नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटा के तहत राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों में प्रवेश के लिए सरकार के कोई संशोधन करने तक मौजूदा आय सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये सालाना करने का आदेश दिया। इसने कहा कि प्रासंगिक कानून कहता है कि आय संबंधी मानदंड योजना के इच्छित लाभार्थियों के जीवन स्तर से मेल खाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह माता-पिता द्वारा आय की स्व-घोषणा की व्यवस्था को तुरंत खत्म करे और स्कूलों में ईडब्ल्यूएस के लिए नि:शुल्क सीट जारी रखने के लिए एक उचित ढांचा तैयार करे।
इसने कहा कि दिल्ली सरकार का शिक्षा निदेशालय आय सत्यापन और पात्रता मानदंड की नियमित निगरानी के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करेगा।
उच्च न्यायालय का फैसला उस मामले में आया जिसमें एक व्यक्ति ने जन्म और आय प्रमाणपत्रों में हेराफेरी करके अपने बेटे का दाखिला ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत शहर के प्रतिष्ठित संस्कृति स्कूल में कराने में कामयाबी हासिल की थी।
अदालत ने लड़के की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने स्कूल द्वारा अपना प्रवेश रद्द किए जाने को चुनौती दी थी। हालाँकि, इसने उसे सामान्य श्रेणी के छात्र के रूप में वहाँ पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दे दी।
अदालत ने कहा कि बच्चा, जो 2013 से अपनी पढ़ाई जारी रख रहा है, उसकी कोई गलती नहीं है और उसे उसके पिता की गलती के लिए दंडित नहीं किया जाएगा। इसने लड़के के पिता पर अवैध तरीके से अपने बेटे का दाखिला कराने के लिए 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसकी वजह से एक योग्य उम्मीदवार को प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ने का मौका नहीं मिल पाया।
न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा, “वर्तमान मामला… समाज के ईडब्ल्यूएस तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई एक कल्याणकारी योजना से छेड़छाड़ की एक डरावनी कहानी पेश करता है। यह मामला उस पीड़ादायक स्थिति को दर्शाता है जहां संपन्न वर्ग आर्थिक रूप से हाशिए पर रहने वाले उम्मीदवारों की कीमत पर ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ उठाने के लिए अपना खून, पसीना और आंसू बहा रहा है।’’
भाषा नेत्रपाल पवनेश
पवनेश
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