नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिली प्रचंड सफलता ने देश में होने वाले चुनाव के इतिहास को बदल कर रख दिया. इस बार वो हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था. इस चुनाव में राजनेता न केवल अपनी पुश्तैनी सीट बचाने में नाकामयाब रहे बल्कि अपनी जीत का दंभ भरने वाले और देश के प्रधानमंत्री रहे चुके देवेगौड़ा और अपने-अपने राज्य में शासन कर चुके 13 मुख्यमंत्रियों को मुंह की खानी पड़ी है. और सभी चुनाव हार गए. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार 2014 में मोदी लहर थी. लेकिन इस चुनाव को विश्लेषकों ने सुनामी माना है.
शीला दीक्षित दिल्ली की राजनीति का बड़ा नाम हैं. वह तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रहीं हैं. 2014 में विधानसभा चुनाव के दौरान वह आप पार्टी के अरविंद केजरीवाल से हारीं और लगभग पौने पांच साल राजनीति से दूर रहीं लेकिन उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से एकबार फिर राजनीति में वापसी की लेकिन वह हार गईं. शीला दीक्षित ने उत्तर पूर्व दिल्ली से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं और हारीं. उनको 4,21,293 वोट मिले उनके प्रतिद्वंदी भाजपा दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी को 7,87,799 वोट मिले.
मोदी की सुनामी में हरियाणा से कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी भाजपा के नेता रमेश चन्दर कोच्चर से बुरी तरह हार गए. इस चुनाव में हुड्डा को 4,22,800 वोट मिले वहीं रमेश चन्दर कोच्चर को 58,7,664 वोट मिले साथ ही उनके बेटे रोहतक सीट से चुनाव लड़ रहे थे. उन्हें भी पराजय का सामना करना पड़ा.
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पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी देवगौड़ा को भाजपा के जीएस बासवाराज ने हराया है. देवगौड़ा को 582788 वोट और बासवाराज को 596127 वोट मिले पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा कर्नाटक की तुमकुर सीट से चुनाव लड़ रहे थे. यह चुनाव उनके लिए और उनके परिवार के लिए बहुत महत्वपूर्ण चुनाव था. इस वक़्त कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन की सरकार है.
मध्य प्रदेश में ‘मिस्टर बंटाधार’ के नाम से प्रसिद्ध दिग्विजय सिंह का बंटाधार हो गया है. भोपाल सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह का सामना भाजपा में हाल में ही शामिल हुई मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह से था. जिसमें उनको करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है. भोपाल सीट को भाजपा का गढ़ मन जाता है. दिग्विजय सिंह को 501660 मत मिले उनकी खिलाफ चुनाव लड़ रहीं साध्वी सिंह प्रज्ञा ठाकुर को 866482 वोट मिले. इस हार के बाद शायद दिग्विजय सिंह के राजनीतिक जीवन का अंत हो जाये.
बिहार में महागठबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका बनाने वाले हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी को भी हार का सामना करना पड़ा है. मांझी महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में गया संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे थे. मांझी को 314581 वोट मिले वहीं उनके खिलाफ जेडीयू के विजय कुमार को 467007 वोट मिले. पूरे बिहार में महागठबंधन को मुंह की खानी पड़ी है.
झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी को भी हार का सामना करना पड़ा है. उन्होंने 2006 में भाजपा छोड़कर झारखंड विकास मोर्चा की स्थापना की थी. इससे पहले ये कोडरमा से लोकसभा सांसद रह चुके हैं. उनको कुल 297416 मत मिले वहीं उनके खिलाफ चुनाव लड़ रही कोडरमा संसदीय सीट से एनडीए प्रत्याशी सह भाजपा नेता अन्नपूर्णा देवी को 753016 वोट मिले.
झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके शिबू सोरेन को सुनील सोरेन ने को उन्हीं के अखाड़े दुमका में शिकस्त दी है. इस हार के साथ ही शिबू सोरेन की राजनीतिक पारी का अंत होता हुआ दिख रहा है. इस चुनाव में झारखंड की राजनीति में एक नए आदिवासी चेहरे सुनील सोरेन का उदय हुआ है. सुनील दुमका के ‘नए दिशोम गुरु’ बनते नज़र आ रहे हैं. नौवीं बार सांसद बनने के लिए चुनाव लड़ रहे शिबू सोरेन की हार झामुमो के लिए बड़ा झटका है. शिबू सोरेन को 437333 मत मिले उनके प्रतिद्वंदी सुनील सोरेन को 484923 मत मिले.
उत्तराखंड के दिग्गज नेता हरीश रावत को भी हार का सामना करना पड़ा है. हरीश रावत की कांग्रेस में अच्छी पैठ मानी जाती है. रावत नैनीताल सीट से चुनाव लड़ रहे थे उनको 433099 मिले और उनकी तुलना में उनके प्रतिद्वंती भाजपा के अजय भट्ट को 772195 मत मिले.
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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण को भी मात मिली है. चह्वाण को भाजपा के प्रतापराव पाटिल चिखालिकर ने 40148 वोटों से हराया है. अशोक चह्वाण की गिनती महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में होती है. अशोक चह्वाण को 446658 मत मिले थे वहीं प्रतापराव पाटिल चिखालिकर को 486806 वोट मिले हैं.
सोलापुर सीट से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सुशील कुमार शिंदे चुनाव हार गए हैं. उन्हें 366377 वोट मिले वह भाजपा के महास्वामी जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य से हारे जिन्हें 524985 वोट मिले. सुशील कुमार शिंदे देश के गृह मंत्री भी रह चुके हैं.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली को भी हार का सामना करना पड़ा है. वीरप्पा मोइली को भाजपा उम्मीदवार बी एन बाचे गौड़ा ने चिकबल्लापुर सीट पर 1,82,110 मतों के अंतर से हराया है. बी एन बाचे गौड़ा को 7,45,912 और मोइली को 5,63,802 वोट मिले है. गौड़ा 2014 के लोकसभा चुनाव में मोइली से करीब 9,500 मतों के अंतर से हारे थे. मोइली 1992 से 1994 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे थे. वह 2009 के लोकसभा चुनाव में चिकबल्लापुर से निर्वाचित हुए थे. वीरप्पा मोइली कांग्रेस और जेडीएस के संयुक्त उम्मीदवार थे.
अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी अरुणाचल वेस्ट सीट से चुनाव लड़ रहे थे. इस सीट पर उनका मुकाबला भाजपा नेता किरण रिजजू से था. किरण रिजजू को 204553 मात मिले. वहीं भाजपा नेता रिजजू ने नबाम तुकी को 1 लाख 56 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से हराया. नबाम तुकी को 47954 मात मिले हैं.
मेघालय की तुरा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा नेशनल पीपुल्स पार्टी की अगाथा संगमा से हार गए. नेशनल पीपुल्स पार्टी की अगाथा संगमा को 304455 और मुकुल संगमा को 240425 वोट मिले हैं. अगाथा संगमा की जीत का अंतर 64030 है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती भी लोकसभा का चुनाव हार गईं हैं. महबूबा अनंतनाग सीट से चुनाव लड़ रही थी. ये सीट उनका गढ़ मानी जाती थी. 2014 में महबूबा की पार्टी पीडीपी ने बारामुला, श्रीनगर और अनंतनाग सीटों पर जीत दर्ज की थी. अनंतनाग से वे खुद मैदान में थीं. लेकिन 2016 में मुख्यमंत्री बनने के चलते उन्होंने ये सीट छोड़ दी थी. महबूबा मुफ्ती 2014 में अनंतनाग सीट से लोकसभा चुनाव जीतीं थीं. नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने हसनैन मसूदी को 40180 वोट मिले हैं महबूबा मुफ्ती को 30524 वोट मिले हैं.