इलाहाबाद हाई कोर्ट का कहना है कि पूजा स्थल अधिनियम किसी स्थल के धार्मिक चरित्र को परिभाषित करने पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है. इससे बहस की एक नई दिशा खुलती है. पूजा के अधिकार की दलीलों और किसी स्थल की स्थिति को बदलने के गुप्त प्रयासों के बीच अंतर करना बहुत ही जरूरी है और अदालतों को इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.