scorecardresearch
Friday, 20 December, 2024
होमराजनीतिABVP से सरपंच तक, पहली बार बने विधायक, संगठन प्रमुख — कौन हैं राजस्थान के अगले CM भजनलाल शर्मा

ABVP से सरपंच तक, पहली बार बने विधायक, संगठन प्रमुख — कौन हैं राजस्थान के अगले CM भजनलाल शर्मा

शर्मा बीजेपी की राजस्थान इकाई में महासचिव हैं और तीन दशकों से अधिक समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं. ऐसा कहा जाता है कि उन्हें संघ का समर्थन प्राप्त था और 90 के दशक में अयोध्या आंदोलन के दौरान वो जेल भी गए थे.

Text Size:

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को एक बार फिर हैरान करते हुए पहली बार विधायक बने ब्राह्मण नेता भजनलाल शर्मा को राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री चुना है.

सांगानेर विधायक बीजेपी की राजस्थान इकाई में महासचिव हैं और पिछले तीन दशकों में रिकॉर्ड चार बार राज्य महासचिव सहित पार्टी से जुड़े रहे हैं.

56-वर्षीय शर्मा के अलावा पार्टी ने दीया कुमारी, एक राजपूत और प्रेमचंद बैरवा, एक दलित दोनों को उपमुख्यमंत्री का पद दिया है.

नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में निर्णायक जीत हासिल करने वाली बीजेपी ने तीनों राज्यों का नेतृत्व करने के लिए नए चेहरों का चयन किया है. इसने छत्तीसगढ़ के लिए आदिवासी नेता विष्णु देव साय और मध्य प्रदेश के लिए ओबीसी नेता मोहन यादव को सीएम चुना.

पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया, “वह (शर्मा) एक ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ता हैं और पार्टी के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा एबीवीपी से जुड़े थे. उनका नाम कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात थी. वह हमेशा लो प्रोफाइल रहते हैं और अपना काम करने में विश्वास रखते हैं. वह एक संगठन के व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं और सभी को साथ लेकर चलने में सक्षम होंगे.”

राज्य के एक पदाधिकारी के अनुसार, पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व शर्मा के प्रबंधन कौशल से ‘प्रभावित’ था क्योंकि उन्होंने ‘त्रुटिहीन सटीकता’ के साथ वरिष्ठ नेताओं की चुनावी रैलियों का सफलतापूर्वक आयोजन किया था.

पदाधिकारी ने कहा, “वह मृदुभाषी हैं और उनका व्यक्तित्व आकर्षक है. 2018 में उन्हें राजनीतिक रैलियों के आयोजन की जिम्मेदारी दी गई थी और इस दौरान उन्होंने अपने संगठनात्मक कौशल से केंद्रीय नेताओं खासकर अमित शाह जी को प्रभावित किया.”

भाजपा के राज्य मीडिया समन्वयक प्रमोद वशिष्ठ ने बताया कि शर्मा कई वर्षों से संगठन से जुड़े हुए हैं और उन्होंने हमेशा पार्टी को पहले स्थान पर रखा है.

वशिष्ठ ने कहा, “चाहे देर रात हो या सुबह जल्दी, जब भी पार्टी को उनकी ज़रूरत होती, वह हर समय उपलब्ध रहते थे. वह बहुत धार्मिक व्यक्ति हैं और आपको कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो उनके बारे में बुरा बोलता हो.”

राजस्थान में जहां बीजेपी ने 115-69 सीटों के अंतर से कांग्रेस को उखाड़ फेंका, सांगानेर विधायक पार्टी की अंतिम पसंद थे. सांगानेर में उन्होंने कांग्रेस के पुष्पेंद्र भारद्वाज को 48,081 वोटों से हराया. भरतपुर से आने वाले शर्मा को पहली बार किसी मौजूदा विधायक को हटाकर मैदान में उतारा गया था.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, शर्मा को संघ का करीबी माना जाता है और उन्होंने पार्टी के भीतर अपने संगठनात्मक और नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन किया है.

नेता ने कहा, “वह वर्तमान में राजस्थान भाजपा में महासचिव हैं और पार्टी के युवा मोर्चा से जुड़े रहे हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी से की और उन्हें संगठन में कई जिम्मेदारियां दी गईं.”

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि उन्होंने 100 अन्य लोगों के साथ उधमपुर तक एबीवीपी के “कश्मीर बचाओ आंदोलन” में भाग लिया था और अगस्त-सितंबर 1990 में जेल गए थे. यह मार्च कश्मीरी पंडितों के साथ एकजुटता में था. उन्होंने बताया कि 1992 में शर्मा ने श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लिया और फिर से जेल गए.

शर्मा को 1991-92 में भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) की जिम्मेदारी दी गई थी. उक्त नेता ने कहा, “उन्हें 27 साल की उम्र में सरपंच बनाया गया और वह दो कार्यकाल तक रहे. वह पंचायत समिति के सदस्य भी थे.”

शर्मा ने 2003 में राजस्थान सामाजिक न्याय मंच के उम्मीदवार के रूप में नदबई से विधानसभा चुनाव लड़ा था और लगभग 6,000 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे.

सांगानेर में कांग्रेस ने उन पर ‘बाहरी’ होने का आरोप लगाया था. पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा, “इसके बावजूद, शर्मा ने सांगानेर सीट भारी अंतर से जीती.”

बीजेपी के एक सूत्र के अनुसार, शर्मा शुरू में भरतपुर से टिकट मांग रहे थे, लेकिन बाद में उन्हें सांगानेर से मैदान में उतारा गया, जिसे सत्तारूढ़ पार्टी की ‘मजबूत सीट’ माना जाता है. सूत्र ने कहा, “पार्टी सामान्य वर्ग से आने वाले एक विधायक की तलाश कर रही थी और उनमें से वह इसके लिए उपयुक्त है.”

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: ‘बांग्लादेशी हिंदू वो भारतीय जिन्हें हमने पीछे छोड़ दिया’ — अल्पसंख्यकों के जीवन की पड़ताल करती है ये किताब


 

share & View comments