गुरुग्राम: हरियाणा सरकार विदेशी ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन में प्रशिक्षण के लिए किसानों को वियतनाम की यात्रा पर सब्सिडी देने और सुविधा प्रदान करने की योजना बना रही है.
आमतौर पर वियतनाम में उगाया जाने वाला ड्रैगन फ्रूट अपने कम रखरखाव और कमाई वाला होने के कारण खूब लोकप्रियता हासिल कर रहा है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को ‘सीएम की विशेष चर्चा’ के 50वें एपिसोड में यह घोषणा की कई. सीएम जनता के साथ एक वर्चुअल बातचीत के दौरान ये बातें कहीं. सीएम के साथ किसानों और जनता की बातचीत पहली बार कोविड महामारी के दौरान शुरू की गई थी.
उन्होंने कहा, “पिछले एपिसोड में कुछ प्रगतिशील किसानों ने मांग की थी कि वे प्रशिक्षण के लिए वियतनाम जाना चाहते हैं. हमने निर्णय लिया है कि सरकार उनकी यात्रा और ठहरने की सुविधा के लिए उन्हें कुछ सब्सिडी प्रदान करेगी. ”
“मैंने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग से इस संबंध में एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने को कहा है ताकि उनकी यात्रा पर सब्सिडी देने के लिए एक नीति बनाई जा सके.”
खट्टर ने शनिवार को सोशल मीडिया पर अपनी बातचीत का एक वीडियो भी डाला.
मंगलवार को दिप्रिंट से बात करते हुए, खट्टर के मुख्य मीडिया समन्वयक सुदेश कटारिया ने बताया कि कुछ ड्रैगन फ्रूट उत्पादक किसानों ने उनसे मुलाकात की थी और बेहतर फसल उत्पादन के लिए वियतनाम में प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया था.
कटारिया ने कहा, “मैंने घरौंदा (करनाल जिले में) के एक खेत का भी दौरा किया और पाया कि ड्रैगन फ्रूट एक अत्यधिक फायदेमंद फसल है और अगर किसानों को उचित प्रशिक्षण मिले, तो वे बेहतर कमाई कर सकते हैं.”
कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, जुलाई 2022 तक, हरियाणा में विदेशी फलों की खेती का कुल क्षेत्रफल 170 हेक्टेयर (425 एकड़) था और वार्षिक उत्पादन 3,080 मीट्रिक टन था. इसमें कीवी और पैशन फ्रूट जैसे सभी प्रकार के विदेशी फलों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र शामिल थे.
घरौंदा में ‘राणा ड्रैगन फ्रूट फार्म’ चलाने वाले प्रगतिशील किसान कुलदीप सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि विदेशी फलों की अच्छी संभावनाएं हैं, लेकिन हरियाणा में कुछ किसान इसकी खेती कर रहे हैं क्योंकि इसके बारे में जानकारी और प्रशिक्षण की कमी है.
2023 में दो बार वियतनाम का दौरा कर चुके सिंह ने दिप्रिंट से कहा, “मेरा ड्रैगन फ्रूट फार्म 2.5 एकड़ में फैला हुआ है और संभवतः राज्य में सबसे बड़ा है. हरियाणा में अधिकांश किसान एक एकड़ से भी कम भूमि पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं क्योंकि वे प्रशिक्षण की कमी के कारण जोखिम नहीं उठा पा रहे हैं. ”
उनके मुताबिक, हरियाणा में उत्पादित ड्रैगन फ्रूट की गुणवत्ता बहुत अच्छी थी और उन्होंने अपने फार्म पर 1.36 किलोग्राम वजन तक के ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन किया था.
हालांकि, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक वीरेंद्र लाठेर का मानना है कि भारत में बाजार की कमी के कारण ड्रैगन फ्रूट की खेती लंबे समय तक किसानों के लिए लाभकारी विकल्प नहीं हो सकती है.
लाठेर ने दिप्रिंट को बताया, “कोई भी फल जो बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा नहीं खाया जाता है उसे बाज़ार नहीं मिल पाता है. विदेशी फलों का उपयोग बड़े पैमाने पर पांच सितारा होटलों और शादियों के दौरान किया जाता है. जब तक इस फल की खेती छोटे स्तर पर हो तब तक ठीक है. लेकिन जैसे ही इसकी खेती बढ़ेगी, किसानों को उत्पाद के विपणन में कठिनाई होगी. स्ट्रॉबेरी के साथ ऐसा ही हुआ, जब हरियाणा में, विशेष रूप से सिरसा जिले में कई किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती का विकल्प चुना. बाज़ार की कमी के कारण उन्हें जल्द ही रुकना पड़ा.”
हरियाणा बागवानी विभाग के महानिदेशक अर्जुन सिंह सैनी ने कहा कि वियतनाम, इंडोनेशिया और थाईलैंड ऐसे देश हैं जहां ड्रैगन फ्रूट बड़े क्षेत्रों में उगाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि अगर किसान प्रशिक्षण के लिए विदेश जाना चाहते हैं तो कृषि विभाग उन्हें सब्सिडी देने की योजना बना रहा है. उन्होंने बताया कि यह योजना सर्वसमावेशी होगी और अन्य फसलों के प्रशिक्षण के लिए भी होगी.
हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की खेती की वर्तमान स्थिति के बारे में पूछे जाने पर सैनी ने कहा कि यह फल अब तक 40 से 50 एकड़ भूमि पर उगाया जा रहा है.
कुल उत्पादन और प्रति एकड़ रिटर्न के बारे में, सैनी ने कहा कि ड्रैगन फ्रूट हरियाणा में अनुमोदित फसल नहीं थी, और इसलिए विभाग ने इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा है.
लाठेर के अनुसार, अनुमोदित फसल वह है जिसे कृषि संस्थानों द्वारा उचित शोध के बाद सरकार द्वारा नामित किया गया है, और केवल अनुमोदित फसलें ही फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य आदि के लिए पात्र हैं.
यह भी पढ़ें: हरियाणा सरकार ने बाउंसरों को दिखाया दुबई का सपना, लेकिन एफआईआर, टैटू और झगड़े बन रहे हैं राह का रोड़ा
‘सीखने के लिए बहुत कुछ है’
सिंह के अनुसार, हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की खेती से “किसानों को प्रति एकड़ 5 लाख रुपये की आय होती है, जो कि किसी भी सबसे अधिक फायदेमंद पारंपरिक फसल से पांच गुना अधिक है”.
“यह तब होता है जब हम साल में लगभग तीन महीने फसल काटते हैं, जबकि वियतनाम में, किसान उचित प्रशिक्षण और प्रबंधन के साथ पूरे साल कटाई करते हैं.”
सिंह ने कहा कि उन्होंने मार्च में तीन दिनों के लिए वियतनाम का दौरा किया और फिर पिछले साल अक्टूबर में लगभग 15 दिनों के लिए वियतनाम का दौरा किया था.
उन्होंने कहा, “हमारी पहली यात्रा के दौरान, हम 12 लोग थे, जिनमें से तीन हरियाणा से थे. लॉन्ग दिन्ह में दक्षिणी बागवानी अनुसंधान संस्थान में हमारे शिक्षण सत्र थे, जहां प्रमुख वैज्ञानिक डांग थ्यू लिन्ह ने हमें फर्टिगेशन और दिन-प्रतिदिन की प्रथाओं, रोग की रोकथाम और प्रबंधन, कीट नियंत्रण और प्रबंधन, और ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए मिट्टी की तैयारी के बारे में प्रशिक्षित किया.”
सिंह के अनुसार, किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती पर डेटा और शोध पत्र एकत्र किए और जमीनी स्तर पर सीखने के लिए बागानों में गए.
उन्होंने कहा कि अपनी अगली यात्रा के लिए, उन्होंने पहले से ही एक वियतनामी ड्रैगन फ्रूट किसान के साथ समझौता कर लिया था, और उन्होंने और अन्य किसानों ने खेती के तरीकों को समझने के लिए उसके खेत पर 14 दिन बिताए. ऐसा इसलिए था क्योंकि ड्रैगन फ्रूट के पौधे को कली अवस्था से फूल आने में 14 से 15 दिन लगते हैं. फल फूल आने के अगले 30 से 35 दिनों में पक जाता है.
सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “मैं स्वयं वियतनाम जाने का जोखिम उठा सकता हूं लेकिन अन्य छोटे ड्रैगन फल किसान ऐसा नहीं कर सकते. इसलिए, हमने सीएम से यात्राओं पर सब्सिडी देने का अनुरोध किया ताकि हम विभिन्न तकनीकें सीख सकें. कीटों का प्रबंधन कैसे करें, इसके बारे में सीखने के लिए बहुत कुछ है, क्योंकि ड्रैगन फलों पर फंगल संक्रमण आम है. इसके अलावा, पौधों की क्रॉस-ब्रीडिंग द्वारा फलों की कई किस्मों का उत्पादन किया जा सकता है. हम ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए आवश्यक तकनीक सीखने के लिए लंबी अवधि के लिए फिर से वियतनाम का दौरा करना चाहते हैं.”
यह भी पढ़ें: पहलवानों के विरोध का वर्ष कम खेलों और मैडल का वर्ष रहा, इसमें युवा खिलाड़ियों ने खोए कई मौके