई दिशा का भी आह्वान किया।
मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा ने भारत में जलवायु चुनौतियों से निपटने में बहु-अंशधारक दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला।
भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कॉर्डिनेटर शोम्बी शार्प ने कहा कि वित्तीय संकट के जवाब के बिना खाद्य संकट का कोई हल नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2050 तक भोजन की मांग कम से कम 50 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, और ‘‘हमें कृषि में जलवायु सहिष्णुता में निवेश बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भावी पीढ़ियों के पास पर्याप्त भोजन उगाने के लिए आवश्यक संसाधन हों।’’
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.