जहां नेता आखिर तक पदों पर बने रहते हैं वहीं सीडब्ल्यूसी द्वारा उनके इस्तीफे की अस्वीकृति के बावजूद राहुल गांधी का एक नए पार्टी अध्यक्ष पर जोर देने का स्वागत है. कांग्रेस को लोकसभा की हार के लिए गांधी की साफ इच्छा का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि वंश की नुकसान पहुंचाने वाली पकड़ खत्म की जा सके.
मध्यमार्गी उदारवादी राजनीति को मज़बूत करने के लिए नए नेता चाहिए
उग्र ग्रीन और राइट पार्टियों ने यूरोपीय संघ के चुनाव जीते हैं. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ने कंज़र्वेटिव पार्टी को चुना और भारत ने भाजपा को. दुनियाभर में कट्टर आर्थिक वाम और राजनीतिक दक्षिणपंथियों की शोर मचाते हुए वापसी हुई. अब समय आ गया है कि नई पीढ़ी के नेता उदारवादी मध्य को और ताकतवर बनाएं.
राहुल ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए स्तीफा देने का साहसपूर्ण निर्णय लिया है।अब उन्हें दृढ़ता पूर्वक इस पर कायम भी रहना चाहिये।इससे आमजन में उनकी छवि अच्छी होगी।