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Saturday, 23 November, 2024
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राहुल गांधी ने हरियाणा के झज्जर अखाड़े का किया दौरा- बजरंग पुनिया के साथ ‘कुश्ती’ में आजमाए दो-दो हाथ

राजनीतिक पर्यवेक्षक इसे विवाद को बड़ा बनाने की कांग्रेस की कोशिशों का हिस्सा मानते हैं, पिछले हफ्ते प्रियंका गांधी ने साक्षी मलिक से उनके दिल्ली आवास में मुलाकात की थी.

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गुरुग्राम: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) चुनावों पर चल रहे विवाद के बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को हरियाणा के झज्जर जिले के छारा गांव में एक अखाड़े का दौरा किया, जहां उन्होंने ओलंपियन बजरंग पुनिया के साथ ‘कुश्ती’ भी की.

पुनिया लगभग 30 किमी दूर खुडन गांव से हैं और उन्होंने अपनी शुरुआती ट्रेनिंग इसी अखाड़े में कोच वीरेंद्र सिंह से ली थी. छारा से आने वाले अंतरराष्ट्रीय पहलवान दीपक पुनिया ने भी अपनी शुरुआती ट्रेनिंग यहीं से की थी.

एस मुलाकात के बाद एक्स पर एक पोस्ट में, गांधी ने हिंदी में लिखा, “वर्षों की जीतोड़ मेहनत, धैर्य एवं अप्रतिम अनुशासन के साथ अपने खून और पसीने से मिट्टी को सींच कर एक खिलाड़ी अपने देश के लिए मेडल लाता है. आज झज्जर के छारा गांव में भाई विरेंद्र आर्य के अखाड़े पहुंच कर ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया समेत अन्य पहलवान भाइयों के साथ चर्चा की.”

उन्होंने आगे कहा, “सवाल सिर्फ एक है – अपने अखाड़े की लड़ाई छोड़ अगर इन खिलाड़ियों, भारत की बेटियों को अपने हक और न्याय की लड़ाई सड़कों पर लड़नी पड़े तो कौन अपने बच्चों को यह राह चुनने के लिये प्रोत्साहित करेगा?”

फोन पर दिप्रिंट से बात करते हुए, कोच वीरेंद्र सिंह ने कहा कि गांधी सुबह 6 बजे के बाद अचानक आए जब स्थानीय पहलवान अभ्यास कर रहे थे, और लगभग दो घंटे से अधिक समय तक रुके. उन्होंने ‘बाजरे की रोटी और सरसों का साग’ का भी स्वाद लिया.

सिंह ने कहा, “बजरंग पुनिया राहुल गांधी के आने से कुछ मिनट पहले ही अखाड़े में पहुंचे थे. पुनिया ने मुझे पहले ही बता दिया था कि वह आज सुबह आएंगे. हालांकि, उन्होंने गांधी के अचानक आने की कोई जानकारी नहीं दी थी. उन्होंने मुझे बताया कि एक बहुत खास व्यक्ति उनके साथ आने वाला है.”

गांधी का अचानक दौरा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद और पूर्व डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी विश्वासपात्र संजय सिंह के पिछले सप्ताह डब्ल्यूएफआई प्रमुख के रूप में चुनाव को लेकर हुए विवाद की पृष्ठभूमि में हो रही है.

पुनिया ने साथी पहलवानों साक्षी मलिक और विनेश फोगाट के साथ मिलकर इस साल की शुरुआत में बृज भूषण के खिलाफ जंतर-मंतर पर लंबे समय तक आंदोलन किया था, जिसमें उन पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. दिल्ली पुलिस ने इसी साल जून में सांसद के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल किया था.

21 दिसंबर को संजय सिंह के चुनाव के तुरंत बाद, मलिक ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि वह खेल छोड़ रही हैं, उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर टेबल पर अपने जूते रखे. अगले दिन, मलिक के समर्थन में पुनिया ने अपना पद्मश्री दिल्ली के कर्तव्य पथ पर एक फुटपाथ पर छोड़ दिया, जब वह इसे “वापस” करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने में असमर्थ रही.

जबकि खेल मंत्रालय ने रविवार को नवनिर्वाचित डब्ल्यूएफआई निकाय को निलंबित कर दिया, फोगट ने मंगलवार को घोषणा की कि वह अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार भी प्रधानमंत्री को “लौटा” देंगी, उन्होंने कहा कि पुरस्कार अब उनके लिए अर्थहीन हो गए हैं.


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‘विवाद को बड़ा बनाने की कोशिश’

गांधी की हरियाणा के अखाड़े की यात्रा उनकी बहन, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा मलिक से कुश्ती छोड़ने के बाद उनके दिल्ली आवास में मुलाकात के बाद आया.

दिप्रिंट से बात करते हुए, हरियाणा के राजनीतिक पर्यवेक्षक, हेमंत अत्री ने कहा, “इन दौरों से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि कांग्रेस इस विवाद को राजनीतिक रूप देना चाहती है. यही कारण है कि राहुल गांधी सुबह घने कोहरे और जीरो विजिबिलिटी में छर्रा अखाड़ा पहुंचे.”

उन्होंने कहा कि मौजूदा मुद्दा कांग्रेस को एक साथ कई वर्ग के मतदाताओं को लुभाने का मौका देता है. अत्री ने कहा, पहलवानों का मुद्दा जाटों, महिलाओं, युवाओं और खिलाड़ियों से संबंधित है.

हरियाणा में अगले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके पांच महीने बाद देश में आम चुनाव होने की उम्मीद है.

हरियाणा भाजपा के प्रवक्ता संजय शर्मा ने आरोप लगाया कि गांधी का अखाड़े का दौरा पहलवानों के मुद्दे पर राजनीति करने के प्रयास के अलावा कुछ नहीं था.

शर्मा ने कहा, “केंद्र की भाजपा सरकार ने इस मुद्दे पर पूरी गंभीरता दिखाई है. सरकार ने अपने सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर की है. खेल मंत्रालय ने संजय सिंह के नेतृत्व वाले नवनिर्वाचित डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया और पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख को कुश्ती की राजनीति से दूर रहने को कहा. जहां तक उनके खिलाफ आरोपों का सवाल है, अदालत इस पर गौर कर रही है.”

उन्होंने कहा कि जब से पहलवानों ने इस साल की शुरुआत में जंतर-मंतर पर अपना आंदोलन शुरू किया है, तब से कांग्रेस राजनीति कर रही है.

हालांकि, हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि गांधी युवा पहलवानों से मिलने और यह देखने के लिए अखाड़े में गए थे कि वे खेल के लिए कैसे तैयारी करते हैं.

हुड्डा ने कहा, “गांधी की यात्रा में कुछ भी नया नहीं है. उन्होंने पहले भी विभिन्न श्रेणियों के लोगों से अचानक मुलाकात की है. वह सोनीपत में किसानों के पास गए, ट्रक ड्राइवरों से मिले और ऑटो मैकेनिकों से भी मिले. हरियाणा के झज्जर में एक अखाड़े में उनके दौरे को राजनीति के हिस्से के रूप में देखना दुर्भाग्यपूर्ण है.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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