scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशमध्य प्रदेश में चित्रकूट के अलावा वनवास मार्ग के 23 धार्मिक स्थल होंगे विकसित : CM मोहन यादव

मध्य प्रदेश में चित्रकूट के अलावा वनवास मार्ग के 23 धार्मिक स्थल होंगे विकसित : CM मोहन यादव

सीएम ने कहा, लगभग 500 साल की दीर्घ प्रतीक्षा और धैर्य के बाद रामलला पूर्व प्रतिष्ठा के साथ अयोध्या लौटे हैं. यह प्रगति और परंपरा का उत्सव है. इसमें विकास की भव्यता और विरासत की दिव्यता है. यही भव्यता और दिव्यता हमें प्रगति पथ पर आगे ले जाएगी.

Text Size:

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि आज सौभाग्य का पावन अवसर है. सैकड़ों वर्षों बाद यह शुभ घड़ी आई है…अयोध्या में अपने जन्मस्थान पर रामलला विराजमान हो रहे हैं. पूरे संसार के सनातनी हर्षित, आनंदित और प्रफुल्लित हैं.

समूचे विश्व में जय श्री राम गुंजायमान है. हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि हमें यह सुखद दृश्य देखने का अवसर मिला है. राम की गरिमा के अनुरूप मंदिर निर्माण के लिए पीढ़ियों ने 500 साल तक संघर्ष किया इसमें अनगिनत बलिदान हुए.

राम मंदिर हमारी संस्कृति, हमारी आस्था, राष्ट्रीयत्व और सामूहिक शक्ति का प्रतीक है. यह सनातन समाज के संकल्प, संघर्ष और जिजीविषा का ही परिणाम है कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राम मंदिर निर्माण का सपना साकार हो गया है. यह उमंग और उत्सव का अवसर है, समूचा समाज उल्लास के साथ खुशियां मना रहा है.

राजा राम प्रत्येक भारतीय और विश्व में व्याप्त सनातनियों के आदर्श हैं. वे सत्यनिष्ठा के प्रतीक, सदाचरण और आदर्श पुरुष के साकार रूप मर्यादा पुरुषोत्तम हैं.

राम जन्मस्थान मंदिर निर्माण के हर्षोल्लास के साथ हमें भगवान राम के जीवन से प्रेरणा भी लेनी चाहिए. कर्तव्य पथ पर प्रतिबद्ध श्रीराम के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि वे सबके थे और सबको साथ लेकर चलते थे. सबका विश्वास अर्जित करने के लिए अपने सुखों का भी त्याग कर देते थे. वे जितने वीर थे, मेधावी थे उतने ही सहनशील भी. उन्होंने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया और विपरीत परिस्थिति कभी उन्हें विचलित नहीं कर सकती थीं.

प्रजावत्सल राजा राम के लिए न्याय और राजधर्म सर्वोपरि था. इन्हीं अद्भुत विशिष्टताओं के कारण श्रीराम को आदर्श राजा कहा जाता है. उनकी राज व्यवस्था में सबको उनकी योग्यता, क्षमता और मेधा के अनुसार काम के अवसर प्राप्त थे. भेदभाव रहित समाज व्यवस्था के लिए रामराज्य का उदाहरण दिया जाता है.

लगभग 500 साल की दीर्घ प्रतीक्षा और धैर्य के बाद रामलला पूर्व प्रतिष्ठा के साथ अयोध्या लौटे हैं. यह प्रगति और परंपरा का उत्सव है. इसमें विकास की भव्यता और विरासत की दिव्यता है. यही भव्यता और दिव्यता हमें प्रगति पथ पर आगे ले जाएगी.

प्रधानमंत्री जी ने भव्य राम मंदिर निर्माण के निमित्त एक सप्ताह तक देश के सभी मंदिरों तथा तीर्थ स्थलों पर स्वच्छता अभियान चलाने का आह्वान किया था. हमने मध्य प्रदेश में स्वच्छता से स्वास्थ्य और स्वास्थ्य से समृद्धि के लिए सभी तीर्थ स्थलों, मंदिरों तथा नदियों में स्वच्छता अभियान चलाया.

राम ने वनवास काल के लगभग 11 वर्ष चित्रकूट में व्यतीत किए हैं. सरकार ने तीर्थ स्थल चित्रकूट सहित रामवन पथ गमन मार्ग के 1450 किलोमीटर के 23 प्रमुख धार्मिक स्थलों का विकास करने का फैसला लिया है. इसमें अधोसंरचना विकास के कार्यों के साथ-साथ धार्मिक चेतना, आध्यात्मिक विकास और राम कथा से जुड़े आयामों को भी शामिल किया जाएगा. भगवान कामतानाथ के परिक्रमा पथ का निर्माण कार्य भी शीघ्र प्रारंभ होगा.

अगर भारत राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाना है, तो पूरे समाज को आत्मनिर्भर बनना होगा, तभी रामराज्य की कल्पना सार्थक हो सकेगी.

आज रामलला अपने जन्म स्थल पर विराजमान हो गए हैं इस सुमंगल अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई….

(लेखक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)


यह भी पढ़ें: ‘राष्ट्र मंदिर’ में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा राष्ट्रीय गौरव का ऐतिहासिक अवसर : CM योगी आदित्यनाथ


 

share & View comments